नवग्रह और नक्षत्र
9 Planets and Nakshatras
नवग्रह और नक्षत्र (9 Planets and Nakshatras)- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गृह 9 प्रकार के होते है, इसमें से 7 गृह दृश्यमान है जब के राहु और केतु दिखाई नहीं देते इनको छाया गृह कहा जाता है |राहु और केतु का अपना कोई अस्तित्व नहीं है, यह कुंडली में जिस भाव में जिस गृह के साथ बैठ जाते है, यह उस गृह के अनुसार फल देते हैं |ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को भी गृह ही माना है |
ग्रहों के नाम- Name of Nine Planets
सूर्य Sun
चंद्र Moon
मंगल Mars
बुध Mercury
बृहस्पति Jupiter
शुक्र Venus
शनि Saturn
राहु Rahu
केतु Ketu
देव गृह और दानव गृह
देव गृह दानव गृह
सूर्य शुक्र
चंद्र शनि
मंगल राहु
बृहस्पति केतु
बुध
यहाँ पर ऊपर देव गृह और दानव गृह का विवरण दिया गया है, यहाँ समझने वाली बात है के देव गृह और दानव गृह के दो समूह है, इन दोनों समूहों के गुण और स्वभाव अलग होते है, यहाँ पर एक बुध गृह ऐसा है जो दोनों समूहों से समता का भाव रखता है अर्थात बुध की दोनों देव गृह और दानव गृह के समूहों के साथ मित्रता है, सिर्फ चंद्र और मंगल को छोड़ कर | बुध चंद्र और मंगल से शत्रुता का भाव रखता है, मगर चंद्र और मंगल बुध से मित्रता का भाव रखते है |यहाँ पर अपने सिर्फ यही याद रखना है कि कौन से देव गृह है और कौन से दानव गृह है और बुध चंद्र और मंगल को छोड़ कर सबका मित्र है|
नक्षत्र(Nakshtra)- नक्षत्र आकाश मण्डल के तारों के समूह को कहा जाता है | सरल भाषा में आपको समझाया जाए तो चंद्रमा पृथ्वी का एक चक्र (360°) 27.3 दिनों में पूरा करता है और चंद्रमा के इस पूरे 360° के चक्र को 27 भागों में बांटा गया है | जब चंद्रमा पूरा 360° का चक्र पूरा करता है तो इस पूरी दूरी को 27 भागों में बांटा गया है और इन 27 भागों को नक्षत्र नाम दिया गया है | नक्षत्र पृथ्वी से चंद्र की दूरी भी दर्शाते है और चंद्रमा की स्थिति भी बताते हैं | इन नक्षत्रों को आगे 108 चरणों में बांटा गया है भाव प्रत्येक नक्षत्र को 4 भागों में बांटा गया है, इसलिए 27*4=108 चरण होते हैं | नक्षत्रों के 108 चरणों के कारण ही जाप करने वाली माला के मनके 108 होते हैं | कई नक्षत्र शुभ होते है और कई अशुभ होते हैं, इसलिए जब चंद्र शुभ नक्षत्र से गुजर रहा होता है तो हम कोई भी शुभ कार्य जैसे शादी, गृहप्रवेश जैसे कार्य कर सकते हैं, मगर जब चंद्र अशुभ नक्षत्र से गुजर रहा होता है तो कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए | इन नक्षत्रों का इतना महत्व है के जब किसी बच्चे का जन्म होता है, तब जन्म के सम्य का नक्षत्र देखकर बच्चे का नामकरण किया जाता है, प्रत्येक नक्षत्र को कुछ अक्षर प्रदान किए गए हैं |
नक्षत्र(Nakshtra)- नक्षत्र आकाश मण्डल के तारों के समूह को कहा जाता है | सरल भाषा में आपको समझाया जाए तो चंद्रमा पृथ्वी का एक चक्र (360°) 27.3 दिनों में पूरा करता है और चंद्रमा के इस पूरे 360° के चक्र को 27 भागों में बांटा गया है | जब चंद्रमा पूरा 360° का चक्र पूरा करता है तो इस पूरी दूरी को 27 भागों में बांटा गया है और इन 27 भागों को नक्षत्र नाम दिया गया है | नक्षत्र पृथ्वी से चंद्र की दूरी भी दर्शाते है और चंद्रमा की स्थिति भी बताते हैं | इन नक्षत्रों को आगे 108 चरणों में बांटा गया है भाव प्रत्येक नक्षत्र को 4 भागों में बांटा गया है, इसलिए 27*4=108 चरण होते हैं | नक्षत्रों के 108 चरणों के कारण ही जाप करने वाली माला के मनके 108 होते हैं | कई नक्षत्र शुभ होते है और कई अशुभ होते हैं, इसलिए जब चंद्र शुभ नक्षत्र से गुजर रहा होता है तो हम कोई भी शुभ कार्य जैसे शादी, गृहप्रवेश जैसे कार्य कर सकते हैं, मगर जब चंद्र अशुभ नक्षत्र से गुजर रहा होता है तो कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए | इन नक्षत्रों का इतना महत्व है के जब किसी बच्चे का जन्म होता है, तब जन्म के सम्य का नक्षत्र देखकर बच्चे का नामकरण किया जाता है, प्रत्येक नक्षत्र को कुछ अक्षर प्रदान किए गए हैं |
नक्षत्रों के नाम - Nakshatra names
शुभ नक्षत्र (Shubh Nakshatra)- रोहिणी, अश्वनी, मृगशिरा, पुष्य, हस्त, चित्रा, उत्तराभाद्रपद्र, उत्तराषाढा, उत्तराफाल्गुनी, रेवती, श्रवण, घनिष्ठा, पुनर्वसु, अनुराधा और स्वाति |
माध्यम नक्षत्र (Madhyam Nakshatra)-पूर्वा फाल्गुनी, पूर्वाषाढा, पूर्वा भाद्रपद, विशाखा, जयेष्ठा, आर्द्रा, मूला और शतमिषा |
अशुभ नक्षत्र (Ashubh Nakshatra)- भरणी, कृतिका, मघा और अश्लेषा |
मूला नक्षत्र (Moola Nakshatra)- अपने यह सुना होगा के जब कोई बच्चा जन्म लेता है तो उस सम्य तुरंत ज्योतिष से पूछा जाता है कि कहीं बच्चे का जन्म मूल (गण्ड-मूल) नक्षत्र में जन्म तो नहीं हुआ| इस मूल नक्षत्र में जन्म लेने पर इसका बुरा प्रभाव उसके माता-पिता, संपत्ति और बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ता है | आश्विन, अश्लेषा, मघा, मूला और रेवती नक्षत्र मूल नक्षत्र हैं, यदि इनमें से किसी मूल नक्षत्र में कोई बचा जन्म लेता है तो उस नक्षत्र के पूरे 27 दिन बाद जब वह नक्षत्र फिर शुरु होता है तब इसकी शांति के लिए पूजा कराई जाती है, तब तक बच्चे का पिता उस बच्चे का चेहरा नहीं देख सकता है | यदि कोई इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले बच्चे की पूजा नहीं कराता है तो इसका बुरा प्रभाव 8 वर्ष तक बना रहा है, उसके बाद पूजा कराने की कोई आवश्यकता नहीं होती है |
पंचक नक्षत्र (Panchak Nakshatra)- अपने सुना होगा के किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक नक्षत्र में होती है तो बहुत अशुभ माना जाता है, मान्यता है के यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक नक्षत्र में होती है तो उसके बाद पांच और लोगों की मृत्यु होती है, इस लिए जब किसी की पंचक नक्षत्र में मृत्यु होती है तब विधि विधान से उस मृत व्यक्ति के दाह-संस्कार के वक़्त 5 पुतले बना कर उसके साथ जलाए जाते हैं | घनिष्ठा, शतमिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती नक्षत्र पंचक नक्षत्र होते हैं
नोट- नवग्रहों के बीज मंत्र की विधि|
*सूर्य बीज मंत्र *चंद्र बीज मंत्र *मंगल बीज मंत्र
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