कुंडली में गोचर क्या होता हैं?
What is Gochar in kundli?
कुंडली में गोचर(Kundli mein Gochar):-कुंडली में गोचर को जानने से पहले आप कुंडली के 12 भावों की जानकारी प्राप्त कर लेते हो तो आप गोचर के बारे में अच्छी तरह से समझ सकोगे| यदि आप इस विष्य को अंत तक ध्यान से पढ़ोगे तो आपको गोचर और ग्रहों की चाल की पूरी जानकारी प्राप्त हो जाएगी|
ज्योतिष विज्ञान में जो कुंडली होती है, असल में वह हमारा आकाश-मंडल होता है और उस आकाश-मंडल को 12 भागों में बांटा गया है|आपने कुंडली में देखा होगा कि कुंडली में 12 भावों में 12 नंबर लिखे होते हैं| यह नंबर राशिओं के नंबर होते हैं और इससे हमें पता चलता है कि कुंडली के किस भाव में कौन सी राशि विराजमान है|
इस आकाश-मंडल में सभी गृह अपनी कक्षा में 360° अंश(Degree) में भ्रमण करते हैं और इस आकाश-मंडल को 12 राशियों में बांटा गया है तो प्रत्येक राशि में गृह 360°/12=30° अंश(Degree) तक चलता(भ्रमण) है|
सभी गृह आकाश मंडल में 360°अंश(Degree) का अपना एक चक्कर अलग-अलग सम्य में पूरा करते हैं|जैसा आपने ऊपर पढ़ा कि इस आकाश मंडल के 360° डिग्री के चक्कर को 12 राशियों में बांटा गया है और इस तरह से सभी गृह एक राशि में 30° अंश(Degree) तक चलते हैं और फिर अगली राशि में 0° डिग्री से 30° डिग्री तक चलते हैं और सभी गृह कुंडली या आकाश-मंडल में अपना एक चक्कर 360° का लगाते हैं|
कुंडली में सभी गृह एक राशि से दूसरी राशि तक के सफर को अलग-अलग सम्य में पूरा करते हैं| कुंडली में चंद्र सबसे तेज़ गति से चलने वाला गृह होता है| यह एक राशि से दूसरी राशि अर्थात 30° डिग्री का सफर सवा दो दिन(54 घंटों) में पूरा कर लेता है| वहीं शनि सबसे धीमी गति से चलने वाला गृह कुंडली में एक राशि से दूसरी राशि अर्थात 30°अंश(Degree) का सफर 2.5 वर्ष(30 माह) में पूरा करता है| जब किसी राशि में शनि प्रवेश करता है तो 2.5 वर्ष तक वहां रहता है, तब कहा जाता है कि इस राशि वाले के ऊपर शनि का ढैया शुरू हो चुका है|हम आपको नीचे बताते हैं कि सभी गृह गोचर में एक राशि से दूसरी राशि तक पहुँचने में कितना सम्य लगाते हैं|
कुंडली में एक राशि में ग्रहों की चाल की अवधि
गृह गोचर में चलने की अवधिसूर्य 30 दिन
चंद्र सवा दो दिन(54 घंटे)
मंगल 1.5 से 3 माह
बुध 27 दिन
गुरु 12 माह
शुक्र 23 दिन करीब
शनि 2.5 वर्ष(30 माह)
राहु 18 माह
केतु 18 माह
सभी गृह ऊपर बताए सम्य में अपनी राशि बदल लेते हैं|
गोचर का अर्थ(Gochar Meaning):- आपने ऊपर पढ़ा है कि किस प्रकार कुंडली में सभी गृह एक राशि से दूसरी राशि में चलते हैं|कुंडली में ग्रहों के चलने की गति और उनकी वर्तमान स्थिति को ही गोचर कहा जाता है|कुंडली में गोचर से हम देखते हैं कि वर्तमान स्थिति में सभी गृह कुंडली की कौन सी राशि में कौन से भाव में भ्रमण कर रहें हैं|
गोचर कैसे देखें(Gochar Kaise Dekhe)
जैसा आप ऊपर चित्र नंबर 2 में गोचर(वर्तमान) कुंडली देख रहे हो कि यहाँ पर केतु गृह कुंडली के तृतीय भाव में राशि नंबर 9(धनु) में भ्रमण कर रहा हैं, गुरु और शनि चतुर्थ भाव में राशि नंबर 10(मकर) में भ्रमण कर रहें हैं|चंद्र और मंगल गृह पंचम भाव में राशि नंबर 11(कुंभ) में भ्रमण कर रहें हैं| बुध, सूर्य और शुक्र गृह अष्टम भाव में राशि नंबर 2(वृष) में भ्रमण कर रहें हैं| राहु गृह नवम भाव में राशि नंबर 3(मिथुन) में भ्रमण कर रहें हैं| यह कुंडली में ग्रहों के वर्तमान सम्य की स्थिति होती है| अब आपको बताते हैं के गोचर का कुंडली में विश्लेषण कैसे करते हैं|
कुंडली में गोचर का विश्लेषण :- जब हम किसी कुंडली का विश्लेषण करते हैं तो सबसे पहले हम व्यक्ति की जन्म लग्न कुंडली में ग्रहों की स्थिति देखते हैं कि उस व्यक्ति के जन्म के सम्य में ग्रहों की स्थिति क्या थी अर्थात सभी गृह जन्म के सम्य कुंडली के किस भाव में कौन सी राशि के साथ बैठे हुए हैं| इससे हमें यह पता चल जाता है कि कुंडली में कौन सा योग कारक गृह(मित्र) है और कौन सा गृह मारक(शत्रु) है|इसको हम लग्न कुंडली कहते हैं|
जब हमें गहराई से कुंडली का विश्लेषण करना होता है तो हम कुंडली में ग्रहों की वर्तमान स्थिति देखते हैं, जैसा आपको ऊपर बताया गया है| इसको हम गोचर कहते हैं| मान लो आपके पास कोई कुंडली का विश्लेषण कराने के लिए आया है और उसने अपने कारोबार के बारे में पूछना है| तो सबसे पहले आप जन्म लग्न कुंडली में दशम(भाव) में ग्रहों की स्थिति देखोगे और उसके बाद आप गोचर में जाकर देखोगे के इस सम्य वर्तमान में कुंडली के गोचर में दशम(10) भाव में कौन सा गृह चल रहा है| यदि गोचर में लग्न कुंडली का कोई मारक गृह दशम(10) भाव में चल रहा होगा तो वह गृह आपके कारोबार या नौकरी में बाधा खड़ी कर देगा और यदि जन्म कुंडली का कोई योग कारक गृह चल रहा होगा तो वह अच्छे फल प्रदान करेगा|
याद रहें जन्म लग्न कुंडली में जो गृह योग कारक(मित्र) होंगे वह गोचर में भी अच्छे फल ही देंगे चाहे वह गोचर में त्रिक(6, 8, 12) भाव में बैठे हो या अपनी नीच राशि में बैठे हों और जो गृह जन्म लग्न कुंडली में मारक गृह (शत्रु) होंगे वह गोचर में भी बुरे फल ही देंगे, चाहे वह अपनी उच्च राशि या किसी अच्छे भाव में बैठे हों|
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