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Showing posts from April, 2020

Brahma Muhurtha Benefits- ब्रह्म मुहर्त में उठने के फायदे

ब्रह्म मुहर्त में उठने के फायदे (Benefits of Brahma Muhrat) ब्रह्म मुहर्त 24 घंटों के 30 मुहर्तों में सबसे उत्तम एवं शुभ मुहर्त होता है| यदि कोई व्यक्ति इस मुहर्त में उठकर कुछ विशेष कार्यशैली बना लें तो उसकी 90 प्रतिशत परेशानियां प्राकृतिक रूप से आपने आप ख़तम होने लगती हैं| हम आगे ब्रह्म मुहर्त में उठने से ध्यान लगाने के लाभ, बिमारिओं से छुटकारा, ब्रम्हरंध्र का सक्रिय होना, पीनियल ग्लैंड(तीसरी आँख) का खुलना जैसे विष्यों पर विस्तार से चर्चा करेंगे| ब्रह्म मुहर्त का सम्य(Brahma Muhurta time) :- ब्रह्म मुहर्त रात के चौथे पहर का मुहर्त होता है| इसका सम्य सुबह 4:24 मिनट से लेकर 5:12 मिनट तक भाव 48 मिनट का होता है| हमारे शास्त्र अनुसार 24 घण्टों में 30 मुहर्त होते हैं और इन 30 मुहर्तों में सबसे श्रेष्ठ और शुभ मुहर्त ब्रह्म मुहर्त होता है| हमारे ऋषि-मुनि इसी मुहर्त में उठकर ध्यान साधना करते थे|  ब्रह्मरंध्रा सक्रिय( BrahmaRandhra Active):- इस मुहर्त की सबसे बड़ी विशेष्ता यह है कि इस सम्य उठने पर हमारा ब्रह्मरंध्रा सक्रिय हो जाता है|ब्रह्मरंध्रा हमारे मस्षिक के ऊपरी भाग के सूक्षम

Lesson-5 उच्च और नीच राशियां, uch aur neech rashiyan

ग्रहों की उच्च और नीच राशियां   Grah ki uch aur Neech Rashi आपने पिछले अध्यय में पढ़ा हैं कि कुंडली के बारह भावों में कोई ना कोई नंबर होता हैं, यह नंबर राशिओं के होते हैं| पिछले अध्यय में आप राशि के नंबरों से उसकी पहचान करना सीख चुके हो| आपने देखा होगा कि कुंडली के बारह भावों में गृह किसी राशि नंबर के साथ होते हैं| ऐसे ही प्रत्येक गृह की एक उच्च और एक नीच राशि होती है, इसकी पहचान करने से पहले आप पिछले अध्याय में जाकर राशि के नंबरों से उनकी पहचान करना सीख लें| यदि कोई गृह अपनी उच्च राशि में बैठा हो तो उसका स्वाभाव अच्छे फल देने का होता है और ज्यादा बलशाली हो जाता है, ऐसे ही गृह अपनी नीच राशि में बुरे फल देता है| नीचे आपको उदाहरण देकर बताएँगे कि कैसे उच्च और नीच गृह की पहचान की जा सकती है| आप ऊपर 2 चित्र देख रहे हो, उसमें चित्र नंबर 1 में सूर्य प्रथम भाव में 1 नंबर राशि( मेष ) के साथ बैठा है, तो यहाँ पर सूर्य उच्च राशि का हुआ|यहाँ पर कोई गृह किसी भी भाव में बैठा हो, मगर आपने उच्च और नीच गृह को उसकी राशि के हिसाब से देखना है, जैसे चित्र नंबर 1 में सूर्य 1 नंबर राशि(मेष) के

Lesson-4 कुंडली के बारह भाव, Kundli ke 12 bhav

  कुंडली के बारह भाव (Kundali ke 12 bhav) चित्र नंबर.1 यह जो आप ऊपर कुंडली के बारह भाव देख रहे हो, असल में यह आकाश को बारह भागों में बांटा गया है| ज्योतिष विज्ञान में आकाश के 360° अंश(Degree) के नक़्शे को कुंडली के बारह भावों को बारह राशिओं में बांटा गया है और प्रत्येक भाव किसी एक राशि का भाव होता है| पंचांग के द्वारा किसी व्यक्ति के जन्म के सम्य और स्थान के मुताबिक उस सम्य ग्रहों की स्थिति के अनुसार व्यक्ति की जन्म लग्न कुंडली बनाई जाती है और उस सम्य अथवा स्थान के हिसाब से उस सम्य जो ग्रहों और राशिओं की स्थिति होती है उसको इस लगन कुंडली में लिखा जाता है| प्रत्येक भाव में कोई गृह 30° अंश(Degree) तक चलता है और फिर अगले भाव में चला जाता है, अंश(Degree) के बारे में हम आगे पढ़ेंगे| कुंडली देखने के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण जन्म लगन कुंडली होती है इसके साथ ही हम व्यक्ति की जन्म के सम्य के ग्रहों की स्थिति देख सकते हैं|ऊपर जैसे हमने कुंडली दिखाकर बताया है के भावों को कुंडली में लिखते कैसे हैं, अपने इस प्रथम भाव से द्वादश भाव तक कैसे क्रमांक इन भावों की गणता करनी है यह अच्छी तरह जान

Lesson-3 पंचांग, Panchang

पंचांग (Panchang) पंचांग :- ज्योतिष शास्त्र में पंचांग का बहुत ज्यादा महत्व है,ज्योतिष शास्त्र में इसकी जानकारी होना बहुत जरुरी होता है| पंचांग में ज्योतिष शास्त्र के प्रमुख पांच अंग होते हैं, जिसके द्वारा किसी व्यक्ति की कुंडली का गणित किया जाता है और रोज़ाना के पंचांग से हम मुहर्त आदि का विचार करते हैं|   पंचांग के पांच अंग ( Panchang ke paanch ang) : तिथि, नक्षत्र, योग, करण और वार पंचांग के पांच अंग होते है, आगे एक एक करके इनके ऊपर विचार किया जाएगा| तिथि( Tithi): -तिथि से सूर्य और चंद्र के बीच की दूरी का ज्ञात होता है| पंचांग में सबसे पहले तिथि को देखा जाता है, चंद्रमास के महीने को तिथि कहा जाता है| चंद्र मास में एक महीने में 30 दिन होते है, कई बार एक दिन ज्यादा कम भी हो जाता है| एक महीने में 2 पक्ष होते हैं, एक को शुकल पक्ष कहते हैं और दूसरे को कृष्ण पक्ष| इन दोनों पक्षों में 15-15 दिन होते हैं, जैसे शुकल पक्ष के पहले दिन को शुकल पक्ष प्रतिपदा कहते हैं वही कृष्ण पक्ष के पहले दिन को कृष्ण पक्ष प्रतिपदा कहते हैं|शुकल प्रतिपदा से 15 दिन पूर्णिमा तक चंद्र धीरे धीरे बढ़ता

हनुमान रक्षा शाबर मंत्र, Hanuman Raksha Shabar Mantra

                    हनुमान रक्षा शाबर मंत्र हनुमान जी की साधना एक ऐसी साधना है, जिसके कुछ दिन करने पर ही आपको तरह-तरह की अनुभूतियाँ होनी शुरू हो जाती हैं | यदि किसी के ऊपर हनुमान जी की कृपा हो जाए तो उस व्यक्ति को किसी भूत-प्रेत, बुरी गृह दशा यहाँ तक के काल का भय भी नहीं रहता है , हनुमान जी के साधक का तीनों लोक में कोई अनिष्ट नहीं कर सकता| जब हम रोज़ाना उनकी साधना करने लग जाते हैं तो हमारे ऊपर उनकी प्रत्यक्ष रूप में कृपा होनी शुरू हो जाती है |  हम यहाँ पर आपको हनुमान जी का ऐसा रक्षा शाबर मंत्र बताएँगे, जिसकी साधना करके आप उनकी कृपा के पात्र बन पाओगे,  अतः अपनी और अपने परिवार की रक्षा कर सकोगे | इस मंत्र से आप दुनिया का भी भला कर सकते हो | यहाँ पर एक बात यह भी समझ लीजिए कि हनुमान जी के साधक बनना इतना आसान भी नहीं है, उनकी साधना करने के भी कुछ नियम हैं | यदि आप इन नियमों का पालन नहीं करते हो तो आपकी साधना कभी भी सफल नहीं हो सकती और आप हनुमान जी की कृपा के पात्र कभी नहीं बन सकते | हनुमान साधना के नियम :- वैसे तो हनुमान जी की शाबर मंत्र साधना में इतने विधि विधान नहीं होते, मग

शाबर मंत्र की परिभाषा , What is Shabar Mantra

शाबर मंत्र साधना - What is Shabar Mantra शाबर मंत्र की परिभाषा (What is Shabar Mantra)- आजकल के सम्य में हर कोई ऐसी साधना करना चाहता है जिसका उसको तुरंत फल प्रदान हो |इनके लिए यह शाबर मंत्र साधना सबसे सरल और शीघ्र सिद्ध होने वाली साधना है | कई बार हमारे किसी कार्य में ऐसी बांधा आ जाती है कि हर तरह का प्रयत्न करने पर भी कार्य सिद्ध नहीं होता है, इस तरह की बांधा को दूर करने के लिए शाबर मंत्र साधना सबसे उत्तम साधना है | इसके द्वारा आप अपना कोई भी कार्य आसानी से सिद्ध कर सकते हो |  शाबर मंत्र साधना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह मंत्र कीलक नहीं होते हैं, अर्थात इनको जागृत करने की आवश्यकता नहीं होती है, यह मंत्र स्वम-सिद्ध होते हैं | शाबर मन्त्रों को आप बिना किसी विशेष विधि विधान से सिद्ध कर सकते हो | जैसे वैदिक मंत्र साधना में बहुत विधि विधानों को ध्यान में रखकर साधना करनी पड़ती है और वैदिक मन्त्रों में विशेष आसन, विशेष माला, विशेष सम्य, विशेष मंत्र उत्कीलन विधि अपनानी पड़ती है और यह मंत्र सिद्ध होने में सम्य भी अधिक लगता है | मगर शाबर मंत्र साधना में इसकी जरुरत नहीं होती | दूसरी

Lesson-2 नवग्रह और नक्षत्र, 9 Planets and Nakshatra

   नवग्रह और नक्षत्र 9 Planets and Nakshatras नवग्रह और नक्षत्र (9 Planets and Nakshatras)- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गृह 9 प्रकार के होते है, इसमें से 7 गृह दृश्यमान है जब के राहु और केतु दिखाई नहीं देते इनको छाया गृह कहा जाता है |राहु और केतु का अपना कोई अस्तित्व नहीं है, यह कुंडली में जिस भाव में जिस गृह के साथ बैठ जाते है, यह उस गृह के अनुसार फल देते हैं |ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को भी गृह ही माना है | ग्रहों के नाम- Name of Nine Planets सूर्य         Sun चंद्र         Moon मंगल      Mars  बुध         Mercury बृहस्पति  Jupiter शुक्र       Venus शनि       Saturn राहु        Rahu केतु        Ketu देव गृह और दानव गृह  देव गृह                  दानव गृह  सूर्य                       शुक्र  चंद्र                       शनि  मंगल                     राहु  बृहस्पति                केतु           बुध  यहाँ पर ऊपर देव गृह और दानव गृह का विवरण दिया गया है, यहाँ समझने वाली बात है के देव गृह और दानव गृह के दो समूह है, इन

Lesson-1 ज्योतिष शास्त्र क्या है? What is Astrology?

ज्योतिष शास्त्र क्या है ? What is astrology ज्योतिष शास्त्र क्या है (What is Astrology)-  ज्योतिष शास्त्र एक ऐसा विष्य है जिसके द्वारा ग्रहो की स्थिति, उनकी धरती से दूरी,  उनका अंश (Degree) और ऐसे ही ग्रहो और नक्षत्रों के मानव और पृथ्वी पर पड़ने वाले प्रभावों को जाना जाता है | ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब कोई व्यक्ति जन्म लेता है तब उस सम्य और स्थान पर सभी 9 ग्रहों की क्या स्थिति है उसके हिसाब से किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली बनती है, उस सम्य और स्थान में जो ग्रहों की स्थिति भाव, उनका अंश, ग्रहों की योग कारक अथवा मारक स्थिति होती है उसी हिसाब से व्यक्ति की जन्म कुंडली बनती है| यह कुंडली व्यक्ति के 12 भावों को दर्शाती है, जैसे पहला भाव व्यक्ति के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ होता है यदि ज्योतिष के हिसाब से किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य देखना हो तो उस व्यक्ति के पहले भाव पर विचार किया जाता है, पहले भाव में कौन से गृह है, उनकी दृष्टि कौन से घर पर पड़ रही है, उस गृह का अंश क्या है, गृह सूर्य के साथ अस्त तो नहीं है, गृह मारक है या योग कारक इन सभी बातों का विश्लेषण करके उस व्यक्ति के स्वास्थ्य के