सर्व-देवता हवन मंत्र
Mantra for Havan in Hindi.
हवन शुरू करने की विधि और मंत्र- यह पढ़ने से पहले आप यह जान लें कि यह सर्वतो-भद्रमंडल देवतानां हवन की विधि है और यदि आप हवन करने की सम्पूर्ण विधि की जानकारी चाहते हो तो आप हमारे पेज सरल हवन विधि पर क्लिक करके प्राप्त कर सकते हो।
सर्व देवता हवन मंत्रों से सभी देवताओं, नवग्रहों, स्वर्ग-देवताओं, सप्त-ऋषिओं, स्वर्ग अप्सराओं, सभी समुन्द्र देवताओं, नवकुल-नागदेवता आदि को आहुतियां देकर प्रसन्न कर सकते हो| यह जो आपको नीचे मंत्र बताए गए हैं इन मंत्रों के हवन को सर्वतो-भद्रमंडल देवतानां होम: कहते हैं|
हमारे हिन्दू ग्रंथों में 4 प्रकार के यज्ञ प्रत्येक व्यक्ति को करने के लिए कहा गया है| यह 4 यज्ञ इस प्रकार हैं, 1. देव यज्ञ 2. भूत यज्ञ 3. मनुष्य यज्ञ 4. पितृ यज्ञ| देव यज्ञ में सभी देवताओं को अग्नि में आहुति देकर अग्नि देव की पत्नी स्वाहा के द्वारा देवताओं तक भोग सामग्री पहुंचाई जाती है| यह सभी देवता इससे प्रसन्न होकर व्यक्ति को संसारिक भोग का सुख प्रदान करते हैं और उसको सुखों की प्राप्ति होती है| यह सर्व-देव यज्ञ से घर की नकारत्मक ऊर्जा नष्ट होती है और सकारत्मक शक्ति का संचार होता है| ऐसे ही भूत यज्ञ में पशु-पक्षियों को प्रत्येक व्यक्ति को अपने भोजन से कुछ हिस्सा दान करना चाहिए| मनुष्य यज्ञ में गरीब और जरूरतमंद लोगों को भोजन खिलाना चाहिए और आखिर में पितृ यज्ञ में हमारे पूर्वजों के लिए पिंड-दान और अन्न-दान किया जाता है| हिन्दू धर्म में यह चारों यज्ञों को करना प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य होता है| हम आपको नीचे सर्व-देवताओं के मंत्र बताते हैं| इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए अग्नि में आहुति देकर हवन करना चाहिए| इस हवन क्रिया के लिए आपको किसी पंडित की आवश्यकता नहीं है| यदि आप हवन की विधि नहीं जानते हो तो पहले आप हमारे पेज सरल हवन विधि पर क्लिक करके हवन करने की सरल पूर्ण विधि की जानकारी प्राप्त कर सकते हो|
सबसे पहले ॐ केशवाय: नमः, ॐ माधवाये: नमः, ॐ नारायणाय: नमः बोलते हुए आचमन करें और इसके बाद थोड़ा जल लेकर हाथ शुद्ध करने हैं और एक द्रुभ से गंगाजल से नीचे दिए मंत्र को पढ़ते हुए खुद पर और चारों और छिड़क कर शुद्धि करनी है|
हवन से पहले शुद्धि का मंत्र- ॐ अपवित्र: पवित्रो सर्वावस्थां गतोपिवा य: स्मरेत पुण्डरीकाक्ष स: वाह्यभ्यतरे: शुचि:|
इसके बाद आपने नीचे दिए हुए अग्नि प्रज्वल करने का मंत्र पढ़ते हुए कपूर से अग्नि को प्रज्वलित कर लेना है|
अग्नि प्रज्वल करने का मंत्र:- चंद्रमा मनसो जात: तच्चक्षो: सूर्यअजायत श्रोताद्वायुप्राणश्च मुखादार्गिनजायत|
इसके बाद नीचे दिए हुए मंत्रों को पढ़ते हुए आहुति डालते जाना है|
सर्व-देवता हवन मंत्र-Mantra for Havan
ॐ गणपते स्वाहा
ॐ ब्रह्मणे स्वाहा
ॐ ईशानाय स्वाहा
ॐ अग्नये स्वाहा
ॐ निऋतये स्वाहा
ॐ वायवे स्वाहा
ॐ अध्वराय स्वाहा
ॐ अदभ्य: स्वाहा
ॐ नलाय स्वाहा
ॐ प्रभासाय स्वाहा
ॐ एकपदे स्वाहा
ॐ विरूपाक्षाय स्वाहा
ॐ रवताय स्वाहा
ॐ दुर्गायै स्वाहा
ॐ सोमाय स्वाहा
ॐ इंद्राय स्वाहा
ॐ यमाय स्वाहा
ॐ वरुणाय स्वाहा
ॐ ध्रुवाय स्वाहा
ॐ प्रजापते स्वाहा
ॐ अनिलाय स्वाहा
ॐ प्रत्युषाय स्वाहा
ॐ अजाय स्वाहा
ॐ अर्हिबुध्न्याय स्वाहा
ॐ रैवताय स्वाहा
ॐ सपाय स्वाहा
ॐ बहुरूपाय स्वाहा
ॐ सवित्रे स्वाहा
ॐ पिनाकिने स्वाहा
ॐ धात्रे स्वाहा
ॐ यमाय स्वाहा
ॐ सूर्याय स्वाहा
ॐ विवस्वते स्वाहा
ॐ सवित्रे स्वाहा
ॐ विष्णवे स्वाहा
ॐ क्रतवे स्वाहा
ॐ वसवे स्वाहा
ॐ कामाय स्वाहा
ॐ रोचनाय स्वाहा
ॐ आर्द्रवाय स्वाहा
ॐ अग्निष्ठाताय स्वाहा
ॐ त्रयंबकाय भूरेश्वराय स्वाहा
ॐ जयंताय स्वाहा
ॐ रुद्राय स्वाहा
ॐ मित्राय स्वाहा
ॐ वरुणाय स्वाहा
ॐ भगाय स्वाहा
ॐ पूष्णे स्वाहा
ॐ त्वषटे स्वाहा
ॐ अशिवभ्यं स्वाहा
ॐ दक्षाय स्वाहा
ॐ फालाय स्वाहा
ॐ अध्वराय स्वाहा
ॐ पिशाचेभ्या: स्वाहा
ॐ पुरूरवसे स्वाहा
ॐ सिद्धेभ्य: स्वाहा
ॐ सोमपाय स्वाहा
ॐ सर्पेभ्या स्वाहा
ॐ वर्हिषदे स्वाहा
ॐ गन्धर्वाय स्वाहा
ॐ सुकालाय स्वाहा
ॐ हुह्वै स्वाहा
ॐ शुद्राय स्वाहा
ॐ एक श्रृंङ्गाय स्वाहा
ॐ कश्यपाय स्वाहा
ॐ सोमाय स्वाहा
ॐ भारद्वाजाय स्वाहा
ॐ अत्रये स्वाहा
ॐ गौतमाय स्वाहा
ॐ विश्वामित्राय स्वाहा
ॐ वशिष्ठाय स्वाहा
ॐ जमदग्नये स्वाहा
ॐ वसुकये स्वाहा
ॐ अनन्ताय स्वाहा
ॐ तक्षकाय स्वाहा
ॐ शेषाय स्वाहा
ॐ पदमाय स्वाहा
ॐ कर्कोटकाय स्वाहा
ॐ शंखपालाय स्वाहा
ॐ महापदमाय स्वाहा
ॐ कंबलाय स्वाहा
ॐ वसुभ्य: स्वाहा
ॐ गुह्यकेभ्य: स्वाहा
ॐ अदभ्य: स्वाहा
ॐ भूतेभ्या स्वाहा
ॐ मारुताय स्वाहा
ॐ विश्वावसवे स्वाहा
ॐ जगत्प्राणाय स्वाहा
ॐ हयायै स्वाहा
ॐ मातरिश्वने स्वाहा
ॐ धृताच्यै स्वाहा
ॐ गंगायै स्वाहा
ॐ मेनकायै स्वाहा
ॐ सरय्यवै स्वाहा
ॐ उर्वस्यै स्वाहा
ॐ रंभायै स्वाहा
ॐ सुकेस्यै स्वाहा
ॐ तिलोत्तमायै स्वाहा
ॐ रुद्रेभ्य: स्वाहा
ॐ मंजुघोषाय स्वाहा
ॐ नन्दीश्वराय स्वाहा
ॐ स्कन्दाय स्वाहा
ॐ महादेवाय स्वाहा
ॐ भूलायै स्वाहा
ॐ मरुदगणाय स्वाहा
ॐ श्रिये स्वाहा
ॐ रोगाय स्वाहा
ॐ पितृभ्या स्वाहा
ॐ मृत्यवे स्वाहा
ॐ दधि समुद्राय स्वाहा
ॐ विघ्नराजाय स्वाहा
ॐ जीवन समुद्राय स्वाहा
ॐ समीराय स्वाहा
ॐ सोमाय स्वाहा
ॐ मरुते स्वाहा
ॐ बुधाय स्वाहा
ॐ समीरणाय स्वाहा
ॐ शनैश्चराय स्वाहा
ॐ मेदिन्यै स्वाहा
ॐ केतवे स्वाहा
ॐ सरस्वतयै स्वाहा
ॐ महेश्वर्य स्वाहा
ॐ कौशिक्यै स्वाहा
ॐ वैष्णव्यै स्वाहा
ॐ वैत्रवत्यै स्वाहा
ॐ इन्द्राण्यै स्वाहा
ॐ ताप्तये स्वाहा
ॐ गोदावर्ये स्वाहा
ॐ कृष्णाय स्वाहा
ॐ रेवायै पयौ दायै स्वाहा
ॐ तुंगभद्रायै स्वाहा
ॐ भीमरथ्यै स्वाहा
ॐ लवण समुद्राय स्वाहा
ॐ क्षुद्रनदीभ्या स्वाहा
ॐ सुरा समुद्राय स्वाहा
ॐ इक्षु समुद्राय स्वाहा
ॐ सर्पि समुद्राय स्वाहा
ॐ वज्राय स्वाहा
ॐ क्षीर समुद्राय स्वाहा
ॐ दण्डार्ये स्वाहा
ॐ आदित्याय स्वाहा
ॐ पाशाय स्वाहा
ॐ भौमाय स्वाहा
ॐ गदायै स्वाहा
ॐ पदमाय स्वाहा
ॐ बृहस्पतये स्वाहा
ॐ महाविष्णवे स्वाहा
ॐ राहवे स्वाहा
ॐ शक्त्ये स्वाहा
ॐ ब्रह्मयै स्वाहा
ॐ खंगाय स्वाहा
ॐ कौमार्ये स्वाहा
ॐ अंकुशाय स्वाहा
ॐ वाराहै स्वाहा
ॐ त्रिशूलाय स्वाहा
ॐ चामुण्डायै स्वाहा
ॐ महाविष्णवे स्वाहा|
ॐ गणपते स्वाहा से शुरू करके आपने ॐ महाविष्णवे स्वाहा तक मंत्र का उच्चारण करते हुए हवन की आहुति देनी है|
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नोट- नवग्रहों के बीज मंत्र की विधि|
*सूर्य बीज मंत्र *चंद्र बीज मंत्र *मंगल बीज मंत्र
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