कुंडली में पाप कर्तरी योग Paap Kartari Yoga in kundali in hindi
पाप कर्तरी योग क्या है (What is Paap Kartari Yoga) - कर्तरी का शाब्दिक अर्थ होता है काटना या कुतरना। कुंडली में जब किसी भाव के एक घर आगे और एक घर पीछे क्रूर या पापी ग्रह बैठे हो तब उस भाव से पाप कर्तरी योग बनता है। जब किसी भाव के एक घर आगे और एक घर पीछे दोनों और क्रूर या पापी ग्रह बैठे हों तब उस भाव के फल संघर्ष और परेशानी से प्राप्त होते हैं। मगर यहाँ पर किसी भाव के अगले और पिछले भाव में सिर्फ क्रूर या पापी ग्रह होने से यह योग बनता है यदि किसी भाव के अगले और पिछले भाव में क्रूर या पापी ग्रह के साथ कोई सौम्य ग्रह भी बैठा हो तब यह दोष नहीं लगता है। जिस भाव से पाप कर्तरी योग बन रहा हो यदि उस भाव में कोई ग्रह भी बैठा हो तब वह भी पाप कर्तरी योग या दोष के प्रभाव में आ जाता है और उस ग्रह के कारकत्वों और भाव से जुड़े फल संघर्ष और मुश्किलों से प्राप्त होते हैं। आपको पता ही होगा कि कुंडली में क्रूर और पापी ग्रह चाहे योग कारक ही क्यों ना हों पर वह अपना नैसर्गिक स्वाभाव नहीं छोड़ते हैं। यदि आपको क्रूर, पापी और सौम्य ग्रहों के कुंडली में पड़ने वाले प्रभावों की जानकारी नहीं है तो आप हमारे पेज क्रूर और सौम्य ग्रहों पर क्लिक करके प्राप्त कर सकते हो। कुंडली में पाप कर्तरी योग कितना प्रबल बनेगा और वह कब भंग हो जाता है हम आपको उसकी आगे जानकारी देते हैं।
पाप कर्तरी योग कैसे बनता है - How is paap Kartari yoga formed?
जैसे आप ऊपर कुंडली का चित्र देख रहे हो इस कुंडली में आप पंचम भाव को देखिए। यहाँ पंचम भाव में गुरु बैठा है और इसके एक घर आगे अर्थात छठे भाव में पापी शनि बैठा हुआ है और एक भाव पीछे अर्थात चौथे भाव में एक क्रूर ग्रह मंगल और एक पापी ग्रह केतु बैठा हुआ है। इस तरह से इस कुंडली का पंचम भाव पाप कर्तरी दोष या योग में आ जाता है। अब यहाँ पर पंचम भाव से जुड़े फल जैसे शिक्षा और संतान में प्राप्त होने में परेशानी आएगी या संघर्षों के बाद प्राप्त होंगे। अब यहाँ पंचम भाव में गुरु ग्रह भी पाप कर्तरी योग के प्रभाव में आ गया है और अब गुरु से जुड़े फल भी मुश्किल और संघर्ष के बाद प्राप्त होंगे। अब इस कुंडली का सप्तम भाव भी देखिए। सप्तम भाव के एक घर पीछे अर्थात छठे भाव में पापी ग्रह शनि बैठा हुआ है और सप्तम भाव के एक घर आगे अर्थात अष्टम भाव में क्रूर ग्रह सूर्य बैठा हुआ है। अब यहाँ पर सप्तम भाव और सप्तम भाव में बैठा बुध ग्रह भी पाप कर्तरी योग के प्रभाव में गया है। अब यहाँ पर पति/पत्नी, शादी, हिस्सेदारी, रोज़ाना की आय प्राप्त करने में परेशानी आएगी और संघर्षों के बाद प्राप्त होंगे। आपको यह तो पता चल गया होगा कि कुंडली में पाप कर्तरी योग कैसे बनता है अब आपको आगे यह बताते हैं कि कुंडली में यह योग प्रबल कब बनता है अर्थात कब अपना ज्यादा प्रभाव देता है और कब कम देता है और साथ में कुंडली में पाप कर्तरी योग कब भंग हों जाता है उसकी जानकारी देते हैं।
पाप कर्तरी योग बनने के नियम - Rule of Paap Kartari Yoga
1. कुंडली में जिस भाव में पाप कर्तरी योग बन रहा हो यदि उस भाव के अगले भाव वाला ग्रह वक्री हों जाये और पीछे वाला वक्री ही हो तब उस भाव में पाप कर्तरी योग का प्रभाव अधिक हो जाता है उदाहरण के तौर पर जैसे ऊपर दी कुंडली में पंचम भाव पाप कर्तरी योग के प्रभाव में आता है और यदि यहाँ पर पंचम भाव के अगले भाव अर्थात छठे भाव में बैठा शनि वक्री हो और पिछले भाव में बैठा ग्रह मंगल मार्गी हो तब पंचम भाव को पाप कर्तरी का अधिक दोष लगेगा क्यूंकि फिर यहाँ पर क्रूर मंगल पंचम भाव की और बढ़ रहा है और छठे भाव में बैठा पापी शनि भी वक्री हो पंचम भाव की और बढ़ेगा। इस तरह से पंचम भाव में प्रबल पाप कर्तरी दोष का प्रभाव होगा। ऐसे ही यदि कुंडली में जिस भाव में पाप कर्तरी योग बन रहा हों उस भाव के पिछले भाव वाला ग्रह वक्री होकर बैठा हों और अगले भाव में बैठा ग्रह मार्गी हो तब यह दोष कम हों जाता है। उदाहरण के तौर पर जैसे ऊपर दी हुई कुंडली के चित्र में सप्तम भाव में पाप कर्तरी योग बन रहा है और यदि यहाँ पर पापी शनि वक्री होकर पीछे की और अर्थात पिछले भाव की और जा रहा हो और सूर्य मार्गी होकर चल रहा हो। तो यहाँ शनि वक्री होकर सप्तम भाव को छोड़ रहा है और सूर्य वैसे ही मार्गी होकर सप्तम भाव को छोड़ रहा है। ऐसी स्थिति में यहाँ पर पाप कर्तरी दोष कम प्रभाव देता है। यह रहे पाप कर्तरी योग का विचार सिर्फ जन्म कुंडली से करना है।
2. यदि किसी जन्म कुंडली में पाप कर्तरी योग बन रहा हो और चलित भाव कुंडली में यह योग भंग हो जाए तो इस योग को भंग ही समझाना चाहिए। चलित भाव कुंडली को कैसे देखा जाता है उसकी जानकारी आप हमारे पेज भाव चलित कुंडली पर क्लिक करके प्राप्त कर सकते हो।
3. जिस भाव में पाप कर्तरी योग बन रहा हो यदि उस भाव में कोई ग्रह उच्च राशि, स्वं राशि का बलि होकर बैठा हो तब उस भाव में बैठा ग्रह पाप कर्तरी योग के प्रभाव में तो आता है मगर संघर्षों के बाद वह ग्रह अपने फल देने में सक्षम हो जाता है। जैसे ऊपर दी गई कुंडली में गुरु अपनी स्वं राशि में बैठा है इस तरह से गुरु यहाँ पर पाप कर्तरी योग के प्रभाव में आने के बावजूद भी अपना फल देने में समक्ष है।
जैसे कुंडली में पाप कर्तरी योग बनता है ऐसे ही कुंडली में शुभ कर्तरी योग भी बनता है। शुभ कर्तरी योग की जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे पेज शुभ कर्तरी योग पर क्लिक करें।
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नोट- नवग्रहों के बीज मंत्र की विधि|
*सूर्य बीज मंत्र *चंद्र बीज मंत्र *मंगल बीज मंत्र
त्रिक भाव अगर पाप कर्तरी मे आजाये तो उसका प्रभाव कैसा होगा?
ReplyDeleteधन्यवाद