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संकल्प लेने का महत्व, Sankalp ki Vidhi

संकल्प लेने का महत्व 
Sankalp ki vidhi 

संकल्प विधि, sankalp ki vidhi

संकल्प का किसी भी अनुष्ठान आरम्भ करने या किसी शुभ कार्य करने में बहुत महत्व होता है| हमारे शास्त्रों के अनुसार यदि हम जल को साक्षी रखकर कोई कार्य करने की संकल्प या प्रतिज्ञा लेते हैं तो उसमें जल देवता हमारे और उस कार्य या देवता के बीच साक्षी बन जाते हैं और हमारे कार्य का साक्षी(गवाह) होने के कारण वह हमारे कार्य को सम्पूर्ण करने में सहायक होते हैं| 
हम यहाँ मंत्र साधना (अनुष्ठान) में संकल्प के महत्व की बात करेंगे| कोई भी मंत्र साधना में यदि साधना शुरू करने से पहले संकल्प लिया जाए तो देवी/देवता हमरे ऊपर कृपा करने के लिए बाध्य हो जाता है| 
ज्यादातर साधक संस्कृत के श्लोक बोलकर संकल्प नहीं ले सकते हैं, तो ऐसे लोग जो संस्कृत के जटिल श्लोक नहीं बोल सकते वह नीचे ही गई सरल संकल्प विधि द्वारा संकल्प ले सकते हैं| 
संकल्प की विधि(Sankalp ki vidhi):- अपनी साधना की पूरी तैयारी करने के बाद आपको साधना के पहले दिन गणेश वंदना, गुरु वंदना और कुलदेवता की वंदना करके संकल्प लेना है|
संकल्प:- मैं (अपना नाम) पुत्र (पिता का नाम) गोत्र(अपना गोत्र) निवासी(आपने गांव या नगर का नाम) जल देवता को साक्षी रखकर संकल्प लेता हूं कि मैं आज से 'अमुक देवता' के मंत्र का अनुष्ठान आरम्भ करने जा रहां हूं और मैं रोज़ाना 'अमुक' संख्या जप  'अमुक' दिनों तक 'अमुक' कार्य के लिए विधि पूर्वक करूँगा| इस अनुष्ठान के बीच यदि मेरे से कोई भूल हो जाए तो मुझे क्षमा करना और मेरे इस अनुष्ठान को सम्पूर्ण करने में मेरी सहायता करना| 
यह बोलकर पानी को किसी खाली बर्तन में छोड़ देना है और बाद में उस जल को किसी पौधे को डाल देना है| 
आपने ऊपर संकल्प अमुक के स्थान में अपनी साधना का विवरण देना है| प्रत्येक मंत्र साधना में इस प्रकार से संकल्प लेना चाहिए, इस तरह से आपकी साधना में कोई बाधा नहीं आती और आपकी साधना से आपको कई गुना ज्यादा लाभ होता है|

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Comments

  1. sir menie guru naam liya hua hai jo ki maa durga ka hi hai kya mantre jaap kare se phele kya karna cheyie

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