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How to Meditation in hindi-ध्यान साधना कैसे करें

How to Meditation in Hindi

ध्यान साधना कैसे करें 

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ध्यान का अर्थ (Meaning of Meditation in hindi):- यदि कोई व्यक्ति अंदर से शांति प्राप्त करना चाहता है तो वह केवल ध्यान की प्रक्रिया के द्वारा ही इस आनंदित अनुभूति को प्राप्त कर सकता है| ध्यान (Meditation) हमें वर्तमान में लेकर आता है और आनंद की प्राप्ति सिर्फ वर्तमान में ही होती है| इस संसार में प्रत्येक व्यक्ति या तो अपने भूतकाल (गुजरे हुए सम्य) के बारे में सोचता रहता है या फिर भविष्य (आने वाले सम्य) को लेकर चिंतित रहता है| यह हमारा जो मन है हमेशा इन दोनों अवस्थाओं में रहता है और यह दोनों अवस्थाएं हमें केवल चिंतित ही करती हैं| हम अपने गुजरे हुए सम्य को लेकर परेशान रहते हैं कि काश हम ऐसा कर लेते तो शायद खुश होते या फिर भविष्य को लेकर तरह तरह की योजनाए बनाते रहते हैं| मगर ना तो भूतकाल को हम बदल सकते हैं और ना ही भविष्य को अपने अनुसार चला सकते हैं| हमारे अकारण दुखी रहने का कारण भी यही है| वर्तमान में हम कभी जीते ही नहीं हैं| यही हमारे दुख का कारण है और ध्यान साधना (Meditation) हमारे मन को भूतकाल और भविष्य  से खींच कर वर्तमान में लेकर आती है और हमें अंदरूनी आनंद की अनुभुति होने लगती है| ध्यान साधना (Meditation) करने का यही तातपर्य होता है कि हम अपने मन में चल रहे विचारों को रोक कर वर्तमान स्थिति में ला सकें। यही वो स्थिति होती है जो हमें एक बहुत गहरे आनंद तक ले जाती है। 
हमारे संसार में प्रत्येक व्यक्ति सांसारिक भौतिक वस्तुओं में अपना सुख ढूंढ़ने में लगा हुआ है और यदि उसकी कोई इच्छा पूर्ण हो भी जाती है तो वह ख़ुशी उसे कुछ दिन ही प्रतीत होती है और उसका मन फिर पहले वाली अवस्था में चला जाता है। मनुष्य अपनी पूरी ज़िंदगी अपनी इच्छाओं की पूर्ति में लगा देता है और उसकी एक इच्छा पूरी होने के बाद 10 नई इच्छायें और जन्म ले लेती है और यह फिर उसकी पूर्ति करने में लग जाता है। याद रहे सांसारिक भौतिक वस्तुएं हमें सिर्फ कुछ क्षण का सुख दे सकती हैं मगर अखंड (कभी ना ख़तम होने वाला) आनंद हमें ध्यान (Meditation) से ही प्राप्त होता है। हम ध्यान में बैठ कर मंत्र जप करते हैं वह भी ध्यान साधना का ही हिस्सा है। अलग-अलग धर्मों में अलग-अलग विधियां बताई गई हैं मगर सबका मकसद सिर्फ मन को वर्तमान में लेकर आना और अखंड-आनंद की प्राप्ति करना है। एक 5-7 साल का बच्चा वर्तमान में जीता है, इसीलिए वह आनंदित रहता है|  ध्यान साधना (Meditation) से हमें सिर्फ मानसिक लाभ नहीं बल्कि शारीरिक और आध्यत्मिक लाभ भी होते हैं जिसकी चर्चा हम आगे करेंगे|
 
ध्यान साधना में आने वाली रुकावटें और उसका समाधान:- ध्यान लगाने में सबसे बड़ी जो अड़चन आती है वह हमारे मन में विचार चलने की होती है। जब हम ध्यान लगाते हैं या मंत्र जप करना शुरू करते हैं तो हमारा मन केंद्रित नहीं हो पाता है और हमारा ध्यान फिर दिन में किए गए कर्मों के बारे में विचार करने लगता है। हम बहुत कोशिश करते हैं कि हमारा ध्यान केंद्रित हो और हम समाधि अवस्था में प्रवेश करें, मगर दिन में हम जो कार्य करते हैं, जो सोचते हैं वह विचार हमारे मन में आते हैं और बहुत कोशिश करने के बाद भी हमारा ध्यान केंद्रित नहीं हो पाता है। क्या आपको पता है यह आपके साथ क्यों होता है और इसका क्या समाधान है? 
हम आपको बता दें कि हम पूरे दिन में जो कार्य करते हैं या जिन व्यक्तिओं के साथ मिलते हैं, उनके साथ जो बातें करते हैं, जो सोच-विचार करते हैं वह हमारे सूक्षम मन में इकट्ठे होते जाते हैं और उन विचारों के ही संस्कार बनने शुरू हो जाते हैं। फिर वह संस्कार कर्म में बदल जाते हैं। हम ऐसा भी कह सकते हैं कि हम जो सोचते हैं या जिन लोगों के साथ मिलते हैं वैसे ही बन जाते हैं। यही ध्यान ना लगने का मुख्य कारण है। हमारे सूक्षम मन में जो भी विचार इकट्ठे होते हैं, जब हम ध्यान लगाने या मंत्र जप करने के लिए बैठते हैं तो वह विचार हमारे मन में आने शुरू हो जाते हैं। हमारी बहुत कोशिश के बाद भी यह विचार मन में आने से नहीं रुकते हैं और हम समाधी अवस्था को प्राप्त नहीं कर पाते हैं। अब प्रश्न यह पैदा होता है कि इन विचारों को मन में आने से कैसे रोका जा सकता है ? 
ध्यान लगाते वक़्त मन में विचारों को आने से रोकने के लिए आपको 2 तरह के अभ्यास करने पड़ेंगे| यदि आप यह 2 अभ्यास करना शुरू कर देते हो तो धीरे-धीरे आपका मन केंद्रित होना शुरू हो जाएगा और आपकी कुंडली के चक्र जागृत होने शुरू हो जाएंगे| हम जो आपको विधि बताने जा रहें हैं आपको इसके परिणाम 1-2 महीने में ही दिखने शुरू हो जाएंगे| आप जितनी इच्छा शक्ति और लग्न से इस अभ्यास को करोगे उतनी जल्दी आप ध्यान समाधि में उत्तर सकोगे|

जैसे हमने आपको ऊपर बताया कि हमारे मन में चल रहे विचार हमें समाधी तक नहीं पहुंचने देते और यदि हम अपने विचारों को नियंत्रण करना शुरू कर दें तो हम समाधि की अवस्था को पा सकते हैं| विचारों को नियंत्रण करने के लिए सबसे पहले आपने किसी एक मंत्र का चुनाव करना है, मंत्र कोई भी हो सकता है| यदि आपने पहले से कोई गुरु मंत्र ले रखा है या आप पहले किसी मंत्र का जाप करते हो तो उस मंत्र का ही जाप करना है| जब किसी मंत्र का जाप हमारे मन में चलना शुरू हो जाता है तब बाहरी सांसारिक विचार हमारे मन में आने बंद हो जाते हैं। 
सबसे पहले आपने सुबह जल्दी उठना है हो सके तो ब्रह्म मुहर्त में उठ जाएं| ब्रह्म मुहर्त का सम्य सुबह 4:28 से लेकर 5:12 मिनट तक होता है| यदि आप इतनी जल्दी नहीं भी उठ सकते तो फिर सूर्य उदय होने से पहले जरूर उठना है| ब्रह्म मुहर्त में उठने के लाभ की जानकारी आप हमारे पेज ब्रह्म मुहर्त के लाभ पर क्लिक करके प्राप्त कर सकते हो| स्नान करके किसी एकांत कमरे में किसी आसन पर बैठ जाना है| फिर अपने सिद्ध आसन या ऐसे ही चोंकड़ी लगाकर बैठ जाना है| इस तरह से सीधे होकर बैठना है कि आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए| उसके बाद आपने आँखे बंद करके अपने दोनों आँखों के बीच त्रिकुटी स्थान के ऊपर ध्यान केंद्रित करना शुरू करना है| शुरुआत में आपका ध्यान नहीं लगेगा| मन में बहुत तेज़ गति से विचार चलेंगे| इन विचारों को रोकने के लिए आपने गुरु मंत्र का जाप मन में करना शुरु कर देना है| फिर भी आपके मन में विचार चलते रहेंगे| आपका मन विचारों की तरफ भागेगा और आपने ध्यान में बैठे हुए मन को फिर खींच कर मंत्र की तरफ लेकर आना है| यह आपका पहला अभ्यास है जो आपने रोज़ाना करना है| आपका ध्यान लगे या ना लगे लेकिन इस प्रक्रिया को नहीं छोड़ना है| शुरुआत में अपने 10 मिनट तक ध्यान करना है फिर कुछ दिनों में इसको बढ़ाते हुए कम से कम 30 मिनट तक ध्यान में रोज़ाना बैठना है| आपको फिर बता देते हैं कि आपका ध्यान लगे या ना लगे आपने इस प्रक्रिया को करना नहीं छोड़ना है|
अब आपको दूसरे अभ्यास के बारे में बताते हैं| हमने जैसे ऊपर बात की है कि ध्यान ना लगने का मुख्य कारण हमारे मन में बहुत तेज़ गति से चल रहे विचार हैं| इन विचारों को रोकने के लिए आपने अपने कार्य करते हुए, खाना खाते हुए या आप दिन में जो कुछ भी करते हो वह काम करते हुए अपने गुरु मंत्र को जपते रहना है| आपका मन फिर बाहर के विचारों में भागेगा मगर आपने दिन के कार्य करते हुए मंत्र का जाप करते रहना है।  हमारे संत कहते है 'हाथ से काम और मुँह से राम जपो'| यहाँ पर भी आपका मन फिर संसार की तरफ भागेगा मगर आपने फिर मन को मंत्र की तरफ खींच कर लाना है| यदि आप कोई कार्य नहीं कर रहे तो कोई धार्मिक ग्रन्थ का अध्यन कर सकते हो| कुछ दिनों में आप देखोगे कि आपको इस तरह से अभ्यास हो जाएगा कि आपका मन खुद मंत्र का जप करने लग पड़ेगा| आप हाथ से काम करोगे और मन खुद मंत्र का जप करना शुरू कर देगा| इसको हम अजपा जप कहते हैं जो सांसों के साथ चलता है| कुछ दिनों बाद इसका यह प्रभाव होगा कि आपका मन मंत्र जप में लगा रहेगा और संसारिक विचार आपके मन में प्रवेश नहीं कर सकेंगे और फिर जब आप ध्यान में बैठोगे तो आपकी समाधि लगनी शुरू हो जाएगी| यह महिमा है मंत्र सिमरन की| यह दोनों अभ्यास के बिना आप ध्यान समाधि में कभी भी नहीं उत्तर सकोगे| इससे धीरे-धीरे आपकी कुंडली के सातों चकर जागृत होने शुरू हो जाएंगे| अब हम आगे बात करते हैं कि इससे आपको आध्यत्मिक और शारीरिक  क्या-क्या लाभ होने वाले हैं| 

ध्यान से होने वाले लाभ 

Benefits of Meditation in Hindi

ध्यान से आध्यात्मिक लाभ (Spiritual Benefits of Meditation):- ध्यान (Meditation) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा हमारे मन की शक्ति बहुत बढ़ जाती है। यदि कोई व्यक्ति रोज़ाना 30 मिनट से 1 घंटे तक ध्यान करना शुरू कर देता है तो वह कुछ महीनों के पश्चात महसूस करना शुरू कर देगा कि उसके मन की शक्ति बहुत बढ़ने लगी है। उनको तरह-तरह की अनुभूतियाँ होनी शुरू हो जाती हैं, उसको भविष्य में होने वाली घटनाओं का पहले से आभास होना शुरू हो जाता है, वह सामने वाले व्यक्ति के मन में चल रही बातों को महसूस करने लगता है, उसको और भी कई सांसारिक रहस्यों को अनुभूति और सचाई अपने अंदर से होनी शुरू हो जाती है। प्रत्येक व्यक्ति के अंदर इतनी शक्ति है कि वह यदि इसको जाग्रृत कर लेता है तो संसार का कोई भी असंभव कार्य करने में वह समक्ष हो जाता है। हमारे धार्मिक ग्रंथों में जो आठ प्रकार की सिद्धियों का वर्णन आता है, रोज़ाना ध्यान करने से वह सिद्धियां अपने आप प्राप्त होनी शुरू हो जाती हैं। ध्यान साधना करने वाला साधक अपनी संचित की शक्ति से संसार का भला भी कर सकता है।   

ध्यान से शारीरिक लाभ (Health Benefits of Meditation):- हमारा विज्ञान यह प्रमाणित कर चूका है कि प्रत्येक व्यक्ति के ज्यादातर रोगों का कारण उसकी मानसिक परेशानी होती है। हमारा परेशान मन हमारे शरीर में अनेक रोगों को जन्म देता है। जैसा कि हम ऊपर पहले भी पड़ चुके हैं कि ध्यान प्रक्रिया से वयक्ति के मन के विचार नियंत्रण होते हैं। हम जितना भूतकाल और भविष्य-काल के बारे में सोचते हैं, उतनी ही हमारी मानसिक परेशानी बढ़ जाती है और वही मानसिक परेशानी हमारे शरीर में अनेक रोगों को जन्म देती है। यदि हम रोज़ाना ऊपर बताई विधि से ध्यान साधना शुरू कर देते हैं,फिर यहाँ हमें मानसिक शांति मिलेगी वहीँ धीरे-धीरे हमारे शारीरिक रोग भी नष्ट होने शुरू हो जाएंगे और भविष्य में भी हम रोगों से बचे रहेंगे।   

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