लहसुनिया रत्न धारण करने के लाभCats Eye Stone Benefits in hindi
लहसुनिया रत्न धारण करने के लाभ और पहचान (Cats Eye Stone Benefits) - लहसुनिया रत्न केतु ग्रह को बल देने के लिए धारण किया जाता है। जब कुंडली में केतु ग्रह किसी शुभ भावेश की राशि और शुभ भाव में विराजित हो तब केतु का रत्न लहसुनिया धारण करना चाहिए। यदि कुंडली में केतु की स्थिति बुरे भावेश या बुरे भाव में हो तब केतु का रत्न लहसुनिया धारण नहीं करना चाहिए। इसलिए केतु का रत्न धारण करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिष की परामर्श ले लेनी चाहिए। यदि कुंडली में केतु की स्थिति अच्छी है तो लहसुनिया रत्न धारण करने से व्यक्ति अध्यात्म की और तरक्की करता है और यह धारण करने से व्यक्ति की नकारत्मक शक्तियों से रक्षा होती है और स्वास्थ्य व् आर्थिक स्थिति अच्छी होती है। हम आगे आपको लहसुनिया रत्न धारण करने के नियम और लाभ बताते हैं।
लहसुनिया रत्न गोमेद धारण करने के नियम - लहसुनिया रत्न धारण करने से पहले आपको यह समझना होगा कि केतु ग्रह की स्थिति को कुंडली में कैसा देखा जाता है और कौन सी स्थिति में केतु अच्छे फल देता है और कौन सी स्थिति में केतु बुरे फल देता है। सबसे पहले आपको बता दें कि यदि कुंडली में केतु त्रिक भाव ( 6, 8, 12) या किसी अन्य बुरे भाव में बैठा हो तब इसका रत्न लहसुनिया धारण नहीं करना चाहिए। दूसरी बात यदि केतु कुंडली में किसी अच्छे भाव जैसे त्रिकोण भाव (1, 5, 9), केंद्र भाव (4, 7, 10) या किसी अन्य अच्छे भाव में बैठा हो तब आपको देखना चाहिए कि केतु जिस राशि में बैठा है उस राशि का स्वामी ग्रह कहीं किसी बुरे भाव में तो नहीं बैठा है या कुंडली में मारकेश तो नहीं है। यदि केतु कुंडली में किसी अच्छे भाव में बैठा हो और उस राशि का स्वामी ग्रह योग कारक होकर किसी अच्छे भाव में बैठा हो तभी केतु रत्न लहसुनिया धारण करना चाहिए अन्यथा नहीं करना चाहिए। राहु और केतु की कुंडली में अच्छी या बुरी स्थिति देखने के लिए आप हमारे पेज कुंडली में राहु और केतु पर क्लिक करके जानकारी प्राप्त कर सकते हो। यदि आपको कुंडली में योग कारक और मारक ग्रहों की पहचान करनी नहीं आती है तो आप हमारे पेज योग कारक और मारक ग्रह पर क्लिक करके जानकारी प्राप्त कर सकते हो।
रत्न क्यों धारण किया जाता है :- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति अपने पिछले जन्म के संचित कर्मों को साथ लेकर जन्म लेता है और उसके पिछले जन्म के संचित कर्मों के मुताबिक उसकी जन्म कुंडली का निर्माण होता है और उसके कर्मों के हिसाब से उसकी कुंडली में ग्रह उसको अच्छा और बुरा फल देने के लिए अलग अलग भावों में बैठते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 9 ग्रहों की रश्मियां प्रत्येक व्यक्ति को प्रभावित करके उसको अच्छा या बुरा परिणाम देती हैं। ज्योतिष शास्त्र का गणित हमें यह बताता है कि हमारी जन्म कुंडली में कौन-कौन से ग्रह योग कारक अर्थात अच्छा फल देने वाले और कौन-कौन से ग्रह मारक अर्थात बुरा फल देने वाले बैठे हैं। जब हमें यह पता चल जाता है कि हमारे लिए कौन-कौन से ग्रह अच्छे और बुरे हैं तो सुभाविक बात है कि योग कारक ग्रह अर्थात अच्छा फल देने वाले ग्रहों की अधिक प्रभाव में रश्मियां हमारे ऊपर पड़ेंगी तो हमें अधिक अच्छे परिणाम मिलेंगे और यदि कम पड़ेंगी तो कम अच्छे परिणाम मिलेंगे। ऐसे ही यदि कुंडली में किसी योग कारक ग्रह अर्थात अच्छा फल देने वाले ग्रह का बल कम हो, वह सूर्य के साथ अस्त हो या षटबल में कमजोर हो तब उस ग्रह से सबंधित रत्न धारण करके उसके बल को बढ़ाया जाता है। किसी ग्रह का रत्न एक चुम्बक ( Magnet) की तरह कार्य करता है। किसी ग्रह से सम्बंधित रत्न उसकी रश्मियों को ग्रहण करके व्यक्ति में संचार करने का कार्य करता है। किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह जिस भाव में बैठा हो, जिन भावों पर उसकी दृष्टि हो, जिन भावों में उसकी राशियां हों या जो ग्रह के कारकत्व हो, ग्रह उसका फल ही देते हैं। ऐसे ही यदि कुंडली में मारक ग्रह अर्थात बुरा फल देने वाले ग्रहों से सम्बंधित रत्न धारण कर लिया जाये तो उस ग्रह का बल बढ़ने से बुरे परिणाम अधिक मिलने शुरू हो जाते हैं। इसलिए कभी भी मारक ग्रह का रत्न धारण मत करें।
लहसुनिया रत्न की पहचान - लहसुनिया रत्न तीन-चार प्रकार के होते हैं। मगर जो लहसुनिया रत्न हरे रंग की चमक देता हो वह लहसुनिया रत्न भारत में सबसे अधिक बिकता है। इसके अतितिक्त भूरे (Brown ) रंग का लहसुनिया भी काफी प्रचलित है। लहसुनिया रत्न को यदि थोड़ा हिलाकर देखा जाए तो यह दिखने में बिल्ली की आँख जैसा प्रतीक होता है। जैसे बिल्ली की आंख प्रकाश में चमकती है वैसे ही लहसुनिया रत्न प्रकाश में दिखाई पड़ता है। लहसुनिया रत्न एक पत्थर की तरह दिखाई देता है और यह पकड़ने में वजनदार होता है। भारत में अच्छी क्वालिटी वाला लैब प्रमाणित लहसुनिया 40 रुपये से लेकर 100 रुपये रत्ती तक मिल जाता है। जब कभी भी लहसुनिया रत्न खरीदना हो तो अच्छी लैब से प्रमाणित रत्न ही ख़रीदे। यदि आप असली लैब प्रमाणित लहसुनिया रत्न खरीदना चाहते हैं तो आप लहसुनिया रत्न पर क्लिक करके खरीद सकते हो।
लहसुनिया रत्न कब और कैसे धारण करें (Whwn and how to wear cats eye stone)-लहसुनिया रत्न बुधवार के दिन धारण किया जाता है। लहसुनिया रत्न को पुरुष अपने दाएं हाथ की मध्यमा ऊँगली में और स्त्री अपनी बाएं हाथ की मध्यमा ऊँगली में चांदी, पंचधातु या अष्टधातु में धारण करें। लहसुनिया रत्न को धारण करने से पहले आप उसको गंगा जल से शुद्ध कर लें और पूजा स्थान में रखकर एक माला (108 बार) केतु बीज मंत्र का जाप करके धारण करें।
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नोट- नवग्रहों के बीज मंत्र की विधि|
*सूर्य बीज मंत्र *चंद्र बीज मंत्र *मंगल बीज मंत्र
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