बाबा कालीवीर चालीसा और आरती
कालीवीर चालीसा
काली-पुत्र का नाम ध्याऊ, कथा विमल महावीर सुनाऊ|
संकट से प्रभु दीन उभारो, रिपु-दमन है नाम तिहारो|
विद्या, धन, सम्मान की इच्छा, प्रभु आरोग्य की दे दो भिक्षा|
स्वर्ण कमल यह चरण तुम्हारे, नेत्र जल से अरविंद पखारे|
कलिमल की कालिख कटे, मांगू मैं वरदान|
रिद्धि-सिद्धि अंग-संग रहे, सेवक लीजिए जान|
श्री कुलपति कालीवीर प्यारे,
कलयुग के तुम अटल सहारे|
तेरो बिरद ऋषि-मुनि हैं गावें,
नाम तिहारा निसदिन धयावे|
संतों के तुम सदा सहाई,
ईश पिता और कलिका माई|
गले में तुम्हारे हीरा सोहे,
जो भक्तों के मन को मोहे|
शीश मुकट पगड़ी संग साजे,
द्वार दुंदुभी, नौबत बाजे|
हो अजानुभुज प्रभु कहलाते,
पत्थर फाड़ के जल निसराते|
भुजदंड तुम्हारे लोह के खम्भे,
शक्ति दीन्ह तुम्हे माँ जगदम्बे|
चरणन में जो स्नेह लगाई,
दुर्गम काज ताको सिद्ध हो जाई|
तेरो नाम की युक्ति करता,
आवागमन के भय को हरता|
जादू-टोना, मूठ भगावे,
तुरतहि सोए भाग्य जगावे|
तेरो नाम का गोला दागे,
भूत-पिशाच चीख कर भागे|
डाकनी मानत तुम्हरो डंका,
शाकनी भागे नहीं कोई शंका|
बावन वीरों के तुम स्वामी,
अखिल जगत तुम्हारा अनुगामी|
अद्धभुत तुम्हरी सेना आवे,
दुष्टों के जो प्राण सुखावे|
वीर तुम्हारे विकट हैं योद्धा,
शिवगण धारे प्रबल क्रोधा|
हाथ में अनुपम खड़ग सुहावे,
असुरों को जो मार मुकावे|
बदन भयंकर छाती चौड़ी,
अद्धभुत नाहर संग है जोड़ी|
मंत्र मान्यो मंडलीक स्नेही,
जीत्यो गजनी पल भर में ही|
काल दैत्य को तुमने मारा,
दुष्ट दलन कियो बारम्बारा|
वासुकि आए तुम्हारी शरणा,
हृदय लगाए दिखाई करुणा|
बीता द्वापर कलयुग आया,
चहुँ और अंधियारा छाया|
दैत्य, असुर, दुराचारी, लोभी,
अत्याचारी संतन अति क्षोभी|
यज्ञ भंग ध्वनि त्राहि-त्राहि,
सदा मुनिजन संत कराहिं|
गंगाधर की टूटी समाधि,
चिंतन बैठी शक्ति अनादि|
ब्रह्मा, विष्णु कैलाश पे आये,
शिव भोले को वचन सुनाये|
धरा दुखी रोवे नर-नारी,
मिटी धर्म की रेखा सारी|
रक्तपान संहार की लीला,
सुरसा सम बढ़े असुर कबीला|
है सन्मति की सूखी धारा,
मृत्यु-लोक बना काली कारा|
शिवा संग सोचे त्रिपुरारी,
विपदा दूर हो कैसे भारी|
अंतिरिक्ष से आशुतोष उतारे,
एकार्णव में शेष अवतारे|
कहयो काली नाम है धरना,
अवतरो वीर प्रकाश है करना|
मेटो अंधेरा धरा पे जाओ,
धर्म-ध्वजा को तुम फहराओ|
महादेवी की अद्धभुत माया,
किरणों का एक अश्व बनाया|
तुम सारथी यह तुम्हारा वाहन,
कलयुग का तुम करो विदारन|
जग का तुम अंधियारा मेटो,
जाल पाप का जाए समेटो|
भोले शिव तुम्हें दीन्ह आदेसा,
संतन के तुम हरो कलेसा|
धरती के संताप हटाइये,
दीनन के सब कष्ट मिटाइये|
जो कोई ताको कृपा चाहे,
पढ़े चालीसा जाप करावे|
जो नित कालीवीर ध्यावे,
समरथ, बल, सुबुद्धि पावे|
जयति-जयति जय देव तुम्हारी,
निशचय करो तुम विजय हमारी|
दोहा
तूने ही तो सब दिया और क्या रखूँ आस|
मनसा, वाचा, कर्मणा, रहूं मैं तेरा दास|
बोल - कालीपुत्र की जय|
महावीर रणधीर की जय|
कालीवीर आरती (Kaliveer Aarti)
ॐ जय कालीवीरा, स्वामी जय कालीवीरा,
मन में जोत जगाकर, तन को करे हीरा|
ॐ जय कालीवीरा.....
सरजू तट पर नगरी, जिसमें जन्म लिया,
कश्मीर की धरती, जिसको स्वर्ग किया|
ॐ जय कालीवीरा.....
कालीपुत्र दयालु, गल में हीरा सोहे,
पाँच रंग की पगड़ी, सांवली शवि मोहे|
ॐ जय कालीवीरा.....
कालचक्र सम घोड़ा, जिसकी सवारी करे,
दुख भक्तों के काटे, हाथ कटारी धरे|
ॐ जय कालीवीरा.....
तेज़ तुम्हारा अतुलित, शक्ति असीम बनी,
लेकर वासुकि आए, अद्धभुत चंद्र-मणि |
ॐ जय कालीवीरा.....
फूल और वृक्ष प्यारे, बागों के रसिया,
सुन्दर शोभा न्यारी, भक्तों के मन बसिया|
ॐ जय कालीवीरा.....
लोहे के झुन्डे सोभें, सांकल भेंट चढ़े,
कृपा तेरी पाकर, वंश की बेल बढ़े|
ॐ जय कालीवीरा.....
दुष्ट दलन की खातिर, है अवतार लिया,
जिसने भक्ति कीन्ही, उसका उद्धार किया|
ॐ जय कालीवीरा.....
पापी असुर संहारे, चुन-चुन के मारे,
भक्तों के रखवाले, तुम कभी नहीं हारे|
ॐ जय कालीवीरा.....
सुन्दर बाग़ में भ्रमता, दाऊ वनमाली,
झोली में खुशियां भर दे, गृहस्थी के माली|
ॐ जय कालीवीरा.....
जगमग शवि तुम्हारी, मन अति प्यारी लगे,
जहाँ हो तुम्हारी आरती, कष्ट कलेश भागे|
ॐ जय कालीवीरा.....
प्रेम सहित जो गावे, उनका उद्धार किया,
सुख, संपत्ति धन देकर, उनको तार दिया|
ॐ जय कालीवीरा.....
ज्ञान, भक्ति के दाता, विद्या दान करो,
कर्म की ज्योति जगाओ, कृपा से झोली भरो|
ॐ जय कालीवीरा.....
कालीवीर जी की आरती जो कोई जन गावे,
सुख-आनंद सुहावे, मन वांछित फल पावे|
ॐ जय कालीवीरा.....
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