पुखराज रत्न धारण करने के लाभ Yellow Sapphire (Pukhraj) Stone benefits in hindi
पुखराज रत्न के लाभ और पहचान (Benefits of Yellow Sapphire or Pukhraj stone):- पुखराज रत्न बृहस्पति ग्रह का रत्न होता है और इस रत्न को बृहस्पति ग्रह के बल को बढ़ाने के लिए धारण किया जाता है। बृहस्पति ग्रह ज्ञान और अध्यात्म का कारक ग्रह है और इसके रत्न पीले पुखराज को धारण करने से व्यक्ति में ज्ञान और अध्यात्म की वृद्धि होती है। इसको धारण करने से व्यक्ति अपने ज्ञान से जगत में प्रसिद्धि प्राप्त करता है। इसके अतिरिक्त कुंडली में बृहस्पति ग्रह जिस भाव में स्थित होता है, जिस भाव में इसकी राशि धनु और मीन होती है और जिन भावों पर इसकी तीन दृष्टियां (5, 7, 9) होती हैं, पीला पुखराज धारण करने से उन भावों के फलों में वृद्धि होती है। मगर याद रहे पुखराज रत्न को धारण करने के कुछ नियम होते हैं और कुछ परिस्थितिओं में ही इस रत्न को धारण करना चाहिए अन्यथा यह रत्न लाभ के स्थान पर हानि भी कर सकता है। हम नीचे इसको धारण करने के कुछ नियम बताते हैं।
पुखराज रत्न धारण करने के नियम : यदि आपकी कुंडली में बृहस्पति (गुरु) ग्रह योग कारक होकर किसी अच्छे भाव अर्थात त्रिकोण भाव (5, 7, 9) , केंद्र भाव (4, 7, 10) या अन्य किसी अच्छे स्थान पर बैठा हो तभी इसके रत्न पुखराज को धारण करना चाहिए और यदि कुंडली में बृहस्पति मारक हो तब भूल कर भी इसका रत्न धारण मत करें। यदि कुंडली में बृहस्पति ग्रह योग कारक होकर किसी बुरे भाव अर्थात त्रिक भाव (6, 8, 12) या किसी अन्य बुरे भाव में विराजित हो तब किसी अच्छे ज्योतिष की परामर्श से ही पुखराज रत्न को धारण करें। यदि आपकी कुंडली में बृहस्पति ग्रह योग कारक होकर किसी अच्छे भाव में सूर्य के साथ अस्त हो या षटबल में कमजोर हो तब पुखराज रत्न जरूर धारण करना चाहिए। यदि आपको कुंडली में योग कारक और मारक ग्रहों की पहचान करनी नहीं आती है तो आप हमारे पेज योग कारक और मारक ग्रह पर क्लिक करके जानकारी प्राप्त कर सकते हो।
रत्न क्यों धारण किया जाता है :- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति अपने पिछले जन्म के संचित कर्मों को साथ लेकर जन्म लेता है और उसके पिछले जन्म के संचित कर्मों के मुताबिक उसकी जन्म कुंडली का निर्माण होता है और उसके कर्मों के हिसाब से उसकी कुंडली में ग्रह उसको अच्छा और बुरा फल देने के लिए अलग अलग भावों में बैठते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 9 ग्रहों की रश्मियां प्रत्येक व्यक्ति को प्रभावित करके उसको अच्छा या बुरा परिणाम देती हैं। ज्योतिष शास्त्र का गणित हमें यह बताता है कि हमारी जन्म कुंडली में कौन-कौन से ग्रह योग कारक अर्थात अच्छा फल देने वाले और कौन-कौन से ग्रह मारक अर्थात बुरा फल देने वाले बैठे हैं। जब हमें यह पता चल जाता है कि हमारे लिए कौन-कौन से ग्रह अच्छे और बुरे हैं तो सुभाविक बात है कि योग कारक ग्रह अर्थात अच्छा फल देने वाले ग्रहों की अधिक प्रभाव में रश्मियां हमारे ऊपर पड़ेंगी तो हमें अधिक अच्छे परिणाम मिलेंगे और यदि कम पड़ेंगी तो कम अच्छे परिणाम मिलेंगे। ऐसे ही यदि कुंडली में किसी योग कारक ग्रह अर्थात अच्छा फल देने वाले ग्रह का बल कम हो, वह सूर्य के साथ अस्त हो या षटबल में कमजोर हो तब उस ग्रह से सबंधित रत्न धारण करके उसके बल को बढ़ाया जाता है। किसी ग्रह का रत्न एक चुम्बक ( Magnet) की तरह कार्य करता है। किसी ग्रह से सम्बंधित रत्न उसकी रश्मियों को ग्रहण करके व्यक्ति में संचार करने का कार्य करता है। किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह जिस भाव में बैठा हो, जिन भावों पर उसकी दृष्टि हो, जिन भावों में उसकी राशियां हों या जो ग्रह के कारकत्व हो, ग्रह उसका फल ही देते हैं। ऐसे ही यदि कुंडली में मारक ग्रह अर्थात बुरा फल देने वाले ग्रहों से सम्बंधित रत्न धारण कर लिया जाये तो उस ग्रह का बल बढ़ने से बुरे परिणाम अधिक मिलने शुरू हो जाते हैं। इसलिए कभी भी मारक ग्रह का रत्न धारण मत करें।
पुखराज रत्न की पहचान:- भारत में पुखराज रत्न २ तरह का आता है। सिलोनी (श्रीलंका) पुखराज सबसे अच्छा माना जाता है। सिलोनी पुखराज की कमर इसकी गुणवत्ता के हिसाब से होती है। इस रत्न में जितने रेशे अधिक होंगे इसकी कीमत उतनी कम होगी और यह रत्न जितना पारदर्शी होगा उतना ही अधिक कीमती होगा। सलोनी पुखराज की भारतीय बाजार में कीमत 1000 रुपये से लेकर 10000 रुपये प्रति रत्ती तक होती है। इसके अतिरिक्त बैंकाक का पुखराज कीमत में सस्ता होता है। इसकी कीमत भी इसकी पारदर्शिता से निर्धारित होती है। बैंकाक का पुखराज 250 रुपये रत्ती से 700 रुपये प्रति रत्ती के हिसाब से मिलता है। यह रत्न वजनदार होते हैं। यदि आप लैब से प्रमाणित असली पुखराज खरीदना चाहते हो तो आप पुखराज रत्न पर क्लिक करके प्राप्त कर सकते हो।
पुखराज रत्न कब और कैसे धारण करें (When and How to wear yellow sapphire or Pukhraj)Stone):- पुखराज रत्न को रविवार के दिन धारण किया जाता है। यह रत्न सिर्फ सोने की अंगूठी या लॉकेट में धारण किया जाता है। पुखराज को धारण करने से पहले इसको गंगाजल से शुद्ध करके किसी पूजा स्थान में रखकर बृहस्पति बीज मंत्र से अभिमंत्रित कर लें और उसके बाद ही धारण करें। इससे आपको अधिक लाभ होगा।
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नोट- नवग्रहों के बीज मंत्र की विधि|
*सूर्य बीज मंत्र *चंद्र बीज मंत्र *मंगल बीज मंत्र
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