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Showing posts from June, 2021

नीलम रत्न धारण करने के लाभ - Blue Sapphire (Neelam) Stone Benefits in hindi

नीलम रत्न धारण करने के लाभ  Blue Sapphire Stone Benefits in hindi नीलम रत्न धारण करने के लाभ और पहचान - नीलम रत्न शनि देव का रत्न होता है। इसको शनि ग्रह के बल को बढ़ाने के लिए धारण किया जाता है। शनि ग्रह न्याय, हमारे कर्म, संघर्ष के कारक ग्रह होते हैं। यदि कुंडली में शनि देव की स्थिति अच्छी हो और हम नीलम रत्न धारण करें तो शनि से सबंधित कारकत्वों में बढ़ोतरी होती है। इसके अतिरिक्त शनि ग्रह व्यक्ति की जन्म कुंडली में जिस भाव में विराजित होते हैं, जिन भावों में शनि की राशियां मकर और कुम्भ होती हैं या शनि की जिन भावों पर 3 दृष्टियां (3, 7, 10 वीं  दृष्टि) होती है , शनि का रत्न नीलम धारण करने से उस भावों के फलों में भी वृद्धि होती है। मगर याद रहे शनि ग्रह का रत्न नीलम धारण करने के भी कुछ नियम होते हैं और यदि शनि की कुंडली में बुरी स्थिति होने पर रत्न धारण कर लिया जाये तो आपको लाभ के स्थान पर नुकसान हो सकता है। हम आपको शनि के रत्न नीलम धारण करने के नियम बताते हैं।  शनि रत्न नीलम धारण करने के नियम - यदि जन्म कुंडली में शनि ग्रह योग कारक होकर किसी अच्छे भाव अर्थात त्रिकोण भाव (1, 5, 9),  केंद्र

ओपल धारण करने के लाभ - white Fire opal stone benefits in hindi

आपल धारण करने के लाभ  White Fire opal stone benefits in hindi ओपल  रत्न धारण करने के लाभ और पहचान - ओपल रत्न शुक्र ग्रह का रत्न होता है। इसको धारण करने से शुक्र ग्रह का बल बढ़ता है। शुक्र ग्रह रोमांस, आकर्षण, शादी, सुख-सुविधाओं और हमारी ख्वाहिशों का कारक ग्रह होता है और इसके रत्न ओपल को धारण करने से शुक्र का बल बढ़ता है और हमें यह सभी चीज़ों की प्राप्ति होने लगती है। शुक्र सांसारिक ज्ञान का भी कारक ग्रह होता है और इसका रत्न धारण करने से हमें सांसारिक ज्ञान का अधिक बोध होना शुरू हो जाता है।  इसके अतिरिक्त शुक्र व्यक्ति की कुंडली में जिस भाव में स्थित होता है, जिन भावों में शुक्र की राशि वृषभ और तुला होती है और जिस भाव पर शुक्र की सप्तम दृष्टि होती है शुक्र का रत्न ओपल धारण करने से उन भावों में वृद्धि होती है और उन भावों से सबंधित फल अधिक मिलने लगते हैं। मगर आपको बता दें कि शुक्र के रत्न को धारण करने के भी कुछ नियम है यदि आप उन नियमों को देखकर रत्न धारण करते हो तभी आपको लाभ प्राप्त होगा अन्यथा लाभ के स्थान पर आपको हानि भी हो सकती है। हम आपको नीचे सभी नियम बताते हैं।  ओपल रत्न धारण करने के न

हीरा धारण करने के लाभ - Diamond Stone Benefits in hindi

हीरा धारण करने के लाभ  Diamond Stone Benefits in hindi हीरा धारण करने के लाभ और पहचान:-  हीरा शुक्र ग्रह का रत्न होता है। हीरा धारण करने से शुक्र ग्रह को बल मिलता है और शुक्र से सम्बंधित फलों में वृद्धि होती है। शुक्र ग्रह आकर्षण, रोमांस, सुख-सुविधाओं और पत्नी का कारक ग्रह होता है। शुक्र का रत्न हीरा धारण करने से व्यक्ति में ऊपर बताए गए सभी फलों में वृद्धि होती है अर्थात इसको धारण करने से व्यक्ति में आकर्षण बढ़ता है, रोमांस का स्तर बढ़ता है, सुख-सुविधाओं में वृद्धि होती है, पत्नी सुख अच्छा मिलता है। इसके अतिरिक्त व्यक्ति की जन्म कुंडली में शुक्र जिस भाव में बैठा हो, जिस भाव पर शुक्र की दृष्टि हो और जिस भावों में शुक्र की राशियां वृषभ और तुला हो, हीरा धारण करने से उन भावों से सबंधित फलों में वृद्धि होती है। वृषभ और तुला राशि वालों के लिए हीरा लाभकारी होता है। मगर याद रहे हीरा धारण करने से पहले कुंडली में शुक्र की स्थिति देख लेनी चाहिए। यदि शुक्र ग्रह सही स्थान पर स्थित हो तभी इसका रत्न हीरा धारण करना चाहिए अन्यथा आपको लाभ के स्थान पर नुकसान हो सकता है। हीरा रत्न को धारण करने के भी कुछ निय

पुखराज रत्न धारण करने के लाभ - Yellow Sapphire (Pukhraj) Stone benefits in hindi

पुखराज रत्न धारण करने के लाभ  Yellow Sapphire (Pukhraj) Stone benefits in hindi पुखराज रत्न के लाभ और पहचान (Benefits of Yellow Sapphire or Pukhraj stone):-  पुखराज रत्न बृहस्पति ग्रह का रत्न होता है और इस रत्न को बृहस्पति ग्रह के बल को बढ़ाने के लिए धारण किया जाता है। बृहस्पति ग्रह ज्ञान और अध्यात्म का कारक ग्रह है और इसके रत्न पीले पुखराज को धारण करने से व्यक्ति में ज्ञान और अध्यात्म की वृद्धि होती है। इसको धारण करने से व्यक्ति अपने ज्ञान से जगत में प्रसिद्धि प्राप्त करता है। इसके अतिरिक्त कुंडली में बृहस्पति ग्रह जिस भाव में स्थित होता है, जिस भाव में इसकी राशि धनु और मीन होती है और जिन भावों पर इसकी तीन दृष्टियां (5, 7, 9) होती हैं, पीला पुखराज धारण करने से उन भावों के फलों में वृद्धि होती है। मगर याद रहे पुखराज रत्न को धारण करने के कुछ नियम होते हैं और कुछ परिस्थितिओं में ही इस रत्न को धारण करना चाहिए अन्यथा यह रत्न लाभ के स्थान पर हानि भी कर सकता है। हम नीचे इसको धारण करने के कुछ नियम बताते हैं।  पुखराज रत्न धारण करने के नियम : यदि आपकी कुंडली में बृहस्पति (गुरु) ग्रह योग कारक हो

पन्ना रत्न धारण करने के लाभ - Emerald (Panna) stone benefits in hindi

पन्ना रत्न धारण करने के लाभ Emerald stone benefits in hindi पन्ना रत्न के लाभ और पहचान (Benefits of Emerald Stone):-  पन्ना रत्न बुध ग्रह का रत्न होता है। इस रत्न को बुध ग्रह के बल को बढ़ाने के लिए धारण किया जाता है। बुध ग्रह हमारी बुद्धि का कारक ग्रह होता है और इसके रत्न पन्ना को धारण करने से हमारी बुद्धि का बल बढ़ता है और हमारी समरण शक्ति बढ़ती है। पन्ना रत्न धारण करने से व्यक्ति को ज्योतिष, पत्रकारी, शिक्षक, वकालत के क्षेत्र में लाभ मिलता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध सूर्य से अस्त हो या बलहीन हो तब इसका रत्न पन्ना को धारण करने से बुध ग्रह को बल मिलता है।   इसके अतिरिक्त बुध ग्रह कुंडली के जिस भाव में बैठा हो, जिन भावों में उसकी मिथुन और कन्या राशि हो और जिन भाव पर बुध की दृष्टि हो, पन्ना रत्न धारण करने से उन भावों के फलों में वृद्धि होती है।  रत्न क्यों धारण करना चाहिए ?  -    ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति अपने पिछले जन्म के संचित कर्मों को साथ लेकर जन्म लेता है और उसके पिछले जन्म के संचित कर्मों के मुताबिक उसकी जन्म कुंडली का निर्माण होता है और उसके कर्मों के हि

मूंगा (Coral) रत्न धारण करने के लाभ - Coral Stone (Munga) benefits in hindi

मूंगा (Coral) रत्न धारण करने के लाभ  Coral Stone (Munga) benefits in hindi मंगल रत्न मूंगा (Coral Stone) धारण करने के लाभ (Coral Stone benefits in hindi): मूंगा रत्न मंगल ग्रह के बल को बढ़ाने के लिए धारण किया जाता है। मंगल ग्रह को ऊर्जा का कारक ग्रह मन जाता है और इसका रत्न धारण करने से शरीर में ऊर्जा बढ़ती है। मूंगा धारण करने से भूमि अर्थात प्रॉपर्टी से जुडी अड़चने ख़तम होती हैं। मूंगा रत्न धारण करने से राजनीति में सफलता प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त मंगल ग्रह कुंडली में जिस भाव में बैठे हों, जिस भाव में उनकी राशियां मेष और वृश्चिक हों और जिन भावों पर मंगल की तीन दृष्टियां हो, मूंगा रत्न धारण करने से उन भावों के फलों की वृद्धि होती है।  ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति अपने पिछले जन्म के संचित कर्मों को साथ लेकर जन्म लेता है और उसके पिछले जन्म के संचित कर्मों के मुताबिक उसकी जन्म कुंडली का निर्माण होता है और उसके कर्मों के हिसाब से उसकी कुंडली में ग्रह उसको अच्छा और बुरा फल देने के लिए अलग अलग भावों में बैठते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 9 ग्रहों की रश्मियां प्रत्येक व्यक्ति क