माणिक (रूबी) स्टोन के फायदे
Ruby (Manik) Stone Benefits in hindi
माणिक (रूबी) रत्न कब और कैसे धारण करें - माणिक (रूबी) रत्न सूर्य के बल को बढ़ाने के लिए पहना जाता है। हम आपके आगे बताते हैं कि यह रत्न किसको धारण करना चाहिए और किसको धारण नहीं करना चाहिए।
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य योग कारक होकर त्रिकोण भाव ,केंद्र भाव या अन्य अच्छे भाव अर्थात 1, 2, 4, 5, 7, 9, 10, 11 भाव में बैठा हो और वह बलहीन हो तब सूर्य का रत्न माणिक (रूबी) धारण किया जाता है। यदि कुंडली में सूर्य योग कारक होकर त्रिक भाव अर्थात 6, 8, 12 भाव में बैठा हो तब किसी अच्छे ज्योतिष की परामर्श से रत्न धारण करना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में सूर्य मारक होकर किसी भी भाव में बैठा हो तब भूलकर भी सूर्य का रत्न माणिक (रूबी) धारण मत करें क्यूंकि कुंडली में मारक ग्रह के बल को कभी भी बढ़ाना नहीं चाहिए। यदि आपको कुंडली में योग कारक और मारक ग्रह की पहचान करनी नहीं आती तो आप हमारे पेज योग कारक और मारक ग्रह पर क्लिक करके प्राप्त कर सकते हो।
माणिक (रूबी) धारण करने के लाभ (Benefits of Ruby Stone or Manik Stone) ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति अपने पिछले जन्म के संचित कर्मों को साथ लेकर जन्म लेता है और उसके पिछले जन्म के संचित कर्मों के मुताबिक उसकी जन्म कुंडली का निर्माण होता है और उसके कर्मों के हिसाब से उसकी कुंडली में ग्रह उसको अच्छा और बुरा फल देने के लिए अलग अलग भावों में बैठते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 9 ग्रहों की रश्मियां प्रत्येक व्यक्ति को प्रभावित करके उसको अच्छा या बुरा परिणाम देती हैं। ज्योतिष शास्त्र का गणित हमें यह बताता है कि हमारी जन्म कुंडली में कौन-कौन से ग्रह योग कारक अर्थात अच्छा फल देने वाले और कौन-कौन से ग्रह मारक अर्थात बुरा फल देने वाले बैठे हैं। जब हमें यह पता चल जाता है कि हमारे लिए कौन-कौन से ग्रह अच्छे और बुरे हैं तो सुभाविक बात है कि योग कारक ग्रह अर्थात अच्छा फल देने वाले ग्रहों की अधिक प्रभाव में रश्मियां हमारे ऊपर पड़ेंगी तो हमें अधिक अच्छे परिणाम मिलेंगे और यदि कम पड़ेंगी तो कम अच्छे परिणाम मिलेंगे। ऐसे ही यदि कुंडली में किसी योग कारक ग्रह अर्थात अच्छा फल देने वाले ग्रह का बल कम हो, वह सूर्य के साथ अस्त हो या षटबल में कमजोर हो तब उस ग्रह से सबंधित रत्न धारण करके उसके बल को बढ़ाया जाता है। किसी ग्रह का रत्न एक चुम्बक ( Magnet) की तरह कार्य करता है। किसी ग्रह से सम्बंधित रत्न उसकी रश्मियों को ग्रहण करके व्यक्ति में संचार करने का कार्य करता है। किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह जिस भाव में बैठा हो, जिन भावों पर उसकी दृष्टि हो, जिन भावों में उसकी राशियां हों या जो ग्रह के कारकत्व हो, ग्रह उसका फल ही देते हैं। ऐसे ही यदि कुंडली में मारक ग्रह अर्थात बुरा फल देने वाले ग्रहों से सम्बंधित रत्न धारण कर लिया जाये तो उस ग्रह का बल बढ़ने से बुरे परिणाम अधिक मिलने शुरू हो जाते हैं। इसलिए कभी भी मारक ग्रह का रत्न धारण मत करें।
माणिक (रूबी) रत्न सूर्य का रत्न है और सूर्य हमारे पिता, समाज में प्रतिष्ठा-सम्मान, शरीर में ऊर्जा, आत्मा और हमारे स्वास्थ्य का कारक ग्रह है। यदि कुंडली में सूर्य ग्रह किसी योग कारक होकर अच्छे भाव में बैठे हों तो सूर्य का रत्न माणिक {Ruby Stone} धारण करने से समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ती है, स्वास्थ्य अच्छा रहता है, पिता का स्वास्थ्य और पिता के द्वारा लाभ प्राप्त होता है, शरीर की कमजोरी दूर होती है और चेहरे पर औज आता है। कुंडली के जिस भाव में सूर्य बैठा हो और सूर्य की सप्तम दृष्टि जिस भाव पर पड़ रही हो, माणिक रत्न धारण करने से उस भावों को वृद्धि होती है और उन भावों से सबंधित अधिक फलों की प्राप्ति होने लगती है।
माणिक रत्न की पहचान कैसे करें (How to identify Ruby Stone):- वैसे तो ज्यादातर ऑनलाइन बिकने वाले रत्न या तो नकली होते हैं या फिर गुणवत्ता में बहुत हलके होते हैं। आप यही सुझाव दिया जाता है कि आप बर्मा का माणिक रत्न (Ruby Stone) खरीद कर धारण करें। यदि हो सके तो किसी अच्छी कंपनी से प्रमाणित माणिक रत्न ही ख़रीदे। अच्छी गुणवत्ता वाला बर्मा का माणिक रत्न (Ruby Stone) हलके लाल रंग का होता है और यह गहरे गुलाबी रंग वाला बिलकुल पारदर्शी होता है। यह रत्न वजन में ठोस (वजनदार) होता है। यदि हम इसकी कीमत की बात करें तो यह रत्न 200 से 500 रुपये तक प्रति रत्ती की कीमत में मिल जाता है। यदि आप अच्छी गुणवत्ता वाला बर्मा का माणिक रत्न (Ruby Stone) खरीदना चाहते हो तो आप बर्मा माणिक रत्न पर क्लिक करके ऑनलाइन खरीद सकते हो। यहाँ से आपको पूरी तरह से प्रमाणित अच्छी गुणवत्ता वाला बर्मा का रत्न मिलेगा।
माणिक रत्न कब और कैसे धारण करें (When and How wear ruby stone) माणिक रत्न को रविवार को धारण करना चाहिए। माणिक रत्न तांबे या सोने की अंगूठी में अनामिका ऊँगली में धारण करना चाहिए। रविवार वाले दिन को माणिक रत्न की अंगूठी को गंगा जल से शुद्ध करके पूजा स्थान में रखकर ॐ श्री सूर्याय नमः का एक माला अर्थात 108 बार जाप करके सूर्य देव को नमस्कार करके धारण करना है।
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नोट- नवग्रहों के बीज मंत्र की विधि|
*सूर्य बीज मंत्र *चंद्र बीज मंत्र *मंगल बीज मंत्र
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