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Showing posts from March, 2021

बाबा बालक नाथ चालीसा- Baba Balak Nath Chalisa in hindi

बाबा बालक नाथ चालीसा Baba Balak Nath Chalisa in hindi दोहा  गुरु चरणों में सीस धर करूँ मैं प्रथम प्रणाम,  बख्शो मुझको बाहुबल सेव करुं निष्काम,  रोम-रोम में रम रहा रूप तुम्हारा नाथ, दूर करो अवगुण मेरे, पकड़ो मेरा हाथ| चालीसा  बालक नाथ ज्ञान भंडारा,  दिवस-रात जपु नाम तुम्हारा| तुम हो जपी-तपी अविनाशी,  तुम ही हो मथुरा काशी| तुम्हरा नाम जपे नर-नारी,  तुम हो सब भक्तन हितकारी| तुम हो शिव शंकर के दासा,  पर्वत लोक तुमरा वासा| सर्वलोक तुमरा यश गावे,  ऋषि-मुनि तव नाम ध्यावे| काँधे पर मृगशाला विराजे,  हाथ में सुन्दर चिमटा साजे| सूरज के सम तेज तुम्हारा,  मन मंदिर में करे  उजियारा| बाल रूप धर गऊ चरावे,  रत्नों की करी दूर वलावें| अमर कथा सुनने को रसिया,  महादेव तुमरे मन बसिया| शाह तलाईयाँ आसन लाए,  जिस्म विभूति जटा रमाए| रत्नों का तू पुत्र कहाया,  जिमींदारों ने बुरा बनाया| ऐसा चमत्कार दिखलाया,  सब के मन का रोग गवाया| रिद्धि-सिद्धि नव-निधि के दाता,  मात लोक के भाग्य विधाता| जो नर तुम्हरा नाम धयावे,  जन्म-जन्म के दुख बिसरावे| अंतकाल जो सिमरन करहि,  सो नर मुक्ति भाव से मरहि| संकट कटे मिटे सब रोगा,  बालक

Shri Hanuman Chalisa in English

  Shri Hanumaan Chalisa in English Doha Shri Guru Charan Saroj Raj,  Nij Man Mukur Sudhar.  Var-nau Raghu-var Vimal Jasu,  Jo Dayuk Fal Char. Budhi-Heen Tanu Janike,  Sumiro Pawan Kumar. Bal-Budhi-Vidhya Dehu Mohe,  Harhu Kalesh Vikaar.  Chopayi   Jai Hanumaan gyan gun sagar,  Jai Kapees tihun-lok ujagar. Ram-doot ati-lut bal-dhaama,  Anjani putr pawan sut nama. Mahaveer vikram bajrangi,  Kumti nivar sumati ke sangi. Kanchan varun viraj suvesa,  Kaanan kundal kunchit kesa. Hath vajra aur dhawaja viraje,  Kaandhe moonj janeyu saaje. Shankar-suwan Kesari-nandan,  Tez prataap maha jag vandan. Vidhya-waan guni ati chaatur,  Ram kaaz karine ko aatur. Prabhu charitra sunibe ko rasiya,  Ram-Lakhan-Sita mann basiya. Suksham roop dhar siyeh dikhawa,  Vikat roop dhar lank jarava. Bheem roop dhar asur sanghaare,  Ram chandra ji ke kaaz sanwaare. Laaye sanjivan Lakhan jiaye,  Shri Raghu-pati harsh ur laaye. Raghu-pati kini bahut badayi,  Tum mm priye Bharat sm bhai. Sehas badn tumro yash gaave,  A

नवमांश कुंडली का महत्व -Navmansh Kundali in hindi

नवमांश कुंडली का महत्व  Navmansh Kundali in Astrology नवमांश कुंडली क्या होती है (What is Navmansh Kundali):-  ज्योतिष शास्त्र में जैसे लग्न कुंडली, चंद्र कुंडली, चलित कुंडली और होरा कुंडली, दशमांश कुंडली, सप्तमांश कुंडली आदि वर्ग कुंडलियां होती है, वैसे ही नवमांश कुंडली एक वर्ग कुंडली होती है। आपको बता दें कि कुंडली विश्लेषण में नवमांश का बहुत महत्व होता है, नवमांश कुंडली का विश्लेषण किए बिना आप कभी भी सही फलित नहीं कर सकते हो।  वैसे तो ज्यादातर ज्योतिषिओं का मत है कि नवमांश कुंडली का प्रयोग सिर्फ व्यक्ति की शादी या पति-पत्नी के बारे में विश्लेषण करने में करना चाहिए, मगर यदि हम सारावली या फल दीपिका जैसी किताबों को पढ़ते हैं तो हमें मालुम होता है कि नवमांश कुंडली सिर्फ शादी या पति-पत्नी के बारे में विश्लेषण करने के लिए नहीं बल्कि प्रत्येक ग्रह और भाव के बल, स्थिति के बारे में जानने के लिए बहुत आवश्यक होती है। हम ऐसा भी कह सकते हैं कि यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली व्यक्ति का शरीर है तो नवमांश कुंडली उसके शरीर का अंदरूनी विश्लेषण है। जैसे कई बार कोई व्यक्ति बाहर से देखने में तो बहुत तंद

श्री हनुमान चालीसा - Hanuman Chalisa in hindi

श्री हनुमान चालीसा  Hanuman Chalisa in hindi दोहा  श्री गुरु चरण सरोज रज,  निज मन मुकुर सुधारि| वरनऊँ रघुवर विमल जसु,  जो दायकु फल चारि| बुद्धि-हीन तनु जानिके,  सुमिरौ पवन कुमार| बल, बुद्धि, विद्या देहु मोहे,  हरहु कलेश विकार| चोपाई  जय हनुमान ज्ञान गुण सागर,  जय कपीस तिहुं लोक उजागर| राम-दूत अतिलुत बल-धामा,  अंजनी पुत्र पवन सुत नामा| महावीर विक्रम बजरंगी,  कुमति निवार सुमति के संगी | कंचन वरुण विराज सुवेसा,  कानन कुण्डल कुंचित केसा| हाथ वज्र और ध्वजा विराजै,  कांधे मूँज जनेऊ साजे| शंकर सुवन केसरी नंदन,  तेज प्रताप महा जग वंदन| विद्यावान गुणी अति चातुर,  राम काज करिबे को आतुर| प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया,  राम-लखन-सीता मन बसिया| सूक्षम रूप धरि सियहिं दिखावा,  विकट रूप धरि लंक जरावा| भीम रूप धरि असुर संहारे,  राम चंद्र जी के काज सँवारे| लाये संजीवन लखन जियाये,  श्री रघुवीर हरिष उर लाय| रघुपति कीन्हि बहुत बड़ाई,  तुम मम प्रिय भारत सम भाई| सहस बदन तुम्हरो यश गावे,  अस कहिं श्रीपति कण्ठ लगावे| सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा,  नारद शारद सहित अहीसा| यम कुबेर दिग्पाल जहां ते,  कवि कोविंद कहि सके कह

चंद्र कुंडली का महत्व - Chandra Kundali and chandra rashi in hindi

चंद्र कुंडली और चंद्र राशि का महत्व  Chandra Kundali and Chandra Rashi in hindi चंद्र कुंडली और चंद्र राशि का महत्व (Importance of Chandra kundali in Astrology)-  ज्योतिष शास्त्र में किसी व्यक्ति की कुंडली का विश्लेषण करने में चंद्र कुंडली और चंद्र राशि का बहुत महत्व होता है। क्या आपको पता है कि ज्योतिष शास्त्र में चंद्र राशि और चंद्र नक्षत्र को सबसे अधिक महत्व दिया जाता है। अब हम आगे जानते हैं कि चंद्र कुंडली का इतना महत्व क्यों होता है।  ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक ग्रह किसी ना किसी चीज़ का कारक होता है, ऐसे ही चंद्र हमारे मन का कारक ग्रह होता है। आप जानते ही होंगे कि हमारे शरीर में सबसे महत्वपूर्ण अंग हमारा मन होता है, जो कि हमारे सम्पूर्ण शरीर को नियंत्रण करता है। हमारे भाव और हमारे दुःख-सुख हमारे मन से ही प्रगट होते हैं। हम ऐसे भी कह सकते हैं कि हमारे सम्पूर्ण  शरीर का राजा हमारा मन होता है।   ऐसे ही कुंडली में चंद्र राशि को अधिक महत्व दिया जाता है। किसी भी कुंडली में चंद्र जिस राशि में बैठा होता है, उसी राशि से व्यक्ति के गुण और स्वाभाव का अनुमान लगाया जाता है। उदाहरण के लिए यदि

जन्म कुंडली का महत्व- Janam Kundali or Lagna Kundali in hindi

जन्म कुंडली का महत्व  Janam Kundali or Lagna Kundali जन्म कुंडली का महत्व (Importance of Janam Kundali in Astrology):- जन्म कुंडली को हम लग्न कुंडली भी कहते हैं| वैसे तो ज्योतिष शास्त्र में और भी कई प्रकार की वर्ग कुंडलियां, चंद्र कुंडली और चलित कुंडली होती हैं, मगर इसमें से यदि देखा जाए तो जन्म कुंडली सबसे महत्व रखती है| किसी भी व्यक्ति के जन्म के सम्य और जन्म स्थान से आकाशमण्डल में जो भी ग्रहों की स्थिति होती है, उसको जन्म कुंडली में अंकित कर दिया जाता है| इसी जन्म कुंडली से निर्धारित होता है कि आपके लिए कौन से ग्रह मारक अर्थात शत्रु स्वभाव के और कौन से ग्रह योग कारक अर्थात मित्र स्वभाव के साबित होंगे| हम आपको आगे एक जन्म कुंडली की उदाहरण देकर समझाते हैं कि जन्म कुंडली को कैसे देखते हैं और इसका ज्योतिष शास्त्र में क्या महत्व है| जैसे आप ऊपर चित्र नंबर. 1 में जन्म कुंडली देख रहे हो, सबसे पहले हम आपको थोड़ा समझा दें कि यह जो आपको जन्म कुंडली या लग्न कुंडली का चित्र दिखाई दे रहा है यह हमारा पूरा आकाशमण्डल होता है और इसको 12 भागों में बांटा जाता है और उन 12 भागों को 12 राशिओं का नाम दिया