चंद्र देव बीज मंत्र विधि और महत्व
Beej Mantra of Chandra Grah
चंद्र देव बीज मंत्र विधि और लाभ- चंद्र देव को कुंडली में बहुत अहम् ग्रह माना जाता है क्यूंकि चंद्र ग्रह हमारे मन का कारक गृह होता है। हमारी जन्म कुंडली में भी चंद्र राशि को बहुत महत्व दिया गया है। किसी भी व्यक्ति की कुंडली देखते वक़्त उसकी चंद्र कुंडली और चंद्र राशि पर विचार किया जाता है क्यूंकि चंद्र मन का कारक होने के कारण हमारे मन को प्रभावित करता है इसलिए चंद्र राशि से ही व्यक्ति के स्वाभाव के बारे में विचार किया जाता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्र ग्रह कमजोर हो या मारक हो तब उस व्यक्ति का मनोबल बहुत कम हो जाता है और वह छोटी-छोटी बात पर चिंतित रहने लगता है। इस तरह के लोगों को डिप्रेशन जैसी बीमारी होने का खतरा बना रहता है।
यदि जन्म कुंडली में चंद्र योग कारक अर्थात मित्र ग्रह होकर भी बैठा हो और कमजोर अवस्था में हो तब भी चंद्र अपने फल देने में समक्ष नहीं होता है। यदि आपने पता करना है कि आपकी कुंडली में चंद्र ग्रह कमजोर है या बलि है तो अपनी जन्म तिथि को पंचांग में देखिये। यदि आपका जन्म अमावस से 7 दिन पहले या 7 दिन बाद हुआ है तो आपका चंद्र कमजोर होगा| आपका जन्म अमावस के जितना नज़दीक होगा आपका चंद्र ग्रह उतना हो कमजोर होगा और इसका कुंडली में कमजोर होना अर्थात मन का कमजोर होना माना जाता है। आपने देखा होगा कि यदि किसी बच्चे की जन्म कुंडली में चंद्र कमजोर होता है तो उस बच्चे को ज्योतिष चांदी का चन्द्रमा डालने को कहते हैं। बच्चे की 8 वर्ष की आयु तक चांदी का चन्द्रमा डालना बहुत जरुरी होता है।
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्र ग्रह कमजोर हो तब उसका उपाय चंद्र के बीज मंत्र का जाप करके ठीक किया जा सकता है। यदि आपकी कुंडली में चंद्र ग्रह योग कारक हैं तब आप इसका रत्न सुच्चा मोती चांदी की अंगूठी में डालकर भी चंद्र को बलवान कर सकते हो, मगर यदि कुंडली में चंद्र ग्रह त्रिक भावों अर्थात 6,8,12 में से किसी भाव में बैठा हो या मारक अवस्था में हो तब भी सुच्चा मोती धारण नहीं करना चाहिए। इसके लिए आप किसी अच्छे ज्योतिष की परामर्श भी ले सकते हो। हम आपको आगे चंद्र ग्रह के बीज मंत्र और उसके जाप करने की विधि बताते हैं।
यदि जन्म कुंडली में चंद्र योग कारक अर्थात मित्र ग्रह होकर भी बैठा हो और कमजोर अवस्था में हो तब भी चंद्र अपने फल देने में समक्ष नहीं होता है। यदि आपने पता करना है कि आपकी कुंडली में चंद्र ग्रह कमजोर है या बलि है तो अपनी जन्म तिथि को पंचांग में देखिये। यदि आपका जन्म अमावस से 7 दिन पहले या 7 दिन बाद हुआ है तो आपका चंद्र कमजोर होगा| आपका जन्म अमावस के जितना नज़दीक होगा आपका चंद्र ग्रह उतना हो कमजोर होगा और इसका कुंडली में कमजोर होना अर्थात मन का कमजोर होना माना जाता है। आपने देखा होगा कि यदि किसी बच्चे की जन्म कुंडली में चंद्र कमजोर होता है तो उस बच्चे को ज्योतिष चांदी का चन्द्रमा डालने को कहते हैं। बच्चे की 8 वर्ष की आयु तक चांदी का चन्द्रमा डालना बहुत जरुरी होता है।
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्र ग्रह कमजोर हो तब उसका उपाय चंद्र के बीज मंत्र का जाप करके ठीक किया जा सकता है। यदि आपकी कुंडली में चंद्र ग्रह योग कारक हैं तब आप इसका रत्न सुच्चा मोती चांदी की अंगूठी में डालकर भी चंद्र को बलवान कर सकते हो, मगर यदि कुंडली में चंद्र ग्रह त्रिक भावों अर्थात 6,8,12 में से किसी भाव में बैठा हो या मारक अवस्था में हो तब भी सुच्चा मोती धारण नहीं करना चाहिए। इसके लिए आप किसी अच्छे ज्योतिष की परामर्श भी ले सकते हो। हम आपको आगे चंद्र ग्रह के बीज मंत्र और उसके जाप करने की विधि बताते हैं।
चंद्र देव का बीज मंत्र -Chandra dev beej Mantra in Hindi
ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः
ॐ सों सोमाय: नमः
Mantra for Chandra dev in English
Om Shram Sharim Shrom Sah Chandrmasya Namha.
Om Som Somaye Namha.
चंद्र मन्त्र साधना की विधि (Chandra Mantra sadhna ki vidhi) :- आपको जो ऊपर चंद्र देव के 2 मंत्र दिए गए हैं आप इनमें से किसी एक मंत्र का चयन कर उसका जाप कर सकते हैं। इसकी विधि आपको नीचे बताते हैं।
*चंद्र ग्रह बीज मंत्र का जाप शुरू करने से पहले पूजा स्थान पर एक चंद्र यन्त्र स्थापित कर लें। चंद्र यन्त्र को गंगाजल से शुद्ध करके उसको सफ़ेद चन्दन का तिलक करें। सिद्ध यन्त्र प्राप्त करने के लिए चंद्र यन्त्र पर क्लिक करें।
* चंद्र देव के बीज मंत्र का जाप आप किसी सोमवार या पूर्णिमा को शुरू कर सकते हो, यदि संभव हो तो पूर्णिमा को ही इसके जाप की शुरुआत करें।
* प्रत्येक पूर्णिमा की रात को एक लोटे में जल लेना है और उसमें थोड़ा दूध, गंगाजल, 11 चावल के दाने, मिश्री और पुष्प डालकर चंद्र देव का बीज मंत्र पढ़ते हुए चंद्र देव को अर्पण करना है। याद रहे जो जल आप चंद्र देव को दे रहे हैं वह आपके क़दमों में नहीं गिरना चाहिए। जल इस तरह देना है कि किसी गमले में गिरे। उसके बाद चंद्र देव को नमस्कार कर अपने किसी एकांत स्थान में बैठकर जाप शुरू करना है।
* पहले दिन जब जाप शुरू करें तब सबसे पहले गणेश पूजा, गुरु पूजा और कुलदेव की पूजा करनी है। उसके बाद आपने सफ़ेद चन्दन की माला से जाप करना है। रोज़ाना कम से कम एक माला जाप करना है यदि इससे अधिक कर सकते हो तो लाभ भी अधिक होगा।
* जाप आपने सफ़ेद रंग के आसान के ऊपर बैठ कर करना है और सिर को भी सफ़ेद वस्त्र से ढककर जाप करना है।
* सोमवार को शिव को जल में दूध डालकर अर्पण करने से भी चंद्र देव प्रसन्न होते हैं।
* चंद्र देव के बीज मंत्र का जाप आप किसी सोमवार या पूर्णिमा को शुरू कर सकते हो, यदि संभव हो तो पूर्णिमा को ही इसके जाप की शुरुआत करें।
* प्रत्येक पूर्णिमा की रात को एक लोटे में जल लेना है और उसमें थोड़ा दूध, गंगाजल, 11 चावल के दाने, मिश्री और पुष्प डालकर चंद्र देव का बीज मंत्र पढ़ते हुए चंद्र देव को अर्पण करना है। याद रहे जो जल आप चंद्र देव को दे रहे हैं वह आपके क़दमों में नहीं गिरना चाहिए। जल इस तरह देना है कि किसी गमले में गिरे। उसके बाद चंद्र देव को नमस्कार कर अपने किसी एकांत स्थान में बैठकर जाप शुरू करना है।
* पहले दिन जब जाप शुरू करें तब सबसे पहले गणेश पूजा, गुरु पूजा और कुलदेव की पूजा करनी है। उसके बाद आपने सफ़ेद चन्दन की माला से जाप करना है। रोज़ाना कम से कम एक माला जाप करना है यदि इससे अधिक कर सकते हो तो लाभ भी अधिक होगा।
* जाप आपने सफ़ेद रंग के आसान के ऊपर बैठ कर करना है और सिर को भी सफ़ेद वस्त्र से ढककर जाप करना है।
* सोमवार को शिव को जल में दूध डालकर अर्पण करने से भी चंद्र देव प्रसन्न होते हैं।
चंद्र बीज मंत्र के लाभ (Benefits of Chandra beej mantra):-इस विधि से जाप करने से आपके ऊपर चंद्र देव अपनी कृपा करनी शुरू कर देंगे। चंद्र देव की साधना करने से व्यक्ति के मन को शक्ति मिलती है और मनोबल बढ़ता है वही चंद्र देव के बीज मंत्र के जाप से व्यक्ति के चेहरे पर सुंदरता बढ़ती है।
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नोट- नवग्रहों के बीज मंत्र की विधि|
*सूर्य बीज मंत्र *चंद्र बीज मंत्र *मंगल बीज मंत्र
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