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Showing posts from May, 2020

Lesson-15, पंच महांपुरुष योग - Panch Mahapurush Yog

कुंडली में पंच महांपुरष योग Kundli mein Panch-Mahapurush Yog पंच-महांपुरुष योग का अर्थ( Meaning of Panch-Mahapurush Yoga):- कुंडली  मे पांच ग्रहों  (मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि) के द्वारा पांच प्रकार के राज योग बनते हैं, उनको पंच-महापुरुष योग कहा जाता है| कुंडली में मंगल गृह से रुचक नाम का महापुरष योग बनता है, बुध गृह से भद्र नामक महापुरष योग बनता है, बृहस्पति से हंस नाम का महापुरष योग बनता है, शुक्र गृह से मालव्य नाम का महापुरष योग बनता है और शनि गृह से शश नाम का महापुरष योग बनता है |  इन पांच प्रकार के योग को पंच महापुरष योग कहा जाता है| यदि कुंडली में इनमें से कोई योग बनता है तो उस गृह की महां-दशा या अंतर-दशा में व्यक्ति को राज योग की प्राप्ति होती है| कई व्यक्तिओं की कुंडलियों में एक से अधिक भी महांपुरुष योग बनते हैं| कुंडली में पंच महांपुरुष योग बनने के लिए कुछ सिद्धांत लागू होते है| इन सभी सिद्धांतों के लागू होने के बाद ही कुंडली में पंच-महांपुरुष योग माना जाता है| कुंडली में प्रत्येक महांपुरुष योग अपने अलग-अलग फल देते हैं और आगे हम पांचों महांपुरुष योग के बारे में

हनुमान दर्शन शाबर मंत्र- Hanuman Darshan Shabar Mantra

हनुमान प्रत्यक्ष दर्शन शाबर मंत्र साधना Hanuman Darshan Mantra Sadhna  यदि आप हनुमान जी के सच्चे भक्त हो और आप ऐसी साधना करने की इच्छा रखते हो, जिससे आपको हनुमान जी के प्रत्यक्ष दर्शन हों, तो आपको हम हनुमान जी की एक बहुत चमत्कारी और गुप्त साधना बताने जा रहें हैं|  यदि आप इस साधना को श्रद्धा, विश्वास और नियम के अनुसार करना शुरू कर देते हो, तो बहुत जल्द ही साधना के बीच में  आपको हनुमान जी की कृपा से अनुभूतियाँ होनी शुरू हो जाती हैं| इस साधना से आपके अंदर ऐसी शक्ति का संचार होना शुरू हो जाता है,  जिससे आप भूत-प्रेत और अन्य बुरी शक्तियों से ग्रस्त अन्य लोगों का भी निवारण कर सकते हो| याद रहे किसी भी साधना में सफलता तभी मिलती है जब आपकी साधना,इष्ट देव और मंत्र में पूर्ण श्रद्धा और विश्वास होता है| असल में श्रद्धा और विश्वास आपको किसी मंत्र में सिद्धि एवं सफलता दिलाते हैं| बाकी सभी विधि-विधान और नियम इसके बाद आते हैं| यदि किसी मंत्र की शंकावान होकर साधना की जाए तो आप चाहे कितने भी नियम अपनाकर और कठिन साधना कर लें, मगर आपको सफलता कभी नहीं मिल सकती|साधना का पहला नियम मंत्र और अप

Lesson-14 ग्रहों का दिशाबल दिग्बल - Grahon ka Dishabal or Digbal

ग्रहों का दिशाबल (दिग्बल)और प्रभाव  Grahon ka dishabal (Digbal) aur prabhav दिशाबल ( दिग्बल)  का अर्थ: दिशाबल को समझने से पहले आपको पता होना चाहिए कि ज्योतिष विज्ञान में जो कुंडली का चित्र अंकित किया जाता है, असल में वह हमारा पूरा आकाशमंडल होता है और उस आकाश मंडल को 12 भाव(हिस्सों) में बांटा जाता है| उन 12 भावों में 12 राशियां होती हैं और उन राशियों में सभी गृह 360° अंश(Degree) पर भ्रमण करते हैं|प्रत्येक राशि में सभी गृह 30° अंश (Degree) पर चलते हैं और फिर अगली राशि में प्रवेश करते हैं| हम आपको आगे विस्तार से उदाहरण देकर समझाते हैं कि किसी गृह को कब दिशाबल मिलता है और उसके क्या परिणाम होते हैं| जैसा आप ऊपर चित्र नंबर 1 में देख रहें हो कि कुंडली के प्रथम भाव(1), चर्तुथ भाव(4), सप्तम भाव(7) और दशम भाव(10) को कुंडली के केन्द्र भाव कहा जाता है और इन केन्द्र भावों को चार दिशों में बांटा गया है| कुंडली का प्रथम भाव पूर्व(East) दिशा की और होता है, चतुर्थ भाव उत्तर (North) दिशा की और होता है, सप्तम भाव पश्चिम(West) दिशा की और होता है और दशम भाव दक्षिण(South) दिशा की और होता है|

Lesson-13, Kaal sarp dosh or yog , काल सर्प दोष या योग क्या है

काल सर्प दोष की पहचान और निवारण Kaal Sarp Dosh or Yog हमारे यहाँ काफी ढोंगी ज्योतिषों की तरफ से काल सर्प दोष या योग के बारे में तरह-तरह की भ्रांतियां बना कर लोगों से पूजा के नाम पर पैसे ऐंठे जाते हैं, जबकि ज्यादातर लोगों की कुंडली में काल सर्प दोष होता भी नहीं है| कुंडली में काल सर्प दोष को देखने के लिए कुछ सिद्धांत लागू होते हैं और उन सिद्धांतो की सभी शर्तें पूरी होने पर ही काल सर्प दोष माना जाता है| कुछ सिद्धांत या शर्तें ऐसी भी होती है, जिससे कुंडली में काल सर्प दोष भंग हो जाता है| हम आपको आगे काल सर्प दोष लागू होने के सिद्धांत, काल सर्प दोष के प्रकार और काल सर्प दोष के निवारण के बारे में विस्तार से बताते हैं| नोट:-  *  कुंडली में काल सर्प दोष के बारे में जानने से पहले आपको कुंडली में राहु और केतु की उच्च राशि, नीच राशि, मित्र राशि और शत्रु राशि का ज्ञान होना आवश्यक है, इसके बिना आप काल सर्प दोष के बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त नहीं कर सकते| कुंडली में राहु और केतु की स्थिति के बारे में जानने के लिए आप पहले हमारे पेज Kundali Mein Rahu Ketu पर क्लिक करके पू

Lesson-12 Vakri Grah- वक्रीय ग्रह क्या होते हैं?

वक्रीय ग्रह  क्या होते हैं? What is Vakri Grah हमारे लोगों ने ग्रहों के वक्री होने को लेकर बहुत भ्रांतियां पाल रखी हैं कि ग्रह के वक्री होने पर वह उलटी दिशा में चलना शुरू कर देता है या वक्री होने पर वह बहुत बुरे फल देने लगता हैं| ऐसी भ्रांतियां फैला कर वक्री ग्रहों की शांति के लिए पूजा कराने के लिए कहा जाता है| असल में वक्री ग्रह का डर लोगों के मन में बैठा कर धंधा किया जाता हैं|  कोई भी ग्रह जब वक्री होता हैं तो उसका बल(शक्ति) दुगनी हो जाती है| यदि वह गृह कुंडली में योग कारक ग्रह होता है तो हमें दोगुने(Double) अच्छे फल देने लगता हैं और यदि मारक होगा तो हमें दोगुने  बुरे फल देने लगता है| कुंडली में सिर्फ वक्री ग्रह की राशि देखकर हम किसी नतीजे पर नहीं पहुँच सकते कि वक्री ग्रह अच्छे फल देगा या बुरे फल देगा, इसलिए किसी अच्छे ज्योतिष से कुंडली दिखाकर ही कोई उपाय करना चाहिए|  हम आपको आगे वक्री ग्रह के अर्थ और इसके कुंडली में प्रभाव बताते हैं।  वक्री और मार्गी का अर्थ(Meaning of vakri and margi):- वक्री का अर्थ होता हैं रास्ता भटकना या टेढे रास्ते पर चलना| सभी गृह सौरमण्डल की

Lesson-11 कुंडली में गोचर क्या होता हैं - Gochar in kundali

कुंडली में गोचर क्या होता हैं? What is Gochar in kundli? कुंडली में गोचर(Kundli mein Gochar):-कुंडली में गोचर को जानने से पहले आप कुंडली के 12 भावों की जानकारी प्राप्त कर लेते हो तो आप गोचर के बारे में अच्छी तरह से समझ सकोगे| यदि आप इस विष्य को अंत तक ध्यान से पढ़ोगे तो आपको गोचर और ग्रहों की चाल की पूरी जानकारी प्राप्त हो जाएगी| ज्योतिष विज्ञान में जो कुंडली होती है, असल में वह हमारा आकाश-मंडल होता है और उस आकाश-मंडल को 12 भागों में बांटा गया है|आपने कुंडली में देखा होगा कि कुंडली में 12 भावों में 12 नंबर लिखे होते हैं| यह नंबर राशिओं के नंबर होते हैं और इससे हमें पता चलता है कि कुंडली के किस भाव में कौन सी राशि विराजमान है| इस आकाश-मंडल में सभी गृह अपनी कक्षा में 360° अंश(Degree) में भ्रमण करते हैं और इस आकाश-मंडल को 12 राशियों में बांटा गया है तो प्रत्येक राशि में गृह 360°/12=30° अंश(Degree) तक चलता(भ्रमण) है| सभी गृह आकाश मंडल में 360°अंश(Degree) का अपना एक चक्कर अलग-अलग सम्य में पूरा करते हैं|जैसा आपने ऊपर पढ़ा कि इस आकाश मंडल के 360° डिग्री के चक्कर को 12 राशियों मे

Lesson-10 कुंडली में राहु और केतु, Kundali mein rahu ketu

कुंडली में राहु और केतु का फल Kundali mein Rahu aur Ketu ka Fal कुंडली में राहु और केतु ग्रह ऐसे होते हैं जिनकी अपनी कोई राशि नहीं होती है, इसलिए कुंडली में राहु और केतु के अच्छे और बुरे फल जानने के लिए 3-4 सिद्धांत लागू होते हैं| यदि आप उन सिद्धांतों को अच्छी तरह से समझ जाते हो तो आप बहुत आसानी से यह जान सकते हो कि कुंडली में राहु और केतु अच्छे फल देने वाले(योग कारक) ग्रह हैं या बुरे फल देने वाले (मारक ग्रह)|इन सिद्धांतो को जानने से पहले आप राहु और केतु की कुछ विषेशताएं जान लीजिए| राहु-केतु की विषेशताएं:- 1. राहु और केतु ग्रह कुंडली में सदैव वक्रीय चलते हैं| इसका अर्थ होता है कि उलटी दिशा में चलते हैं| यदि कोई ग्रह कुंडली में वक्रीय हो जाता है अर्थात उलटी दिशा में चलना शुरू करता है तो वह अच्छे या बुरे फल देने में 2 गुना अधिक शक्तिशाली हो जाता है| 2. कुंडली में राहु और केतु सदैव एक समान गति से चलते हैं| यह कुंडली में बैठते भी एक-दूसरे के सामने हैं अर्थात यदि राहु कुंडली में प्रथम भाव में बैठा होगा तो केतु सप्तम भाव में होगा और यदि राहु द्रितीय भाव में बैठा होगा तो क

महांकाली ताली रक्षा मंत्र, Mahakali raksha shabar mantra

महांकाली ताली रक्षा शाबर मंत्र  Mahakali taali raksha shabar mantra यह महांकाली माँ का बहुत चमत्कारी रक्षा शाबर मंत्र है| इस मंत्र को सिद्ध करने के बाद आप इस मंत्र के द्वारा ताली बजा कर अपनी चारों और रक्षा घेरा बना सकते हो| आप इस मंत्र को किसी ग्रहणकाल या दीपावली के सम्य एक दिन में ही सिद्ध कर सकते हो| यदि आपने इस मंत्र को दीपावली या ग्रहणकाल में सिद्ध करना है तो इस मंत्र की कम से कम 5 माला जाप करना है|  ऐसे आपको इस मंत्र का कम से कम 11 दिनों तक रोज़ाना 1 माला जाप करना है| इसके कुछ नियम आगे आपको बता रहें हैं, यदि उस नियमों के मुताबिक मंत्र साधना करोगे तो सफलता निश्चित मिलेगी| नियम:-  1. मंत्र जाप उत्तर या पूर्व की तरफ मुख करके करना है| 2. मंत्र जाप काले हकीक की माला या रुद्राक्ष की माला से करना है| 3. साधना के दिनों में ब्रह्मचार्य का पालन करना है| 4. साधना में दीप, धूप और जल का लौटा पास रखना है| 5. मंत्र का पूर्ण लाभ लेने के लिए मंत्र पर पूरा विश्वास होना चाहिए| 6. इस मंत्र साधना में महाकाली यन्त्र को पूजा स्थान में स्थापित करके साधना करने से विशेष लाभ की

Lesson-9 नीच भंग राज योग, Neech Bhang Raj Yog

नीच भंग राज योग   Neech Bhang Raj Yog कुंडली में नीच भंग राज योग के विष्य में पढ़ने से पहले आपको कुंडली में ग्रहों की उच्च और नीच राशियां और ग्रहों की दृष्टिओं के बारे में जानकारी होनी चाहिए| इसकी जानकारी के बिना आप नीच भंग राज योग को विस्तार से नहीं समझ सकते हो| इसलिए पहले आप हमारे पेज Grah ki Uch aur Neech Rashi और Grahon ki Drishtiyan पर क्लिक करके इसकी जानकारी प्राप्त कर ले और फिर नीच भंग राज योग के बारे में आगे पढ़ना शुरू करें| नी च भंग राज योग क्या है(Neech Bhang Raj yog kya hai):- आपको यह तो पता है कि कुंडली में सभी नवग्रह अलग अलग भावों में किसी राशि नंबर के साथ विराजमान होते हैं|इन सभी नवग्रहों की कुंडली में एक नीच और एक उच्च राशि होती है| यदि कोई गृह अपनी उच्च राशि के साथ बैठ जाता है तो वह बहुत अच्छे फल देता है मगर यदि कोई गृह अपनी नीच राशि के साथ बैठ जाए तो वह बहुत बुरे फल देता है| कुंडली में कई बार ऐसा योग बनता है, जिस से नीच राशि में बैठा हुआ गृह बहुत अच्छे फल देने लगता है| उसको हम नीच भंग राज योग कहते हैं| कुंडली में नीच भंग राज योग बनने के लिए 3-