गोमेद रत्न धारण करने के लाभ Hessonite (Gomed) Stone benefits in hindi
गोमेद रत्न धारण करने के लाभ और पहचान- गोमेद रत्न राहु ग्रह का रत्न होता है। गोमेद रत्न धारण करने से राहु ग्रह को बल मिलता है। राहु का रत्न गोमेद धारण करने से व्यक्ति को इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे इंटरनेट, मोबाइल, कंप्यूटर, बिजली उपकरण, शराब, सट्टा और जुए से सबंधित क्षेत्र से लाभ प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त व्यक्ति की जन्म कुंडली में राहु जिस भाव में, जिस राशि के साथ हो उस राशि के स्वामी ग्रह की स्थिति के मुताबिक और जिस भाव पर राहु की पांचवी, सातवीं और नौवीं दृष्टि पड़ती हो उन भावों से सबंधित फलों में वृद्धि होती है। यदि कुंडली में राहु ग्रह की स्थिति अच्छी हो तभी इस रत्न को धारण करना चाहिए। यदि कुंडली में राहु की स्थिति अच्छी न हो तब भूल कर भी गोमेद को धारण नहीं करना चाहिए अन्यथा यह रत्न लाभ के स्थान पर नुकसान भी दे सकता है। राहु रत्न गोमेद को धारण करने के कुछ नियम होते हैं। हम आपको आगे राहु का रत्न धारण करने के सभी नियम बताते हैं।
राहु रत्न गोमेद धारण करने के नियम - गोमेद धारण करने से पहले आपको यह समझना होगा कि राहु की स्थिति को कुंडली में कैसा देखा जाता है और कौन सी स्थिति में राहु अच्छे फल देता है और कौन सी स्थिति में राहु बुरे फल देता है। सबसे पहले आपको बता दें कि यदि कुंडली में राहु त्रिक भाव ( 6, 8, 12) या किसी अन्य बुरे भाव में बैठा हो तब इसका रत्न गोमेद धारण नहीं करना चाहिए। दूसरी बात यदि राहु कुंडली में किसी अच्छे भाव जैसे त्रिकोण भाव (1, 5, 9), केंद्र भाव (4, 7, 10) या किसी अन्य अच्छे भाव में बैठा हो तब आपको देखना चाहिए कि राहु जिस राशि में बैठा है उस राशि का स्वामी ग्रह कहीं किसी बुरे भाव में तो नहीं बैठा है या कुंडली में मारकेश तो नहीं है। यदि राहु कुंडली में किसी अच्छे भाव में बैठा हो और उस राशि का स्वामी ग्रह योग कारक होकर किसी अच्छे भाव में बैठा हो तभी राहु रत्न गोमेद धारण करना चाहिए अन्यथा नहीं करना चाहिए। राहु और केतु की कुंडली में अच्छी या बुरी स्थिति देखने के लिए आप हमारे पेज कुंडली में राहु और केतु पर क्लिक करके जानकारी प्राप्त कर सकते हो। यदि आपको कुंडली में योग कारक और मारक ग्रहों की पहचान करनी नहीं आती है तो आप हमारे पेज योग करक और मारक ग्रह पर क्लिक करके जानकारी प्राप्त कर सकते हो।
रत्न क्यों धारण किया जाता है :- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति अपने पिछले जन्म के संचित कर्मों को साथ लेकर जन्म लेता है और उसके पिछले जन्म के संचित कर्मों के मुताबिक उसकी जन्म कुंडली का निर्माण होता है और उसके कर्मों के हिसाब से उसकी कुंडली में ग्रह उसको अच्छा और बुरा फल देने के लिए अलग अलग भावों में बैठते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 9 ग्रहों की रश्मियां प्रत्येक व्यक्ति को प्रभावित करके उसको अच्छा या बुरा परिणाम देती हैं। ज्योतिष शास्त्र का गणित हमें यह बताता है कि हमारी जन्म कुंडली में कौन-कौन से ग्रह योग कारक अर्थात अच्छा फल देने वाले और कौन-कौन से ग्रह मारक अर्थात बुरा फल देने वाले बैठे हैं। जब हमें यह पता चल जाता है कि हमारे लिए कौन-कौन से ग्रह अच्छे और बुरे हैं तो सुभाविक बात है कि योग कारक ग्रह अर्थात अच्छा फल देने वाले ग्रहों की अधिक प्रभाव में रश्मियां हमारे ऊपर पड़ेंगी तो हमें अधिक अच्छे परिणाम मिलेंगे और यदि कम पड़ेंगी तो कम अच्छे परिणाम मिलेंगे। ऐसे ही यदि कुंडली में किसी योग कारक ग्रह अर्थात अच्छा फल देने वाले ग्रह का बल कम हो, वह सूर्य के साथ अस्त हो या षटबल में कमजोर हो तब उस ग्रह से सबंधित रत्न धारण करके उसके बल को बढ़ाया जाता है। किसी ग्रह का रत्न एक चुम्बक ( Magnet) की तरह कार्य करता है। किसी ग्रह से सम्बंधित रत्न उसकी रश्मियों को ग्रहण करके व्यक्ति में संचार करने का कार्य करता है। किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह जिस भाव में बैठा हो, जिन भावों पर उसकी दृष्टि हो, जिन भावों में उसकी राशियां हों या जो ग्रह के कारकत्व हो, ग्रह उसका फल ही देते हैं। ऐसे ही यदि कुंडली में मारक ग्रह अर्थात बुरा फल देने वाले ग्रहों से सम्बंधित रत्न धारण कर लिया जाये तो उस ग्रह का बल बढ़ने से बुरे परिणाम अधिक मिलने शुरू हो जाते हैं। इसलिए कभी भी मारक ग्रह का रत्न धारण मत करें।
गोमेद रत्न की पहचान - भारत में बिकने वाला गोमेद तीन प्रकार का होता है। पहली किस्म का गोमेद बिलकुल काले रंग का होता है और यह सबसे सस्ता गोमेद होता है। इसकी कीमत 10 से 20 रुपये प्रति रत्ती होती है। इसके बाद अफ्रीकन गोमेद आता है यह गोमेद गहरे गौ मूत्र रंग का होता है। इसकी कीमत 30 से 50 रुपये प्रति रत्ती होती है। सबसे अच्छा और बढ़िया क्वालिटी का गोमेद श्रीलंका का गोमेद होता है इसको सलोनी गोमेद भी कहा जाता है। इसकी कीमत 70 से लेकर 150 रुपये प्रति रत्ती होती है। सलोनी गोमेद का रंग बिलकुल हलके गौ मूत्र जैसा होता है। हमेशा किसी अच्छी लैब से प्रमाणित गोमेद रत्न ही खरीदना चाहिए। यदि आप ऑनलाइन प्रमाणित सलोनी गोमेद खरीदना चाहते हो तो आप सलोनी गोमेद रत्न पर क्लिक करके प्राप्त कर सकते हो।
गोमेद रत्न कब और कैसे धारण करें (When and how to wear Hessonite Stone) - गोमेद रत्न को शनिवार को धारण करना चाहिए। गोमेद रत्न को पाँच-धातु की अंगूठी या लॉकेट में धारण करना चाहिए। राहु रत्न गोमेद को दाएं हाथ की मध्यमा ऊँगली में धारण किया जाता है। इसको धारण करने से पहले गंगाजल से शुद्ध कर लें और किसी पूजा स्थान में गोमेद की अंगूठी या लॉकेट को रखकर राहु बीज मंत्र का 108 बार जाप करके धारक करें।
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नोट- नवग्रहों के बीज मंत्र की विधि|
*सूर्य बीज मंत्र *चंद्र बीज मंत्र *मंगल बीज मंत्र
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