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भाव चलित कुंडली का महत्व - Bhav Chalit Kundali prediction in hindi

चलित कुंडली का महत्व 
Chalit Kundali prediction in hindi
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चलित कुंडली क्या है (What is Chalit Kundali):- ज्योतिष शास्त्र में कुंडली विश्लेषण करते सम्य यदि कुंडली के सभी ग्रहों के भावों का विचार चलित कुंडली से नहीं किया जाए तो आपका सम्पूर्ण फलादेश गलत हो सकता है। कुंडली विश्लेषण में ज्यादातर लोग सिर्फ जन्म कुंडली में ग्रहों की भाव की स्थिति देखकर ही उस ग्रह का सबंधित भाव का फल बताना शुरू कर देते हैं। मगर आपको हम यहाँ बता दें कि कुंडली में ग्रहों की स्थिति का विचार सिर्फ 'भाव चलित कुंडली' द्वारा ही किया जाता है। कई बार जो जन्म कुंडली में योग और दोष बनते दिखाई दे रहे होते हैं वह योग और दोष 'भाव चलित कुंडली' में भंग हो जाए हैं और कई बार जन्म कुंडली में दिखाई देने वाली ग्रहों की युति 'भाव चलित कुंडली' में भंग हो जाती है। हम आपको स्पष्ट बता देते हैं कि कुंडली में ग्रहों के भाव का विचार सिर्फ 'चलित कुंडली से ही किया जाना चाहिए तभी आपका विश्लेषण सटीक होगा। 

'भाव चलित कुंडली' का प्रयोग कहाँ-कहाँ पर करना चाहिए, उससे पहले हम आपको 'जन्म कुंडली' से 'भाव चलित कुंडली' बनाने का सरल तरीका बताते हैं और उसका विश्लेषण कैसे करना है उसकी भी पूर्ण विधि बताते हैं। 

भाव चलित कुंडली कैसे बनाए (How to make Bhav Chalit Kundali):- भाव चलित कुंडली बनाने के लिए हमें 'जन्म कुंडली' और सभी ग्रहों के अंशों (Degree) का विवरण चाहिए होता है। हम आपको जो 'भाव चलित कुंडली' बनाने की विधि बताने जा रहे हैं इस विधि का नाम 'सम विभाजन विधि' है। आपको जो अपने 'मोबाइल एप्प' और कंप्यूटर कुंडली सॉफ्टवेयर से भाव चलित कुंडली प्राप्त होती है, उसकी बनाने की विधि अलग होती है, मगर मेरे अनुभव के मुताबिक मुझे इस विधि द्वारा बनाई गयी 'भाव चलित कुंडली' के परिणाम सही देखने को मिले हैं। जब भी आप आपने मोबाइल एप्प या किसी भी कुंडली सॉफ्टवेयर में जन्म कुंडली निकालते हो वहां पर नीचे लग्न और सभी ग्रहों के अंशों (Degree) का विवरण दिया होता है| आपने जन्म कुंडली बनाने के लिए वहां से जन्म कुंडली और अंशों का विवरण प्राप्त कर लेना है|

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उदारहण नंबर.1 

ग्रहों के अंशों (Degree) का विवरण 

लग्न- 05°-16'-20"                सूर्य- 21°-13'-45" 

चंद्र- 04°-03'-13"                मंगल- 01°-25'-33" 

बुध- 27°-23'-05"                गुरु- 22°-03'-23" 

शुक्र- 14°-37'-29"              शनि- 09°-28'-43" 

राहु- 18°-03'-57"               केतु- 18°-03'-57"


हमने आपको ऊपर एक तो जन्म कुंडली का चित्र नंबर. 1 दिया है और साथ में लग्न और सभी ग्रहों के अंशों (Degree) का विवरण दिया है। यहाँ पर आपने इस जन्म कुंडली और ग्रहों के अंशों (Degrees) से चलित कुंडली कैसे बनानी है हम आपको बताते हैं। 

यह भाव चलित कुंडली बनाने की सम विभाजन विधि है। इसमें सबसे पहले आपने लग्न का अंश देखना है। जैसे ऊपर ग्रहों के अंशों के साथ आप लग्न का अंश (Degree) 5°-16'-20"  देख रहे हो। जैसे आपको पता है कि कुंडली के प्रत्येक राशि में  ग्रह 30 अंशों तक चलता है और फिर दूसरी राशि में प्रवेश कर जाता है। यदि जन्म कुंडली (लग्न कुंडली) में लग्न 15 अंश (Degree) का हो तो भाव चलित में भी सभी ग्रहों की स्थिति वैसी ही रहती है। मगर यदि जन्म कुंडली में लग्न का अंश (Degree) कम हो तो तो आपने उसमें 15 अंश और जमा कर देने हैं और उस योगफल से जितने अंश बनते हैं उस अंक से ऊपर के अंश वाले ग्रह चलित भाव की कुंडली में अगले भाव में चले जाएंगे, मगर भाव चलित कुंडली में राशि नंबर जन्म कुंडली जैसे ही रहेंगे अर्थात चलित कुंडली में ग्रहों के भाव तो बदल सकते हैं मगर राशि नहीं बदलती। 

जैसे आप ऊपर लग्न का अंश (Degree) 5°-16'-20" देख रहे हो, यह अंश 15 अंश (Degree) से कम है इसलिए हम यहाँ लग्न के अंश 5°-16'-20" में 15 अंश और जमा कर देंगे। जैसे 5°-16'-20"+15°-00'-00"= 20°-16'-20" अब हमारा यहाँ पर योगफल 20°-16'-20" आ गया है। अब हमने जितने भी ग्रहों के अंश (Degree) 20°-16'-20" से ऊपर है उन ग्रहों को चलित कुंडली में अगले भाव  में लिख देना है। याद रहे भाव चलित कुंडली को जन्म कुंडली जैसा ही अंकित कर लेना है उसमें राशि नंबर जन्म कुंडली की तरह ही लिख लेने है। 

अब आप ऊपर चित्र नंबर. 2 में देख रहे हो, अब देखते हैं यहाँ पर ग्रहों ने कैसे आपने भाव बदल लिए हैं। यहाँ पर आपको पता है 20°-16'-20" अंशों (Degree) के ऊपर वाले ग्रह अगले भाव में चले जाएंगे और 20°-16'-20" अंशों से नीचे वाले ग्रह अपने पहले वाले भाव में ही रहेंगे। जैसे यहाँ पर सूर्य, बुध और गुरु के अंश (Degree) 20°-16'-20"  से ज्यादा है, इसलिए यह सब ग्रह चलित कुंडली में अगले भाव में चले जाएंगे। यहाँ पर याद रहे कि ग्रहों के भाव जरूर बदल जाते हैं, मगर राशि वही रहती है अर्थात भाव चलित कुंडली से भाव का  विचार करना है राशि वही रहेगी। जैसे आप ऊपर चित्र नंबर 2 में देख रहे हो कि सूर्य, बुध और गुरु ने अपना भाव तो बदल लिया है मगर उसके आगे राशि नंबर वही लिखा है। अब हम दूसरी उदाहरण से समझते हैं कि यदि लग्न का अंश 15 अंश (Degree) से ज्यादा हो तो ग्रह कैसे भाव बदलेंगे। 

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उदाहरण नंबर. 2

ग्रहों के अंशों (Degree) का विवरण 

लग्न- 24°-23'-15"                सूर्य- 13°-17'- 25"

चंद्र- 05°-03'-25"                मंगल- 01°-13'-42" 

बुध- 29°-23'-32"                गुरु- 15°-17'-49"

शुक्र- 23°-55'-57"              शनि- 11°-05'-22"

राहु- 10°-50'-13"                केतु- 10°-50'-13"

जैसे आपने उदाहरण नंबर 1 में पढ़ा है कि यदि लग्न का अंश (डिग्री) 15 अंश (डिग्री) से कम हो तो उसमें 15 अंश और जोड़ कर जितने अंक आते हैं, उस अंक के ऊपर अंश (डिग्री) वाले सभी ग्रह चलित कुंडली में अगले भाव में चले जाते हैं। वैसे ही यदि लग्न का अंश (डिग्री) 15 अंश से ऊपर हो तो उसमें हमें 15 अंश घटा देने हैं और जो शेष अंक बचेंगे उस अंक के नीचे अंश (डिग्री) वाले सभी ग्रह पिछले भाव में चले जाएंगे। 

जैसे आप उदाहरण 2 में ऊपर लग्न के अंश (डिग्री) 24°-23'-15"  देख रहे हो। यह लग्न का अंश (डिग्री) 15 अंश (डिग्री) से अधिक है। इसलिए हम इस लग्न के अंश 24°-23'-15" में से 15 अंश (डिग्री) घटा लेंगे। जैसे 24°-23'-15"-15°-00'-00"= 9°-23'-15"| अब यहाँ पर लग्न अंश में से 15 घटने पर शेष  9°-23'-15" बचता है। अब यहाँ पर भी आपने जन्म कुंडली जैसी भाव चलित कुंडली अंकित कर देनी है और 9°-23'-15" अंश (डिग्री) से नीचे अंश (डिग्री) वाले सभी ग्रहों को भाव चलित कुंडली में पिछले भाव में लिख देना है। जैसे उदाहरण नंबर 2 में दिए ग्रहों ग्रहों में मंगल और चंद्र का अंश (डिग्री) 9°-23'-15" से कम है और यह दोनों ग्रह भाव चलित कुंडली में पिछले भाव में चले जायेंगे मगर भाव चलित कुंडली में इन दोनों ग्रहों की राशि जन्म कुंडली वाली राशि ही मान्य होगी। चित्र नंबर 3 में आप देख सकते हो कैसे जन्म कुंडली से चंद्र और मंगल ग्रह ने भाव चलित कुंडली में भाव बदल लिए हैं। 

अब आपको यह तो पता चल गया है कि जन्म कुंडली से भाव चलित कुंडली कैसे बनानी है और अब आगे हम आपको बताते हैं कि भाव चलित कुंडली का महत्व क्या है और कुंडली विश्लेषण में इसका प्रयोग कहाँ पर हुए कैसे करना है।  

भाव चलित कुंडली का महत्व और प्रयोग (Bhav Chalit Kundali Predictions)- हम हम भाव चलित कुंडली को लेकर एक-एक बिंदु पर चर्चा करेंगे कि इसका प्रयोग कैसे करना है। 

कुंडली के भाव का विचार- जैसे हम कुंडली का विश्लेषण करते सम्य जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति देखते हैं कि कोई ग्रह कुंडली में कौन से भाव में बैठा है। ज्यादातर लोग कुंडली में किसी ग्रह का भाव का विचार जन्म कुंडली से ही करने लगते हैं , मगर आपको यहाँ पर बता दें कि किसी भी ग्रह कि भाव का विचार भाव चलित कुंडली से ही करना चाहिए।  जैसे हम ऊपर उदाहरण नंबर 1 में देख सकते हैं कि जन्म कुंडली में बुध और सूर्य ग्रह प्रथम भाव में बैठे हुए हैं और चित्र नंबर 2 में भाव चलित कुंडली में यह दोनों ग्रह दृत्य (2) भाव में चले गए हैं।  अब यहाँ पर हम सूर्य और बुध को दृत्य भाव में बैठा हुआ समझ कर ही दृत्य भाव का विचार करेंगे। यहाँ पर बुध और सूर्य प्रथम भाव का नहीं बल्कि दृत्य भाव का फल देंगे। याद रहे यहाँ पर ग्रह भाव तो बदल लेता है मगर राशि जन्म कुंडली वाली वाली का ही विचार करना है। जैसे चित्र नंबर 2 में सूर्य और बुध दृत्य भाव में तो चले गए हैं मगर उनके आगे राशि नंबर 5 अर्थात सिंह ही रहने दिया है।   

ग्रहों की युति का विचार- यदि जन्म कुंडली में कोई 2, 3 या 4 ग्रह युति बनाकर बैठे हैं और उनमें से कोई ग्रह भाव चलित कुंडली में अगले या पिछले भाव में चला जाये तो उसकी युति दूसरे ग्रहों से भंग हो जाती है। जैसे आप ऊपर चित्र नंबर 1 में देख रहे हो कि जन्म कुंडली में बुध, केतु और सूर्य प्रथम भाव में युति बनाकर बैठे हुए हैं और चित्र नंबर 2 में भाव चलित कुंडली में बुध और सूर्य ग्रह अगले भाव में चले गए हैं। अब यहाँ पर सूर्य और बुध की युति केतु से भंग हो जाएगी। ऐसे ही चित्र नंबर 1 में जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव में मंगल और शनि की युति है और चित्र नंबर 3 अर्थात भाव चलित कुंडली में मंगल पिछले भाव में चला गया है तो यहाँ पर भी मंगल और शनि की युति भंग हो जाती है। मगर यहाँ पर यदि कोई दोनों ग्रहों की अंशात्मक दूरी 8 अंश से कम है तो भाव बदलने पर भी उनकी युति मान लेनी चाहिए।  

मांगलिक योग या अन्य योगों का विचार- (Manglik in Bhav Chalit Kundali)- यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में मांगलिक योग या कोई अन्य योग बन रहा हो और भाव चलित कुंडली में भंग हो जाये तो उसे भंग ही मानना चाहिए। क्यूंकि योग हमेशा कुंडली के भाव और ग्रहों की युति से बनते हैं और भाव का विचार चलित कुंडली से किया जाना अनिवार्य है। जब कोई ग्रह किसी ग्रह के साथ भाव चलित कुंडली में अपनी युति तोड़ लेता है या भाव बदल लेता है तो योग भी भंग होता है। उदाहरण के लिए जैसे आप चित्र नंबर 1 में जन्म कुंडली में देख रहे हो कि मंगल चतुर्थ भाव में होने से मांगलिक योग बन रहा है और उदाहरण नंबर 2 में दिए चित्र नंबर 3 में भाव चलित कुंडली में मंगल ग्रह पिछले भाव अर्थात तृत्य भाव में चला गया है और अब हमें यहाँ भाव चलित कुंडली से मंगल का विचार करके मांगलिक योग को भंग मानना चाहिए। ऐसे ही यदि किसी जन्म कुंडली में कोई योग बन रहा है तो यदि वह योग भाव चलित में भी बरक़रार रहता है तभी उस योग को मानना चाहिए। 

भाव चलित कुंडली में दोषों का भंग होना :-  जैसे आपको पता है कि जन्म कुंडली में बनने वाले योग यदि भाव चलित कुंडली में भंग हो जाते है वैसे ही जन्म कुंडली में बनने वाले दोष यदि भाव चलित में भंग हो जाये तो उसे भंग ही समझाना चाहिए। जैसे मान लो जन्म कुंडली में शनि और चंद्र की युति से विष योग बन रहा हो और भाव चलित कुंडली में शनि और चंद्र की युति भंग हो जाये तो उस दोष को भंग मानना चाहिए। ऐसे ही यदि कोई ग्रह जन्म कुंडली में अष्टम भाव में दिखाई दे रहा है और भाव चलित कुंडली में वह ग्रह नवम भाव या सप्तम भाव में चला जाये तो उस ग्रह का अष्टम भाव का दोष ख़तम हो जाता है।  

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