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Lesson-8 ग्रहों की दृष्टियाँ, Grahon ki drishti

ग्रहों की दृष्टियाँ(Graho ki Drishti)

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किसी भी कुंडली का विश्लेषण करते सम्य ग्रहों की दृष्टिओं की अहम भूमिका होती है| कुंडली में सभी गृह (नवग्रह) किसी ना किसी भाव में बैठे होते हैं|वह जिस भी भाव में बैठे होते हैं, उस भाव में अपना अच्छा या बुरा परिणाम देते है| 
यह सभी गृह आपने भाव में बैठ कर कुंडली के अन्य भाव पर अपनी दृष्टि डालकर उसको भी प्रभावित करते हैं अर्थात उस भाव में भी अपना अच्छा या बुरा फल देते हैं| उसको हम गृह की दृष्टि कहते हैं| कुंडली में हम पूर्ण दृष्टि की बात करेंगे, जिसका अर्थ है कि कौन सा गृह कहाँ पर अपनी दृष्टि डाल कर पूर्ण प्रभाव डाल रहा है| 
कुंडली में सभी ग्रहों की एक सातवीं दृष्टि होती है, अर्थात वह जिस भाव में बैठे होते हैं वहां से सात नंबर आगे के भाव के ऊपर अपनी दृष्टि डालते हैं| मगर कुछ गृह जैसे मंगल, गुरु, शनि, राहु और केतु की सातवीं दृष्टि के अतिरिक्त और भी 2 दृष्टियाँ होती है| हम आगे आपको उदाहरण देकर सभी ग्रहों की दृष्टियों के बारे में विस्तार से समझाते हैं|

ग्रहों की सप्तम दृष्टि( Grah ki saptam drishti):-
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जैसा आप ऊपर चित्र नंबर 1 में देख रहें हो कि इस कुंडली में चंद्र गृह कुंडली के चर्तुथ(4) भाव में हैं और यह अपनी सातवीं दृष्टि दसवें घर पर डाल रहा है और कुंडली में दसवां भाव हमारी नौकरी और कारोबार को प्रभावित करता है| यदि यहाँ चंद्र शुभ फल देने वाला हुआ तो वह अपनी महादशा या अंतर-दशा में अपनी सातवीं दृष्टि से हमारे दसवें भाव को प्रभावित करेगा जिससे हमारे कारोबार में बढ़ोतरी होगी और यदि हम नौकरी करते है तो उसमें हमारी तरक्की हो सकती है| ऐसे ही यदि चंद्र बुरे फल देने वाला हुआ तो वह अपनी सातवीं दृष्टि डाल कर इस घर को ख़राब कर देगा और बुरे फल देगा|
अब आपको पता होना चाहिए कि इसका गणित कैसे करते हैं| जैसे आप ऊपर चित्र नंबर 1 में देख रहे हो यहाँ पर चंद्र चर्तुथ(4) भाव में 6 नंबर राशि(कन्या) के घर में बैठे हुए हैं| यहाँ पर आपको इसका गणित करते सम्य सिर्फ कुंडली के भाव का ख्याल रखना है और यहाँ पर राशि 6(कन्या) के अतिरिक्त कोई और भी हो सकती है, आपको उसका विचार नहीं करना है|
जैसे आप चित्र नंबर एक में देख रहें हो कि चंद्र गृह  कुंडली के चतुर्थ(4) भाव में हैं और यदि आपको इसकी सातवीं दृष्टि का गणित करना है तो आपको चतुर्थ भाव से गिनती शुरू करके देखना है कि सातवां नंबर कहाँ आता है| इसमें आप देखोगे के चतुर्थी(4) भाव से गिनती शुरू की जाए तो सातवां नंबर दशम(10) भाव में आता है, तो ऐसे चंद्र गृह की सातवीं दृष्टि दशम(10) भाव पर पड़ती है|
कुंडली में कोई भी गृह जिस भाव में बैठा होगा उसकी गिनती वहाँ से शुरू करके सातवें नंबर पर जो भी भाव आता है, उस भाव पर गृह की सातवीं दृष्टि पड़ेगी|
हम आगे मंगल, गुरु, शनि, राहु और केतु की दृष्टियों की बात करेंगे| इन ग्रहों की सातवीं दृष्टि से अतिरिक्त 2 अन्य दृष्टियाँ होती हैं|

मंगल गृह की दृष्टि(Mangal Grah ki Drishti)
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आप ऊपर चित्र नंबर 2 में देख रहें हो कि मंगल गृह की सातवीं दृष्टि के अतिरिक्त चौथी और आठवीं दृष्टि भी होती है| यहाँ पर आप देख सकते हो कि मंगल गृह कुंडली के तृतीय(3) भाव में है और इसकी चौथी दृष्टि षष्ठ(6) भाव पर पढ़ रही है और मंगल गृह की सातवीं दृष्टि नवम(9) भाव पर पढ़ रही है, वहीं मंगल गृह की आठवीं दृष्टि दशम(10) भाव पर पड़ रही है| अब इस कुंडली में जब भी मंगल की महां-दशा या अंतर-दशा आएगी तो मंगल आपने भाव के अतिरिक्त चौथी दृष्टि से षष्ठ(6) भाव, सातवीं दृष्टि से नवम(9) भाव और आठवीं दृष्टि से दशम(10) भाव को प्रभावित करेगा| यदि मंगल यहाँ शुभ गृह हुआ तो इन भावों से सबंधित अच्छे फल मिलेंगे यदि अशुभ हुआ तो इन सभी भावों से 
सबंधित बुरे फल मिलेंगे|

शनि गृह की दृष्टि(Shani Grah ki drishti)

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आप ऊपर चित्र नंबर 3 में देख रहें हो कि यहाँ शनि चर्तुथ भाव में हैं और शनि गृह की 3, 7, 10 भाव पर दृष्टि होती है| यहाँ पर शनि की तृतीय(3) दृष्टि षष्ठ(6) भाव पर, सातवीं दृष्टि दशम(10) भाव पर और दसवीं दृष्टि प्रथम(1) भाव पर पड़ रही है|

गुरु गृह की दृष्टि(Guru Grah ki Drishti)

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आप ऊपर देख रहें हो कि गुरु की 5, 7, 9 दृष्टि होती है| यहाँ चित्र नंबर 4 में गुरु की पाँचवी दृष्टि अष्टम(8) भाव पर, सातवीं दृष्टि दशम(10) भाव पर और नौवीं दृष्टि द्वादश(12) भाव पर पड़ रही है|

राहु गृह की दृष्टि(Rahu Grah ki drishti)

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आप ऊपर चित्र नंबर 5 में देख रहें हो कि राहु गृह की भी गुरु  गृह की तरह 5, 7, 9  भाव पर दृष्टि होती है| यहाँ पर राहु की पाँचवी दृष्टि अष्टम(8) भाव, सातवीं दृष्टि दशम(10) भाव पर और नौवीं दृष्टि द्वादश(12) भाव पर पड़ रही है|

केतु गृह की दृष्टि(Ketu Grah ki Drishti)

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केतु गृह की भी 5, 7, 9 भाव पर दृष्टि होती है| आप ऊपर चित्र नंबर 6 में देख रहें हो कि यहाँ पर केतु गृह की आपने भाव से पाँचवी दृष्टि अष्टम(8) भाव, सातवीं दृष्टि दशम(10) भाव पर और नौवीं दृष्टि द्वादश(12) भाव पर पड़ रही है|

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