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Showing posts from April, 2021

गणेश बीज मंत्र साधना विधि और महत्व - Ganesh (Ganpati) Mantra Sadhna in Hindi

गणेश बीज मंत्र साधना विधि और महत्व  Ganesh(Ganpati) Mantra Sadhna in Hindi गणेश बीज मंत्र साधना का महत्व - 33 कोटि देवताओं में से सबसे प्रथम स्थान गणेश भगवान को प्राप्त है। हिन्दू  धर्म  में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले गणेश भगवान को पूजा जाता है। गणेश भगवान रिद्धि और सिद्धि के देवता हैं। जो भी व्यक्ति इनकी शरण में आता है  उनके सभी कार्य   आपने आप सिद्ध होने शुरू हो जाते हैं।   भगवान गणेश जी को बुद्धि का देवता भी कहा जाता है। इनकी भक्ति करने से व्यक्ति की बुद्धि की क्षमता बहुत बढ़ जाती है। यदि कोई व्यक्ति गौरी पुत्र गणेश जी को इष्ट मान कर इनके बीज मंत्र की साधना निरंतर रूप से करना शुरू कर देता है तो उस व्यक्ति से सभी कार्य संपन्न होने शुरू हो जाते हैं और वह व्यक्ति संसार में एक अलग शवि से पहचाना जाता है। हम आपको गणेश भगवान के बीज मंत्र की सम्पूर्ण और सरल साधना की विधि बताते हैं। यदि आप श्रद्धा और विश्वास से यह साधना प्रारम्भ कर देते हो तो आप बहुत जल्द गणपति भगवान की कृपा के पत्र बन सकते हो।  गणेश मंत्र साधना विधि - Ganesh Mantra Sadhna Vidhi सामग्री:-  गणेश यन्त्र या गणेश भगवान की प्रत

कुंडली में शुभ कर्तरी योग - Shubh Kartari yoga in kundali in hindi

कुंडली में  शुभ कर्तरी योग  Shubh Kartari yoha in kundali in hindi शुभ कर्तरी योग क्या है (What is Shubh Kartari Yoga)- जब जन्म कुंडली के किसी भाव  से  एक भाव आगे और एक भाव पीछे सौम्य ग्रह बैठे हो तब उस भाव से शुभ कर्तरी योग बनता है।  यदि आपको सौम्य, क्रूर और पापी ग्रहों की जानकारी नहीं है तो आप हमारे पेज सौम्य और क्रूर ग्रह पर क्लिक करके प्राप्त कर सकते हो।  जिस भाव से शुभ कर्तरी योग बन रहा होता है यदि उस भाव में कोई ग्रह बैठा हो वह भी शुभ कर्तरी के प्रभाव में आ जाता है। जन्म कुंडली के जिस भाव में शुभ कर्तरी योग बनता है उस भाव के फलों की प्राप्ति बहुत कम संघर्ष करने पर ही हो जाती है और उस भाव से सम्बंधित फल बहुत सुगमता और शीघ्रता से प्राप्त होते हैं। ऐसे ही कुंडली के जिस भाव से भी शुभ कर्तरी योग बनता है उस भाव के फल बाहर शीघ्रता और सुगमता से प्राप्त होते हैं। हम आपको नीचे उदाहरण देकर समझते हैं कि जन्म कुंडली में कैसे शुभ कर्तरी योग बनता है और यह योग कब भंग हो जाता है। शुभ कर्तरी योग कैसे बनता है - How is Shubh Kartari yoga formed? जैसे आप ऊपर दिए हुए जन्म कुंडली के चित्र में देख रहे

कुंडली में पाप कर्तरी योग - Paap Kartari Yoga in kundali in hindi

कुंडली में पाप कर्तरी योग  Paap Kartari Yoga in kundali in hindi पाप कर्तरी योग क्या है (What is Paap Kartari Yoga) - कर्तरी का शाब्दिक अर्थ होता है काटना या कुतरना। कुंडली में जब किसी भाव के एक घर आगे और एक घर पीछे क्रूर या पापी ग्रह बैठे हो तब उस भाव से पाप कर्तरी योग बनता है। जब किसी भाव के एक घर आगे और एक घर पीछे दोनों और क्रूर या पापी ग्रह बैठे हों तब उस भाव के फल संघर्ष और परेशानी से प्राप्त होते हैं। मगर यहाँ पर किसी भाव के अगले और पिछले भाव में सिर्फ क्रूर या पापी ग्रह होने से यह योग बनता है यदि किसी भाव के अगले और पिछले भाव में क्रूर या पापी ग्रह के साथ कोई सौम्य ग्रह भी बैठा हो तब यह दोष नहीं लगता है।  जिस भाव से पाप कर्तरी योग बन रहा हो यदि उस भाव में कोई ग्रह भी बैठा हो तब वह भी पाप कर्तरी योग या दोष के प्रभाव में आ जाता है और उस ग्रह के कारकत्वों और भाव से जुड़े फल संघर्ष और मुश्किलों से प्राप्त होते हैं। आपको पता ही होगा कि कुंडली में क्रूर और पापी ग्रह चाहे योग कारक ही क्यों ना हों पर वह अपना नैसर्गिक स्वाभाव नहीं छोड़ते हैं। यदि आपको क्रूर, पापी और सौम्य ग्रहों के कुंडली

कुंडली में सरस्वती योग - Saraswati yoga in kundali in hindi

कुंडली में सरस्वती योग  Saraswati Yog in kundali in hindi कुंडली में सरस्वती योग (Saraswati Yoga in Kundali)-  कुंडली में गुरु, बुध और शुक्र से सरस्वती योग का निर्माण होता है। यह तीनों ग्रह ज्ञान और बुद्धि के कारक ग्रह माने जाते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में यह सरस्वती योग बनता है तो वह व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र में बहुत कुशल होगा और उसकी बहुत तीक्षण होगी। यह योग व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता को बहुत बड़ा देता है। जिसकी कुंडली में सरस्वती योग प्रबल बनता है वह व्यक्ति अपनी बुद्धि और अपनी कुशलता से दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनता है। कुंडली में सरस्वती योग जितना प्रबल बनेगा इसका उतना फल अधिक देखने को मिलेगा। हम आपको आगे सरस्वती योग बनाने वाले सभी नियमों के बारे में बताते हैं और यह योग कुंडली में भंग कैसे हो जाता है उसकी जानकारी भी देते हैं।  सरस्वती योग कैसे बनता है - How is Saraswati Yog formed? किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में जब गुरु, बुध और शुक्र ग्रह लग्न से 1, 2, 4, 5, 7, 9 या 10 वें भावों में अलग-अलग या एक साथ बैठे हों और साथ में कुंडली में गुरु ग्रह

माँ काली चालीसा - Maa Kali Chalisa in hindi

माँ काली चालीसा  Maa Kali Chalisa in hindi दोहा  जय जय सीताराम के मध्यवासिनी अम्ब, देहु दर्श जगदम्ब अब, करो न मातु विलम्ब, जय तारा जय कलिका जय जय विद्या वृन्द,  काली चालीसा रचित एक सिद्धि कवि हिन्द,  प्रातः उठ जो पढ़े, दुपहरिया या शाम,  दुःख दरिद्र दूर हो, सिद्ध होए सब काम।  चालीसा  जय काली कंकाल मालिनी, जय मंगला महा कपालिनी।  रक्तबीज बधकारिणी माता, सदा भक्त-जन की सुखदाता।  शिरो मालिका भूषित अंगे, जय काली जय मध्य मतंगे।  हर हृदा रविन्द सविलासिनी, जय जगदम्बा सकल दुःख नाशिनी।  ह्रीं काली श्रीं महा कराली, क्रीं कल्याणी दक्षिण काली।  जय कलावती जय विद्यावती, जय तारा सुंदरी महामति।  देहु सबुद्धि हरहु सब संकट, होहु भक्त के आगे प्रगट।  जय ओमकारे जय हुंकारे, महाशक्ति जय के अपरम्पारे।  कमला कलयुग दर्प विनाशिनी , सदा भक्तजन के भयनाशिनी।  अब जगदम्ब ना देर लगावहु, दुःख-दरिद्रता मोर हटावहु। जयति कराल कलिका माता, कालानल समान धूतिगाता।  जयशंकरी शुरेशि सनातनि, कोटि सिद्धि कवि मातु पुरा तनि।  कपर्दिनी कलि कल्प बिमोचिनी, जय विकसित नव नलिनबिलोचिनी।  आनंद-करणी आनंद निधाता, देहु मातु मोहि निर्मल ज्ञाता।  करु

कुंडली में गजकेसरी योग का निर्माण- Gajakesari Yoga in kundali in hindi

कुंडली में गजकेसरी योग का निर्माण Gajakesari Yoga in kundali in hindi गजकेसरी योग क्या है (What is Gajkesari Yog)- कुंडली में गुरु और चंद्र ग्रह से गजकेसरी योग बनता है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु और चंद्र ग्रह किसी भाव में एक साथ बैठे हो या जन्म कुंडली में गुरु ग्रह से चंद्र चौथे, सातवें या दसवें भाव में हो तब गजकेसरी योग का निर्माण होता है। मगर यह योग बनने के लिए काफी नियम लागू होते हैं। यदि जन्म कुंडली में यह नियम और शर्तें पूरी होती हैं तभी प्रबल योग समझा जाता है अन्यथा सिर्फ कुंडली में गुरु और चंद्र ग्रह की युति या गुरु से चौथे, सातवें या दसवें घर में चंद्र के बैठने से यह योग नहीं बनता है। हम आपको आगे गजकेसरी योग बनाने वाले नियम की पूर्ण जानकारी देते हैं।  गजकेसरी योग का अर्थ होता है जैसे हाथिओं के झुंड में अकेला शेर चलता है। यह योग चंद्र पर गुरु के प्रभाव से बनता है। जैसे आपको पता है चंद्र हमारे मन का कारक है और जब चंद्र पर गुरु का ऐसा प्रभाव या युति बनती है तो गुरु के कारकत्व व्यक्ति के मन को प्रभावित करते हैं। कुंडली में ऐसा योग बनने वाले व्यक्ति महान और प्रतिष्ठित व्यक्

कुंडली में महाभाग्य योग - Mahabhagya Yog in Kundali in hindi

कुंडली में महाभाग्य योग  Mahabhagya Yog in Kundali कुंडली में महाभाग्य योग- कुंडली में महाभाग्य योग एक ऐसा योग है जिसकी कुंडली में यह योग पूर्ण रूप से बनता है। वह व्यक्ति ज़िंदगी में हर मुकाम को प्राप्त करने की क्षमता रखता है। कुंडली में महाभाग्य योग बनने वाले व्यक्ति को ज़िंदगी में चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं मगर फिर भी ऐसे व्यक्ति की किस्मत उसका ऐसा साथ देती है कि उसके सभी कार्य सम्पूर्ण जरूर होते हैं। ऐसा योग बनने वाले व्यक्ति कि बारे में दुनिया यदि सोच रखती है कि इस व्यक्ति की किस्मत बहुत अच्छी है। महाभाग्य योग पुरुष और स्त्री को दोनों की कुंडली में अलग-अलग नियमों से बनता है। हम आपको आगे महाभाग्य योग बनाने वाले सभी नियमों की जानकारी देते हैं और साथ कुंडली में यह योग भंग कैसे होता है उसकी जानकारी भी देते हैं।  पुरुष की कुंडली में महाभाग्य योग  पहला नियम - पहला नियम यह है कि कुंडली में महाभाग्य योग होने के लिए पुरुष की कुंडली में लग्न भाव, सूर्य और चंद्र ग्रह विषम राशिओं में होने चाहिए अर्थात इनकी राशि 1, 3, 5, 7, 9  और 11  होनी चाहिए।  जैसे आप ऊपर चित्र नंबर. 1 में देख रहे हो कि यह

कुंडली में केमद्रुम योग का प्रभाव - kemdrum yog in kundali in hindi

कुंडली में केमद्रुम योग का प्रभाव  Kemdrum yog effect and remedies in hindi कुंडली में केमद्रुम योग का प्रभाव - कुंडली में कई तरह के अच्छे और बुरे योग बनते हैं। उनमें से एक केमद्रुम योग है जो कि एक बहुत बुरा योग है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में यह योग बनता है तो उस व्यक्ति का मन सदैव संसार से उखड़ा रहता है अर्थात उसका मन किसी भी कार्य में नहीं लगता है। उसको ज़िंदगी में अकेला महसूस होता है और ऐसे व्यक्तिओं को किसी भी क्षेत्र में महारथ हासिल करने में बहुत मुश्किल होती है। केमद्रुम योग बनने से व्यक्ति को ज़िंदगी में आगे बढ़ने में बहुत मुश्किल होती है। जिन कुंडलियों में यह योग बनता दिखाई देता है, यदि उन कुंडलिओं में सभी नियम लगाकर देखे जाए तो ज्यादातर कुंडलिओं में यह केमद्रुम योग भंग हो जाता है। हम आपको आगे सभी नियम बताकर समझाते हैं कि कुंडली में केमद्रुम योग बनता कैसे हैं और यह योग भंग कैसे होता हैं।  केमद्रुम योग क्या है - केमद्रुम योग को हमेशा चंद्र कुंडली से देखना चाहिए। यदि चंद्र कुंडली में लग्न भाव में चंद्र ग्रह अकेला बैठा हो और उससे दूसरे भाव अर्थात अगले भाव में कोई ग्रह न बैठा

कुंडली में विष योग - Vish Yoga in Kundali in hindi

कुंडली में विष योग  Vish Yoga in Kundali in hindi कुंडली में विष योग कैसे देखे - कुंडली में नकारत्मक बनने वाले योगों में से विष योग एक बहुत नकारत्मक योग है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में प्रबल विष योग बनता है तो उस व्यक्ति को मानसिक परेशानी, कार्यों में विघन, कुंडली के जिस भाव में विष योग बन रहा हो उससे सम्बंधित फलों में रूकावट आती है।  कुंडली में विष योग शनि और चंद्र की युति होने पर बनता है। मगर किसी भाव में सिर्फ शनि और चंद्र ग्रह की युति मात्र होने से विष योग नहीं बनता है, उसके लिए कुछ शर्तों का होना बहुत जरुरी होता है। कई कुंडलिओं में यह योग बनता तो दिखाई देता है, मगर यदि उनके ऊपर सभी नियम लगाकर देखे तो ज्यादातर कुंडलिओं में यह योग भंग हो जाता है। हम आपको आगे विष योग बनाने वाले सारे नियमों के बारे में बताते हैं और साथ में यह योग भंग कैसे होता है, उसके बारे में भी सम्पूर्ण जानकारी देते हैं। साथ में आपको विष योग का समाधान क्या करना है उसके बारे में भी बताते हैं।  विष योग बनाने वाले नियम  How to check vish yog in kundali चंद्र का निर्बल होना और शनि का मारक होना - यदि कुंडली में शनि ग

सुर सुंदरी यक्षणी साधना विधि- Sur Sundari Yakshini Mantra Sadhna

सुर सुंदरी यक्षणी साधना विधि Sur Sundari Yakshini Mantra Sadhna  सुर सुंदरी यक्षणी साधना की सम्पूर्ण  विधि - सभी यक्षणी साधनाओं में से सुर सुंदरी देवी की साधना बहुत अहम स्थान रखती है। यह साधना प्रतिष्ठा, भौतिक सुख, सम्पति, धन, तेज़, आकर्षण प्रदान करने वाली साधना है। कई लोगों ने यक्षणी साधनाओं के बारे में बहुत मिथ्या और डरावनी बातों का विख्यान करके लोगों को इन यक्षणी साधनाओं से बहुत दूर कर दिया है। मगर सच तो यही है कि जैसे हम अन्य देवी-देवताओं की साधना करके उनकी कृपा प्राप्त करते हैं, वैसे ही यह यक्षणीयां भी हमें देवताओं की भांति प्रसन्न होकर वरदान देती हैं। इन यक्षणी साधना की विशेषता यह है कि यह बहुत शीघ्र फल प्रदान करने वाली साधना है। यदि कोई साधक इनकी साधना पूर्ण निष्ठा और विश्वास से शुरू कर दे तो उसे अलौकिक अनुभूतियाँ होने लगती हैं और यक्षणी देवी प्रसन्न होकर उसे मन-इच्छित वरदान देती हैं।  आपका एक और भ्रम दूर कर दें कि यक्षणी का प्रत्यक्षीकरण करना कोई आसान बात नहीं है। जैसा आप ज्यादातर किताबों में पढ़ते हैं कि 21, 30 या 40 दिन साधना करने से सुर सुंदरी यक्षणी व्यक्ति के सामने प्रत्यक्ष