Skip to main content

Lesson-9 नीच भंग राज योग, Neech Bhang Raj Yog

नीच भंग राज योग

 Neech Bhang Raj Yog

Neech bhang raj yog, free online astrology course in hindi

कुंडली में नीच भंग राज योग के विष्य में पढ़ने से पहले आपको कुंडली में ग्रहों की उच्च और नीच राशियां और ग्रहों की दृष्टिओं के बारे में जानकारी होनी चाहिए| इसकी जानकारी के बिना आप नीच भंग राज योग को विस्तार से नहीं समझ सकते हो| इसलिए पहले आप हमारे पेज Grah ki Uch aur Neech Rashi और Grahon ki Drishtiyan पर क्लिक करके इसकी जानकारी प्राप्त कर ले और फिर नीच भंग राज योग के बारे में आगे पढ़ना शुरू करें|

नीच भंग राज योग क्या है(Neech Bhang Raj yog kya hai):- आपको यह तो पता है कि कुंडली में सभी नवग्रह अलग अलग भावों में किसी राशि नंबर के साथ विराजमान होते हैं|इन सभी नवग्रहों की कुंडली में एक नीच और एक उच्च राशि होती है| यदि कोई गृह अपनी उच्च राशि के साथ बैठ जाता है तो वह बहुत अच्छे फल देता है मगर यदि कोई गृह अपनी नीच राशि के साथ बैठ जाए तो वह बहुत बुरे फल देता है|
कुंडली में कई बार ऐसा योग बनता है, जिस से नीच राशि में बैठा हुआ गृह बहुत अच्छे फल देने लगता है| उसको हम नीच भंग राज योग कहते हैं|
कुंडली में नीच भंग राज योग बनने के लिए 3-4 सिद्धांत लागू होते हैं| हम उसकी चर्चा आगे करते हैं|

पहला सिद्धांत:-
Free online astrology course in hindi
आप ऊपर चित्र नंबर 1 में देख रहें हो कि यहाँ पर शनि गृह प्रथम भाव में राशि नंबर 1 (मेष) मैं बैठे हुए हैं और यह राशि नंबर 1(मेष) शनि की नीच राशि होती है| इस तरह से शनि गृह यहाँ पर नीच हो जाता है| मगर यहाँ पर आप देख रहें हो कि शनि गृह के साथ उस राशि नंबर 1(मेष) का स्वामी गृह मंगल भी उसी भाव में बैठा है| यदि कोई गृह अपनी नीच राशि में बैठा हो और उसी राशि का स्वामी गृह भी साथ में आकर बैठ जाए तो उस गृह का नीच भंग हो जाता है और वह गृह शुभ फल देने लगता है| यहाँ पर शनि नीच भंग राज योग बनने से बहुत शुभ फल देने वाला गृह बन जाएगा|

दूसरा सिद्धांत:- 
Free online astrology course in hindi
Online free astrology classes in hindi,  online free astrology course in hindi
आप ऊपर चित्र नंबर 2 में देख रहें हो कि यहाँ पर शनि गृह अपनी नीच राशि नंबर 1 (मेष) में  बैठे होने के कारण यहाँ पर नीच अवस्था में आ गए है और आपको यह भी पता होगा कि राशि नंबर 1(मेष) का स्वामी गृह मंगल होता है और यहाँ पर आप देख रहें हो कि मंगल गृह कुंडली के सप्तम भाव में बैठ कर अपनी सातवीं दृष्टि प्रथम भाव में डाल रहा है, इस तरह से मंगल गृह की दृष्टि प्रथम भाव में अपनी राशि पर पड़ने से वहां पर बैठे शनि गृह का नीच भंग कर देती हैं|
इस तरह से यदि कोई गृह अपनी नीच राशि में बैठा हो और उस राशि के स्वामी की दृष्टि उस भाव में पड़ जाए तो उस गृह का नीच भंग हो जाता है और वह गृह अच्छे फल देने लगता है|
इसकी एक और अन्य उदाहरण आप चित्र नंबर 3 में देख सकते हो कि यहाँ पर भी शनि अपनी नीच राशि नंबर 1(मेष) में बैठे हुए हैं और यहाँ पर मेष राशि के स्वामी गृह मंगल की चौथी दृष्टि प्रथम भाव में पड़ रही है,  जिस कारण वहां बैठे शनि गृह का नीच भंग हो जाता है और नीच भंग राज योग बन जाता है|यहाँ पर आपको फिर बता देते हैं कि इस विष्य को पढ़ने से पहले आपको ग्रहों की दृष्टियों की जानकारी होनी बहुत जरुरी है|
तीसरी सिद्धांत:
How to learn free astrology in hindi, free online astrology course in hindi
आप ऊपर चित्र नंबर 4 में देख रहें हो कि यहाँ पर शनि प्रथम भाव में राशि नंबर 1 (मेष) में बैठे हुए हैं और यहाँ पर शनि गृह के साथ सूर्य गृह भी बैठे हुए हैं और यहाँ पर सूर्य गृह इस राशि नंबर 1(मेष) की उच्च राशि है| इस प्रकार यदि कोई गृह अपनी नीच राशि में बैठा हो और उसी राशि का उच्च गृह भी साथ में आकर बैठ जाए तो वहां का नीच भंग हो जाता है| इस प्रकार यहाँ पर भी राशि नंबर 1(मेष) शनि गृह की नीच राशि है मगर यह सूर्य की उच्च राशि है और यहाँ पर सूर्य अपनी उच्च राशि में बैठ कर वहां का नीच भंग कर देंगे| यहाँ पर भी शनि का नीच भंग राज योग बन जाता है|

चौथा सिद्धांत:- 
Free online astrology course in hindi, free online astrology classes in hindi
आपको ऊपर तीन सिद्धांतो से पता चल गया है कि कुंडली में किसी गृह का नीच भंग राज योग कैसे बनता है| मगर कुछ परिस्थितियां ऐसी होती हैं यहाँ ऊपर तीनों सिद्धांत लागू होने पर भी नीच भंग राज योग नहीं माना जाता है| आप ऊपर चित्र नंबर 5 में देख रहें हो कि यहाँ पर चंद्र षष्ट(6) भाव में अपनी नीच राशि नंबर 8(वृश्चिक) में बैठा हुआ है और यहाँ पर वृश्चिक राशि का स्वामी गृह मंगल भी इसी भाव में बैठा हुआ है|ऊपर बताए सिद्धांतो के मुताबिक तो यहाँ पर नीच भंग राज योग बनना चाहिए, मगर यहाँ नीच भंग राज योग नहीं माना जाएगा, क्यूंकि यहाँ पर चंद्र गृह त्रिक भाव(6, 8, 12) में से षष्ठ(6) भाव में बैठा हुआ है| आपको इसका यह सिद्धांत याद रखना है कि यदि कोई गृह कुंडली के त्रिक भावों(6, 8, 12) में से किसी एक भाव में बैठ कर नीच भंग राज योग बना रहें हो तो उसको नीच भंग राज योग नहीं मना जाएगा| कुंडली में यदि कोई गृह त्रिक भावों(6, 8, 12) में किसी एक भाव में बैठ कर नीच भंग राज योग बना रहा हो तो उसे नीच भंग राज योग नहीं समझा जाएगा|

पांचवा सिद्धांत:- कुंडली में यदि कोई मारक गृह ऊपर बताए सिद्धांतों से नीच भंग राज योग बना रहा हो तो उसे भी नीच भंग राज योग नहीं समझा जाएगा| कुंडली में जो मारक गृह होते हैं उनके ऊपर नीच भंग राज योग का सिद्धांत नहीं लागू होता है|

कुंडली दिखाए:- आप घर बैठे कुंडली का विश्लेषण करा सकते हो। सम्पूर्ण कुंडली विश्लेषण में लग्न कुंडली, चंद्र कुंडली, नवमांश कुंडली, गोचर और अष्टकवर्ग, महादशा और अंतरदशा, कुंडली में बनने वाले शुभ और अशुभ योग, ग्रहों की स्थिति और बल का विचार, भावों का विचार, अशुभ ग्रहों की शांति के उपाय, शुभ ग्रहों के रत्न, नक्षत्रों पर विचार करके रिपोर्ट तैयार की जाती है। सम्पूर्ण कुंडली विश्लेषण की फीस मात्र 500 रुपये है।  Whatsapp- 8360319129 Barjinder Saini (Master in Astrology)

यदि आप घर बैठे फ्री में ज्योतिष शास्त्र सीखना चाहते हो तो आप हमारे पेज Free Online Astrology Classes in Hindi पर क्लिक करें|



Comments

Popular posts from this blog

बाबा कालीवीर चालीसा और आरती, Baba Kaliveer ji Chalisa Aarti

बाबा कालीवीर चालीसा और आरती  कालीवीर चालीसा  काली-पुत्र का नाम ध्याऊ, कथा विमल महावीर सुनाऊ| संकट से प्रभु दीन उभारो, रिपु-दमन है नाम तिहारो| विद्या, धन, सम्मान की इच्छा, प्रभु आरोग्य की दे दो भिक्षा| स्वर्ण कमल यह चरण तुम्हारे, नेत्र जल से अरविंद पखारे| कलिमल की कालिख कटे, मांगू मैं वरदान|  रिद्धि-सिद्धि अंग-संग रहे,  सेवक लीजिए जान| श्री कुलपति कालीवीर प्यारे,  कलयुग के तुम अटल सहारे|  तेरो बिरद ऋषि-मुनि हैं गावें,  नाम तिहारा निसदिन धयावे| संतों के तुम सदा सहाई,  ईश पिता और कलिका माई| गले में तुम्हारे हीरा सोहे,  जो भक्तों के मन को मोहे| शीश मुकट पगड़ी संग साजे,  द्वार दुंदुभी, नौबत बाजे| हो अजानुभुज प्रभु कहलाते,  पत्थर फाड़ के जल निसराते| भुजदंड तुम्हारे लोह के खम्भे,  शक्ति दीन्ह तुम्हे माँ जगदम्बे| चरणन में जो स्नेह लगाई,  दुर्गम काज ताको सिद्ध हो जाई| तेरो नाम की युक्ति करता,  आवागमन के भय को हरता| जादू-टोना, मूठ भगावे,  तुरतहि सोए भाग्य जगावे| तेरो नाम का गोला दागे,  भूत-पिशाच चीख कर भागे| डाकनी मानत तुम्हरो डंका,  शाकनी भागे नहीं कोई शंका| बाव

बाबा बालक नाथ चालीसा- Baba Balak Nath Chalisa in hindi

बाबा बालक नाथ चालीसा Baba Balak Nath Chalisa in hindi दोहा  गुरु चरणों में सीस धर करूँ मैं प्रथम प्रणाम,  बख्शो मुझको बाहुबल सेव करुं निष्काम,  रोम-रोम में रम रहा रूप तुम्हारा नाथ, दूर करो अवगुण मेरे, पकड़ो मेरा हाथ| चालीसा  बालक नाथ ज्ञान भंडारा,  दिवस-रात जपु नाम तुम्हारा| तुम हो जपी-तपी अविनाशी,  तुम ही हो मथुरा काशी| तुम्हरा नाम जपे नर-नारी,  तुम हो सब भक्तन हितकारी| तुम हो शिव शंकर के दासा,  पर्वत लोक तुमरा वासा| सर्वलोक तुमरा यश गावे,  ऋषि-मुनि तव नाम ध्यावे| काँधे पर मृगशाला विराजे,  हाथ में सुन्दर चिमटा साजे| सूरज के सम तेज तुम्हारा,  मन मंदिर में करे  उजियारा| बाल रूप धर गऊ चरावे,  रत्नों की करी दूर वलावें| अमर कथा सुनने को रसिया,  महादेव तुमरे मन बसिया| शाह तलाईयाँ आसन लाए,  जिस्म विभूति जटा रमाए| रत्नों का तू पुत्र कहाया,  जिमींदारों ने बुरा बनाया| ऐसा चमत्कार दिखलाया,  सब के मन का रोग गवाया| रिद्धि-सिद्धि नव-निधि के दाता,  मात लोक के भाग्य विधाता| जो नर तुम्हरा नाम धयावे,  जन्म-जन्म के दुख बिसरावे| अंतकाल जो सिमरन करहि,  सो नर मुक्ति भाव से मरहि| संकट कटे मिटे सब रोगा,  बालक

सर्व-देवता हवन मंत्र - Mantra for Havan in Hindi

सर्व-देवता हवन मंत्र Mantra for Havan in Hindi. हवन शुरू करने की विधि और मंत्र-  यह पढ़ने से पहले आप यह जान लें कि यह सर्वतो-भद्रमंडल देवतानां हवन की विधि है और यदि आप हवन करने की सम्पूर्ण विधि की जानकारी चाहते हो तो आप हमारे पेज सरल हवन विधि पर क्लिक करके प्राप्त कर सकते हो।  सर्व देवता हवन मंत्रों से सभी देवताओं, नवग्रहों, स्वर्ग-देवताओं, सप्त-ऋषिओं, स्वर्ग अप्सराओं, सभी समुन्द्र देवताओं, नवकुल-नागदेवता आदि को आहुतियां देकर प्रसन्न कर सकते हो| यह जो आपको नीचे मंत्र बताए गए हैं इन मंत्रों के हवन को सर्वतो-भद्रमंडल देवतानां होम: कहते हैं|  हमारे हिन्दू ग्रंथों में 4 प्रकार के यज्ञ प्रत्येक व्यक्ति को करने के लिए कहा गया है| यह 4 यज्ञ इस प्रकार हैं, 1. देव यज्ञ 2. भूत यज्ञ 3. मनुष्य यज्ञ 4. पितृ यज्ञ| देव यज्ञ में सभी देवताओं को अग्नि में आहुति देकर अग्नि देव की पत्नी स्वाहा के द्वारा देवताओं तक भोग सामग्री पहुंचाई जाती है| यह सभी देवता इससे प्रसन्न होकर व्यक्ति को संसारिक भोग का सुख प्रदान करते हैं और उसको सुखों की प्राप्ति होती है| यह सर्व-देव यज्ञ से घर की नकारत्मक ऊर्जा नष्ट होती है

हनुमान दर्शन शाबर मंत्र- Hanuman Darshan Shabar Mantra

हनुमान प्रत्यक्ष दर्शन शाबर मंत्र साधना Hanuman Darshan Mantra Sadhna  यदि आप हनुमान जी के सच्चे भक्त हो और आप ऐसी साधना करने की इच्छा रखते हो, जिससे आपको हनुमान जी के प्रत्यक्ष दर्शन हों, तो आपको हम हनुमान जी की एक बहुत चमत्कारी और गुप्त साधना बताने जा रहें हैं|  यदि आप इस साधना को श्रद्धा, विश्वास और नियम के अनुसार करना शुरू कर देते हो, तो बहुत जल्द ही साधना के बीच में  आपको हनुमान जी की कृपा से अनुभूतियाँ होनी शुरू हो जाती हैं| इस साधना से आपके अंदर ऐसी शक्ति का संचार होना शुरू हो जाता है,  जिससे आप भूत-प्रेत और अन्य बुरी शक्तियों से ग्रस्त अन्य लोगों का भी निवारण कर सकते हो| याद रहे किसी भी साधना में सफलता तभी मिलती है जब आपकी साधना,इष्ट देव और मंत्र में पूर्ण श्रद्धा और विश्वास होता है| असल में श्रद्धा और विश्वास आपको किसी मंत्र में सिद्धि एवं सफलता दिलाते हैं| बाकी सभी विधि-विधान और नियम इसके बाद आते हैं| यदि किसी मंत्र की शंकावान होकर साधना की जाए तो आप चाहे कितने भी नियम अपनाकर और कठिन साधना कर लें, मगर आपको सफलता कभी नहीं मिल सकती|साधना का पहला नियम मंत्र और अप

केतु बीज मंत्र विधि और लाभ -Beej Mantra for ketu in hindi

 केतु बीज मंत्र की सम्पूर्ण विधि और महत्व Beej Mantra of Ketu in Hindi केतु बीज मंत्र विधि और लाभ -केतु को सन्यास, वैराग्य और विरक्ति का कारक ग्रह माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक ग्रह के कुछ विशेष गुण और विशेष अवगुण होते हैं। ऐसे ही केतु ग्रह पापी ग्रह होते हुए भी यदि कुंडली में अच्छी स्थिति में हो तब व्यक्ति को विशेष गुण प्रदान करता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में केतु की स्थिति अच्छी हो तब केतु व्यक्ति को सन्यास और वैराग्य की और लेकर जाता है, मगर स्थिति अच्छी होने पर यह सन्यास और वैराग्य व्यक्ति को यश और प्रतिष्ठा दिलाते हैं। यहाँ पर सन्यास और वैराग्य का अर्थ यह नहीं कि व्यक्ति घर-बार छोड़ कर जंगलों में चला जाता है यहाँ पर सन्यास और वैराग्य से अर्थ है कि व्यक्ति संसार में रहते हुए भी सांसारिक वस्तुओं और रिश्तों के प्रति मोह और लगाव ज्यादा नहीं रखता है। वह अपने सांसारिक फ़र्ज़ निभाते हुए भी इन चीज़ों से विरक्त रहता है। जैसे कोई सन्यासी और वैरागी कोई एकांत स्थान ढूँढ़ते हैं ऐसे ही केतु से प्रभावित व्यक्ति को एकांत स्थान में रहना बहुत पसंद होता है। केतु से प्रभावित व्यक्

महांकाली ताली रक्षा मंत्र, Mahakali raksha shabar mantra

महांकाली ताली रक्षा शाबर मंत्र  Mahakali taali raksha shabar mantra यह महांकाली माँ का बहुत चमत्कारी रक्षा शाबर मंत्र है| इस मंत्र को सिद्ध करने के बाद आप इस मंत्र के द्वारा ताली बजा कर अपनी चारों और रक्षा घेरा बना सकते हो| आप इस मंत्र को किसी ग्रहणकाल या दीपावली के सम्य एक दिन में ही सिद्ध कर सकते हो| यदि आपने इस मंत्र को दीपावली या ग्रहणकाल में सिद्ध करना है तो इस मंत्र की कम से कम 5 माला जाप करना है|  ऐसे आपको इस मंत्र का कम से कम 11 दिनों तक रोज़ाना 1 माला जाप करना है| इसके कुछ नियम आगे आपको बता रहें हैं, यदि उस नियमों के मुताबिक मंत्र साधना करोगे तो सफलता निश्चित मिलेगी| नियम:-  1. मंत्र जाप उत्तर या पूर्व की तरफ मुख करके करना है| 2. मंत्र जाप काले हकीक की माला या रुद्राक्ष की माला से करना है| 3. साधना के दिनों में ब्रह्मचार्य का पालन करना है| 4. साधना में दीप, धूप और जल का लौटा पास रखना है| 5. मंत्र का पूर्ण लाभ लेने के लिए मंत्र पर पूरा विश्वास होना चाहिए| 6. इस मंत्र साधना में महाकाली यन्त्र को पूजा स्थान में स्थापित करके साधना करने से विशेष लाभ की