केतु बीज मंत्र की सम्पूर्ण विधि और महत्व
Beej Mantra of Ketu in Hindi
केतु बीज मंत्र विधि और लाभ -केतु को सन्यास, वैराग्य और विरक्ति का कारक ग्रह माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक ग्रह के कुछ विशेष गुण और विशेष अवगुण होते हैं। ऐसे ही केतु ग्रह पापी ग्रह होते हुए भी यदि कुंडली में अच्छी स्थिति में हो तब व्यक्ति को विशेष गुण प्रदान करता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में केतु की स्थिति अच्छी हो तब केतु व्यक्ति को सन्यास और वैराग्य की और लेकर जाता है, मगर स्थिति अच्छी होने पर यह सन्यास और वैराग्य व्यक्ति को यश और प्रतिष्ठा दिलाते हैं। यहाँ पर सन्यास और वैराग्य का अर्थ यह नहीं कि व्यक्ति घर-बार छोड़ कर जंगलों में चला जाता है यहाँ पर सन्यास और वैराग्य से अर्थ है कि व्यक्ति संसार में रहते हुए भी सांसारिक वस्तुओं और रिश्तों के प्रति मोह और लगाव ज्यादा नहीं रखता है। वह अपने सांसारिक फ़र्ज़ निभाते हुए भी इन चीज़ों से विरक्त रहता है। जैसे कोई सन्यासी और वैरागी कोई एकांत स्थान ढूँढ़ते हैं ऐसे ही केतु से प्रभावित व्यक्ति को एकांत स्थान में रहना बहुत पसंद होता है। केतु से प्रभावित व्यक्ति इस संसार से आगे की दुनिया के ऊपर बहुत विचार करते हैं और उसके रहस्यों को जानने के इच्छुक होते हैं। केतु से प्रभावित व्यक्ति को खट्टा और नमकीन तरह का भोजन खाना पसंद होता है। केतु को सर्प की पूछ माना जाता है। जैसे राहु से प्रभावित व्यक्ति उल्टा दिमाग का प्रयोग करता है वैसे ही केतु इसके उल्ट दिमाग का कम प्रयोग करके सन्यासी और वैरागी वृति का होता है।
कुंडली में केतु की स्थिति अच्छी होने पर व्यक्ति तांत्रिक क्रिआओं में बहुत दिलचस्पी रखता है और वह कई मंत्र साधनाओं को सिद्ध करने में सफल भी हो जाता है। जिसके द्वारा वह संसार का भला भी करता है। केतु से प्रभावित व्यक्ति ज्योतिष, कर्म-काण्ड करने वाले पंडित, तांत्रिक, साइंटिस्ट, इंजीनियर के क्षेत्र में बहुत प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं। इनको दुनिया एक खेल के समान नज़र आती है।
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में केतु की स्थिति ख़राब हो तब व्यक्ति दुनिया से विरक्त तो रहता ही है मगर साथ में मानसिक परेशानी, संसार से विमुख और शारीरिक कष्ट भी प्राप्त होते हैं। केतु की ख़राब स्थिति व्यक्ति को चमड़ी से सम्बंधित रोग, मानसिक परेशानी और समाज में कलंकित कराती है। केतु कुंडली में जिस भाव में ख़राब स्थिति में बैठा होता है उस भाव से सबंधित ख़राब परिणाम देता ही है साथ में केतु की तीन दृष्टि (5,7,9) जिस भाव में पड़ती है उस भाव और उस भाव में स्थित ग्रह भी अपना फल देने में रूकावट डालते हैं। मारक केतु के साथ जो ग्रह होते हैं वह भी दुषित होने के कारण अपना परिणाम गलत देने लगते हैं। कुंडली में मारक (ख़राब) केतु अपनी महादशा और अंतरदशा में ही ज्यादा परिणाम देने में समक्ष होता है। आप कुंडली में केतु की स्थिति ख़राब होने पर केतु के बीज मंत्र से उसका निवारण कर सकते हो। केतु का बीज मंत्र व्यक्ति की कुंडली में अनिष्ट केतु की स्थिति को ठीक कर देता है। हम आपको आगे केतु के बीज मन्त्रों और उसकी विधि की विस्तार से जानकारी देते हैं। यदि आप इस विधि के द्वारा केतु के बीज मंत्र का जाप करना शुरू कर देते हो तो आपको आश्चर्यजनक लाभ देखने को मिलेंगे। याद रहे केतु की कुंडली में स्थिति ख़राब होने पर उसका रत्न लहुस्निया कभी भी धारण मत करें।
केतु बीज मंत्र-Ketu Beej Mantra in Hindi
ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नमः
ॐ कें केतवे नमः
Ketu Beej Mantra in English
Om Sraam Sareem Sarom Sah Ketve Namha.
Om Kem Ketve Namha.
केतु मंत्र साधना की विधि (Ketu Mantra ki vidhi):- आपको जो ऊपर केतु ग्रह के 2 बीज मंत्र दिए गए हैं आप उनमें से किसी एक मंत्र का जाप कर सकते हो| इसकी सम्पूर्ण विधि इस प्रकार है|
* केतु बीज मंत्र का जाप आपने शनिवार या बुधवार दिन से शुरू करना है|
* केतु बीज मंत्र का जाप करने के लिए आपने रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करना है और जाप करने के लिए किसी आसन का प्रयोग अवश्य करना है|
*केतु बीज मंत्र के जाप में यदि संभव हो सके तो पूजा स्थान में केतु यन्त्र को स्थापित करके बीज मंत्र की साधना करें। जब मंत्र साधना सम्पूर्ण हो जाये तो केतु यन्त्र का विसर्जन कर देना है। केतु यन्त्र को खरीदने के लिए सिद्ध केतु यन्त्र पर क्लिक करें।
* पहले दिन जाप शुरू करने से पहले आपने गुरु वंदना, गुरु वंदना और कुलदेवता की वंदना करनी है उसके पश्चात 17000 जाप का संकल्प लेकर जाप शुरू करना है यदि आप संकल्प की विधि नहीं जानते हो तो आप हमारे पेज संकल्प की विधि पर क्लिक करके जानकारी प्राप्त कर सकते हो|
* जाप के आखिर वाले दिन में जाप करते वक़्त केतु से सबंधित वस्तुएं जैसे कम्बल, उड़द, लोहा, लहसुनिया रत्न, सिक्का धातु आपने पूजा में रखना है और बाद में किसी पंडित या जरूरतमंद को दान करना है|
* केतु मंत्र का जाप आप जितनी श्रद्धा और विश्वाश के साथ करोगे उतनी कृपा आपके उपाए ज्यादा होगी|
केतु मंत्र के लाभ (Ketu Beej Mantra Benefits):- केतु ग्रह सन्यास और वैराग्य का कारक ग्रह होता है| केतु ग्रह की कुंडली में ख़राब स्थिति होने से इसकी दशा में व्यक्ति की जिंदगी में उदासीनता, मानसिक परेशानी, कार्यों में विघ्न आदि आने शुरू हो जाते हैं| हिन्दू ग्रंथो में इसके निवारण के लिए केतु के बीज मंत्र का जाप सबसे उत्तम उपाए बताया गया है|
केतु के बीज मंत्र का जाप वैसे भी कोई वी व्यक्ति कर सकता है| इसका जाप व्यक्ति को वैरागी, सन्यासी और धर्म की और आकर्षित करता है|इसके जाप करने से व्यक्ति अनुसंधान (खोज) जैसे कार्यों से प्रसिद्धि प्राप्त करता है| केतु की कुंडली में मजबूत स्थिति व्यक्ति को साइंटिस्ट, तांत्रिक, ज्योतिष जैसे क्षेत्रों में सफलता प्रदान करती है और यदि आप इन क्षेत्रों में सफल होना चाहते हो तो केतु के बीज मंत्र के जाप से सफलता प्राप्त कर सकते हो| केतु ग्रह की यदि व्यक्ति पर कृपा हो जाए तो व्यक्ति को इस संसार के आगे की दुनिया के भी रहस्य मालुम होने शुरू हो जाते हैं|
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नोट- नवग्रहों के बीज मंत्र की विधि|
*सूर्य बीज मंत्र *चंद्र बीज मंत्र *मंगल बीज मंत्र
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