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Showing posts from October, 2020

12 राशियों को कुंडली में कैसे देखे- 12 Rashi in kundali

12 राशियों को कुंडली में कैसे देखे  12 Rashiyan in kundali कुंडली में 12 राशियों का महत्व (12 Rashi in Kundali):- ज्योतिष शास्त्र में 12 राशियों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ज्योतिष शास्त्र की गणता हमारे आकाशमण्डल में ग्रहों की स्थिति और चाल के आधार पर की जाती है और यह 9 ग्रह हमारे आकाशमण्डल में अलग-अलग दुरी और गति से 360° अंश (डिग्री) पर भ्रमण करते रहते हैं। जब यह ग्रह 360° अंश (डिग्री) से आकाश में भ्रमण करते हैं तो आकाश में इनकी दूरी और स्थिति का ज्ञात हम राशियों और नक्षत्रों से लगाते हैं कि किस समय और स्थान पर किसी ग्रह की स्थिति क्या है।  हम आपको सरल तरीके से समझते हैं कि हमारे आकाशमण्डल में राशियों का क्या महत्व है? जैसे आप जानते हो कि हमारे आकाशमण्डल में 9 ग्रह 360° अंश (डिग्री) में भ्रमण करते रहते हैं और इन सभी ग्रहों की चलने की गति और पृथ्वी से दूरी अलग-अलग होती है और ज्योतिष शास्त्र में इन ग्रहों की पृथ्वी से दूरी और चलने की गति का ज्ञात करने के लिए सम्पूर्ण आकाशमण्डल को 12 भागों में बाँट दिया गया है और उन 12 भागों को राशिओं का नाम दिया गया है। ज्योतिष शास्त्र में नवग्रह

How to Meditation in hindi-ध्यान साधना कैसे करें

How to Meditation in Hindi ध्यान साधना कैसे करें  ध्यान का अर्थ (Meaning of Meditation in hindi):- यदि कोई व्यक्ति अंदर से शांति प्राप्त करना चाहता है तो वह केवल ध्यान की प्रक्रिया के द्वारा ही इस आनंदित अनुभूति को प्राप्त कर सकता है| ध्यान (Meditation) हमें वर्तमान में लेकर आता है और आनंद की प्राप्ति सिर्फ वर्तमान में ही होती है| इस संसार में प्रत्येक व्यक्ति या तो अपने भूतकाल (गुजरे हुए सम्य) के बारे में सोचता रहता है या फिर भविष्य (आने वाले सम्य) को लेकर चिंतित रहता है| यह हमारा जो मन है हमेशा इन दोनों अवस्थाओं में रहता है और यह दोनों अवस्थाएं  हमें केवल चिंतित ही करती हैं| हम अपने गुजरे हुए सम्य को लेकर परेशान रहते हैं कि काश हम ऐसा कर लेते तो शायद खुश होते या फिर भविष्य को लेकर तरह तरह की योजनाए बनाते रहते हैं| मगर ना तो भूतकाल को हम बदल सकते हैं और ना ही भविष्य को अपने अनुसार चला सकते हैं| हमारे अकारण दुखी रहने का कारण भी यही है| वर्तमान में हम कभी जीते ही नहीं हैं| यही हमारे दुख का कारण है और ध्यान साधना (Meditation) हमारे मन को भूतकाल और भविष्य  से खींच कर वर्तमान में लेकर आती

रत्नों का अर्थ और महत्व - Meaning of Gemstone in hindi

रत्नों का अर्थ और महत्व  Meaning of Gemstone in hindi   रत्नों का हमारे वैदिक ज्योतिष शास्त्र में बहुत महत्व बताया गया है। रत्नों का प्रयोग सोने और चांदी की ज्वेलरी में किया जाता है। यह रत्न दो प्रकार के होते हैं। 1. कीमती रत्न (Precious Stone) 2. अर्द्ध-कीमती रत्न (Non-Precious Stone)। जो रत्न दुर्लभ होते हैं और जिसका उत्पादन किसी विशेष स्थान से बहुत कम मात्रा में होता है, उसको हम कीमती (Precious Stone) रत्न कहते हैं। कीमती रत्न में श्रीलंका का नीलम (Blue Sapphire) और पीला पुखराज (Yellow Sapphire), पाडर का नीलम और पुखराज, दक्षिणी समुन्द्र का सुच्चा मोती (Pearl), हीरा (Diamond), ऑस्ट्रेलियन फायर ओपल (Australian Fire Opal) आदि आ जाते हैं। इन कीमती रत्नों (Precious Stone) की कीमत हज़ारों से शुरू होकर लाखों तक होती है। वहीँ अर्द्ध-कीमती रत्न (Non-Precious Stone) सामान्य खदानों और पत्थरों से प्राप्त हो जाते हैं। अर्द्ध-कीमती रत्न में लहसुनिया (Cat's Eye Stone), मूंगा (Coral), सामान्य सुच्चा मोती (Common Pearl), गोमेद (Hessonite) आदि आ जाते हैं। इन रत्नों की कीमत कम ही होती है। इसके अतिर

बटुक भैरव मंत्र साधना सम्पूर्ण विधि - Batuk Bhairav Mantra Sadhna

बटुक भैरव मंत्र साधना Batuk Bhairav Mantra Sadhna  बटुक भैरव बहुत ही शीघ्र प्रसन्न होने वाले और तुरंत फल देने वाले देवता हैं। यह दुर्गा माता के लाडले पुत्र और शिव के अवतार हैं। यदि इनको अपना इष्ट बनाकर इनकी साधना प्रारम्भ की जाए तो आपकी ज़िंदगी के सभी कष्ट धीरे-धीरे ख़तम होने लगते हैं। नवग्रहों में से किसी भी गृह का दोष कुंडली में चल रहा हो आप बटुक भैरव जी के मंत्र की साधना करके उसका निवारण कर सकते हो।  यदि कोई साधक इनको अपना इष्ट मानकर रोज़ाना इनके मंत्र का जाप श्रद्धा और विश्वास के साथ करने लग जाता है तो बटुक भैरव जी आठों पहर (24 घंटे) उसकी छाया की तरह साथ रहकर रक्षा करते हैं। बटुक भैरव जी का जिस घर में मंत्र जाप रोज़ाना होता हो वहां पर जादू-टोना या कोई भी बुरी शक्ति का प्रभाव नहीं रहता है। बटुक भैरव जी का तीनों लोक में ऐसा प्रभाव है कि काल भी इनके नाम से कांपता है। बटुक भैरव मंत्र साधना के कुछ दिनों के बाद ही व्यक्ति को अनुभूतियाँ होनी शुरू हो जाती हैं। साधना के दौरान कई तरह के चमत्कार होने शुरू हो जाते हैं। यह सब बातें मैं अपने खुद के अनुभव से लिख रहा हूं। मैंने जिस विधि से बटुक भैरव क

सर्व-देवता हवन मंत्र - Mantra for Havan in Hindi

सर्व-देवता हवन मंत्र Mantra for Havan in Hindi. हवन शुरू करने की विधि और मंत्र-  यह पढ़ने से पहले आप यह जान लें कि यह सर्वतो-भद्रमंडल देवतानां हवन की विधि है और यदि आप हवन करने की सम्पूर्ण विधि की जानकारी चाहते हो तो आप हमारे पेज सरल हवन विधि पर क्लिक करके प्राप्त कर सकते हो।  सर्व देवता हवन मंत्रों से सभी देवताओं, नवग्रहों, स्वर्ग-देवताओं, सप्त-ऋषिओं, स्वर्ग अप्सराओं, सभी समुन्द्र देवताओं, नवकुल-नागदेवता आदि को आहुतियां देकर प्रसन्न कर सकते हो| यह जो आपको नीचे मंत्र बताए गए हैं इन मंत्रों के हवन को सर्वतो-भद्रमंडल देवतानां होम: कहते हैं|  हमारे हिन्दू ग्रंथों में 4 प्रकार के यज्ञ प्रत्येक व्यक्ति को करने के लिए कहा गया है| यह 4 यज्ञ इस प्रकार हैं, 1. देव यज्ञ 2. भूत यज्ञ 3. मनुष्य यज्ञ 4. पितृ यज्ञ| देव यज्ञ में सभी देवताओं को अग्नि में आहुति देकर अग्नि देव की पत्नी स्वाहा के द्वारा देवताओं तक भोग सामग्री पहुंचाई जाती है| यह सभी देवता इससे प्रसन्न होकर व्यक्ति को संसारिक भोग का सुख प्रदान करते हैं और उसको सुखों की प्राप्ति होती है| यह सर्व-देव यज्ञ से घर की नकारत्मक ऊर्जा नष्ट होती है

केतु बीज मंत्र विधि और लाभ -Beej Mantra for ketu in hindi

 केतु बीज मंत्र की सम्पूर्ण विधि और महत्व Beej Mantra of Ketu in Hindi केतु बीज मंत्र विधि और लाभ -केतु को सन्यास, वैराग्य और विरक्ति का कारक ग्रह माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक ग्रह के कुछ विशेष गुण और विशेष अवगुण होते हैं। ऐसे ही केतु ग्रह पापी ग्रह होते हुए भी यदि कुंडली में अच्छी स्थिति में हो तब व्यक्ति को विशेष गुण प्रदान करता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में केतु की स्थिति अच्छी हो तब केतु व्यक्ति को सन्यास और वैराग्य की और लेकर जाता है, मगर स्थिति अच्छी होने पर यह सन्यास और वैराग्य व्यक्ति को यश और प्रतिष्ठा दिलाते हैं। यहाँ पर सन्यास और वैराग्य का अर्थ यह नहीं कि व्यक्ति घर-बार छोड़ कर जंगलों में चला जाता है यहाँ पर सन्यास और वैराग्य से अर्थ है कि व्यक्ति संसार में रहते हुए भी सांसारिक वस्तुओं और रिश्तों के प्रति मोह और लगाव ज्यादा नहीं रखता है। वह अपने सांसारिक फ़र्ज़ निभाते हुए भी इन चीज़ों से विरक्त रहता है। जैसे कोई सन्यासी और वैरागी कोई एकांत स्थान ढूँढ़ते हैं ऐसे ही केतु से प्रभावित व्यक्ति को एकांत स्थान में रहना बहुत पसंद होता है। केतु से प्रभावित व्यक्